कर्फ्यू के बाद भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर बढ़ेगा दबाव, शारीरिक दूरी बनाने को लेकर असमंजस
पंजाब में कोरोना के कारण अब खुलने के बाद भी सार्वजनिक परिवहन पर दबाव बढ़ेगा। कर्फ्यू हटाने जाने के बाद भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में शारीरिक दूरी का पालन कराने को लेकर असंमंजस है।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। कोरोना वायरस का बड़ा असर पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर पडऩा तय है। लॉकडाउन से इंडस्ट्री व अन्य क्षेत्रों को जल्द ही थोड़ी बहुत छूट मिल जाए, लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट ऐसे सेक्टर हो सकता है, जिसे सबसे अंतिम चरण में इजाजत दी जाए। कारण, यह सेक्टर ऐसा है जिसमें शारीरिक दूरी को बनाए रखना सबसे मुश्किल है। वहीं, ट्रांसपोर्ट सेक्टर से जुड़े हुए लोग भविष्य का आंकलन करने में जुट गए है। क्योंकि पंजाब ऐसा राज्य है, जहां पर 60 फीसद आबादी लंबी दूरी के लिए बसों पर निर्भर है।
कोरोना का असर पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर पडऩा तय, सूबे की 60 फीसद आबादी बसों में करती है सफर
ट्रांसपोर्ट सेक्टर से जुड़े हुए लोग यह मान रहे हैं कि लॉकडाउन खुलने व पब्लिक ट्रांसपोर्ट चलने की इजाजत मिलने के उपरांत थोड़े समय तक लोग सफर करने से कतरा सकते हैं, लेकिन उसके बाद पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर दबाव बढ़ जाएगा। कोरोना वायरस के कारण भारत ही नहीं पूरे विश्व में मंदी की मार पड़ेगी। ऐसे में निजी वाहन महंगे पड़ेंगे।
ट्रासपोर्टर बोले, सरकार को देना पड़ेगा ध्यान
फरीदकोट के विधायक व ट्रांसपोर्टर कुशलदीप ढिल्लों कहते हैं कि बसों में शारीरिक दूरी को बनाना है तो सवारियों की संख्या आधी करनी पड़ेगी। इससे ट्रांसपोर्टर का खर्च बढ़ेगा, जिसका बोझ यात्री पर आएगा। ढिल्लों कहते हैं, यह कहना अभी बहुत जल्दबाजी होगा कि हमेशा ही ऐसा रहेगा। वायरस के खत्म होने के बाद स्थिति सामान्य तो होगी, लेकिन इसमें कितना समय लगेगा, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। साथ ही वह कहते हैं कि ऐसे समय में सरकार को ट्रांसपोर्ट सेक्टर की तरफ ध्यान देना ही होगा।
वहीं, अवतार बस सर्विस के डायरेक्टर व जालंधर से विधायक जूनियर अवतार हैनरी कहते हैं, एक बार तो ट्रांसपोर्ट सेक्टर को मंदी की चपेट में आना ही होगा, लेकिन उसके बाद पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर दबाव बढ़ेगा, क्योंकि जिस प्रकार से हालात उत्पन्न हो रहे हैं, उससे मंदी आनी तय है और मंदी में लोगों की भुगतान करने की क्षमता कम हो जाती है। इस कारण बसों पर निर्भरता बढ़ेगी।
हैनरी कहते हैं, हमने तो सरकार से मांग की है कि स्पेशल रोड टैक्स (एसपीटी) को कम किया जाए, क्योंकि बस में सवारी चाहे जितनी भी हो एसपीटी उतना ही देना होता है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में शारीरिक दूरी को अगर बनाना है तो सरकार को इस दिशा में ध्यान देना ही होगा। बता दें कि राज्य में 60 फीसद निर्भरता पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर है, जबकि रेलवे व हवाई जहाज पर निर्भरता 25 फीसद ही है।
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