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दिल्ली न बने गैस चैंबर, उपायों के लिए कमीशन फार एयर क्वालिटी ने 26 को बुलाई तीन राज्यों की बैठक

अक्टूबर माह में दिल्ली व आसपास के शहरों में गैस का चैंबर बन जाता है। पराली का जलना भी इसका एक कारक है। पराली न जले इसके उपायों के लिए कमीशन फार एयर क्वालिटी ने 26 को तीन राज्यों की बैठक बुलाई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 24 Apr 2022 11:35 AM (IST)Updated: Sun, 24 Apr 2022 12:27 PM (IST)
दिल्ली न बने गैस चैंबर, उपायों के लिए कमीशन फार एयर क्वालिटी ने 26 को बुलाई तीन राज्यों की बैठक
दिल्ली को गैस चैंबर बनने से बचाने के लिए तैयारी शुरू। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। देश के राजधानी क्षेत्र को अक्टूबर महीने में गैस चैंबर बनने के संभावित खतरे से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। पिछले कुछ साल से अक्टूबर महीने में दिल्ली में स्माग जैसे हालात बन जाते हैैं और पराली का धुआं इसके कारकों में से एक है। प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारकों के समाधान के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित कमीशन फार एयर क्वालिटी ने काम शुरू कर दिया है।

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कमीशन के चेयरमैन डा. एमएम कुट्टी द्वारा प्रदूषण फैलाने वाले कारकों के समाधान के लिए कदम उठाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने पराली निस्तारण के उपायों को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग के प्रमुख सचिवों और साइंस एंड टेक्नोलाजी विभाग के प्रमुख सचिवों की बैठक बुलाई है। यह बैठक 26 अप्रैल को दिल्ली में होगी।

सूत्रों के अनुसार बैठक में इस बात पर चर्चा होगी कि पराली जलाने के मामलों को कैसे कम किया जाए और पराली के निस्तारण के लिए क्या उपाय हो सकते हैं। पराली के खेत में ही निस्तारण करने के लिए ज्यादा से ज्यादा बायो डीकंपोजर बांटने पर जोर दिया जा सकता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की ओर से तैयार किया गया बायो डीकंपोजर पराली को 15 से 20 दिन में ही खेत में गला देता है।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान पेश की गई रिपोर्ट में जो आंकड़े किए गए हैं, उसके अनुसार यहां स्माग जैसे हालात के लिए करीब 38 प्रतिशत निर्माण कार्य, 30 प्रतिशत इंडस्ट्री, 28 प्रतिशत ट्रांसपोर्ट और चार से सात प्रतिशत तक पराली का धुआं जिम्मेदार हैैं। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में पराली को लेकर समाधान खोजने के बाद ट्रांसपोर्ट, इंडस्ट्री और निर्माण कार्यों से फैलने वाले प्रदूषण को रोकने के उपायों पर काम किया जाएगा।


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