चीफ सेक्रेटरी करण अवतार को अभयदान की तैयारी, आज कैबिनेट की बैठक में लगेगी मुहर
पंजाब में मुख्य सचिव करण अवतार सिंह और मंत्रियों का विवाद समाप्त हो गया है। करण अवतार को अभयदान देने की तैयारी है और इस पर आज कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लगेगी।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्य सचिव करण अवतार सिंह को अभयदान दिलवाने की बिसात बिछा दी है। अब केवल बुधवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में मुहर लगना बाकी रह गई है। यही कारण है कि कैबिनेट बैठक वीडियो-कांफ्रेंसिंग की बजाय पंजाब सचिवालय के मीटिंग हॉल में रखी गई है। यहां चीफ सेक्रेटरी को मंत्रियों के सामने बैठा कर मामले को खत्म करने का प्रयास होगा।
वीडियो कांफ्रेंसिंग नहीं, आमने-सामने बैठ कर होगी कैबिनेट बैठक
चीफ सेक्रेटरी और मंत्रियों के बीच हुए विवाद को खत्म करने की नींव तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लंच डिप्लोमेसी करके ही रख दी थी। सोमवार को लंच डिप्लोमेसी के दूसरे चरण में जब मनप्रीत बादल व चरणजीत सिंह चन्नी ने करण अवतार को लेकर फैसला लेने का अधिकार कैबिनेट के हवाले कर दिया तो यह तय हो गया था कि अब इस मामले में समझौते के अलवा कुछ बचा नहीं है। क्योंकि लंच के तुरंत बाद ही चीफ सेक्रेटरी ने सचिवालय में दोपहर तीन बजे कैबिनेट बैठक का पत्र जारी कर दिया।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के रुख के बाद ज्यादातर मंत्री समझौते के लिए राजी
अहम पहलू यह है कि 11 मई को हुई कैबिनेट बैठक में मंत्रियों ने चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह को पद से हटाने की आधिकारिक मांग की थी, जिसे कैबिनेट के रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया। उसके बाद से ही मुख्यमंत्री लगातार इस मामले को शांत करने की कोशिश में लगे थे।
कैबिनेट के फायर ब्रांड मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को पहले ही मुख्यमंत्री ने टटोल लिया था। तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को लेकर मुख्यमंत्री शुरू से ही चिंतित नहीं थे। मुख्यमंत्री की चिंता मनप्रीत बादल को लेकर थी। क्योंकि मनप्रीत ने आधिकारिक रूप से यह कहा था कि जब तक मुख्यमंत्री करण अवतार सिंह को लेकर कोई फैसला नहीं करते, तब तक वह उस बैठक में शामिल नहीं होंगे, जिसमें करण अवतार सिंह होंगे।
लंच के बाद बदली तस्वीर
मुख्यमंत्री के साथ मंत्रियों के लंच के बाद तस्वीर बदल गई। जब मनप्रीत बादल से पूछा गया कि कल होने वाली कैबिनेट बैठक में चीफ सेक्रेटरी भी होंगे तो अब उनका स्टैंड क्या होगा। उन्होंने कहा कि वह इस पर अभी कुछ नहीं बोलेंगे। माना जा रहा है कि कैबिनेट में अकेले पड़ने के कारण मनप्रीत ने भी इस मामले को सम्मानपूर्वक ढंग से हल करने का मन बना लिया है। मुख्यमंत्री के रुख के कारण मंत्री पहले ही हथियार डाल चुके हैं। इसलिए मनप्रीत ने भी संधि का ही रास्ता अपना लिया है।
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