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पंजाब में Aam Aadmi Party को संजीवनी देंगे प्रशांत किशोर, दिल्ली जीत के बाद पार्टी ने सौंपी जिम्मेदारी

दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद आप उत्साहित है। पार्टी अब पंजाब पर फोकस करेगी। यहां पार्टी को प्रशांत किशोर नई संजीवनी देंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 09:11 AM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 05:33 PM (IST)
पंजाब में Aam Aadmi Party को संजीवनी देंगे प्रशांत किशोर, दिल्ली जीत के बाद पार्टी ने सौंपी जिम्मेदारी
पंजाब में Aam Aadmi Party को संजीवनी देंगे प्रशांत किशोर, दिल्ली जीत के बाद पार्टी ने सौंपी जिम्मेदारी

चंडीगढ़ [बरींद्र सिंह रावत]। Delhi Assembly Elections Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के साथ आम आदमी पार्टी ने अब पंजाब पर अपनी नजरें गड़ाई हैं। आम आदमी पार्टी ने पंजाब में खुद को जमीनी तौर पर मजबूत करने के लिए प्रशांत किशोर को हायर किया है। दिल्ली में मिली जीत से उत्साहित आप पंजाब में 2022 विधानसभा चुनाव में धमाकेदार उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है।

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प्रशांत किशोर की रणनीति से 2017 के विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह राज्य में कांग्रेस की सरकार बनाने में सफल रहे थे। अब 2022 के विधानसभा चुनाव में वह आम आदमी पार्टी को पंजाब में मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मौजूदा समय में आम आदमी पार्टी का नेतृत्व पंजाब में बिखरा हुआ है।

आप ने पंजाब में 2014 के लोकसभा चुनाव के साथ अपनी दमदार एंट्री की थी। पार्टी ने लोकसभा चुनाव में चार सीटों पर जीत हासिल की थी। पटियाला से डॉक्टर धर्मवीर गांधी, फतेहगढ़ साहिब से हरिंदर सिंह खालसा, फरीदकोट से प्रोफेसर साधु सिंह और संगरूर से भगवंत मान भारी मतों के साथ जीते थे। पार्टी ने राज्य में 24. 39 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, जो कि अकाली दल से मात्र दो फीसद कम थे। इसके तीन साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को 23 प्रतिशत वोट मिले।

पार्टी का जनाधार कुछ कम हुआ, लेकिन वह राज्य की 117 विधानसभा सीटों में से 20 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तो पार्टी के हाथ सिर्फ एक लोकसभा सीट लगी। संगरूर से पार्टी प्रत्याशी भगवंत मान विजय रहे। पार्टी का वोट फीसद सिर्फ 7.38 रह गया।

चुनौती होगा नेताओं को एकजुट करना

आप के लिए पंजाब में राह आसान नहीं होगी। मौजूदा समय में पार्टी बिखरी हुई है। वर्ष 2016 में आप की पंजाब इकाई में फूट की शुरुआत हो गई थी। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अगस्त 2016 को सुच्चा सिंह छोटेपुर को हटाया, तो स्थानीय नेताओं ने दिल्ली लीडरशिप पर हस्तक्षेप का आरोप लगाया। अगस्त 2018 में सुखपाल सिंह खैहरा ने उन्हें पद से हटाए जाने पर बठिंडा में कन्वेंशन कर पंजाब स्टेट यूनिट को पार्टी हाईकमान से अलग ही घोषित कर दिया। खैहरा का साथ छह अन्य एमएलए ने दिया। इनमें कंवर संधू, पिरमल सिंह, जगदेव सिंह, नाजर सिंह, बलदेव सिंह व जगतार सिंह शामिल थे। पार्टी में खैहरा और कंवर संधू को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण हटा दिया। खैहरा ने अलग से पंजाब एकता पार्टी की घोषणा कर दी।

बिखरे हुए हैं नेता

आम आदमी पार्टी के जिन नेताओं ने पंजाब में पार्टी को खड़ा किया था अब वह बिखरे हुए हैं। मानसा के एमएलए नाजर सिंह, रोपड़ के एमएलए अमरजीत सिंह ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी तो जैतो से एमएलए बलदेव सिंह और दाखा से एमएलए हरविंदर सिंह फूलका ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया था। पंजाब विधानसभा में पार्टी के सदस्यों की संख्या 11 रह गई।

आप के लिए अच्छा मौका

आम आदमी पार्टी के नेताओं के लिए मौका अच्छा है। दिल्ली चुनाव में जीत के बाद पार्टी के नेता पंजाब में एक बार फिर जमीनी स्तर से खुद को मजबूत करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए राज्य में पार्टी को नए सिरे से खड़ा किया जाएगा।

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