प्रभ आसरा बचाने को सरकार के द्वार पहुंची सात साल की प्रभनूर
फोटो --- -कुराली स्थित 400 बेसहारों के संस्थान पर 82 लाख का कंस्ट्रक्शन टैक्स -दर्जनों
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-कुराली स्थित 400 बेसहारों के संस्थान पर 82 लाख का कंस्ट्रक्शन टैक्स
-दर्जनों बेसहारा लोगों के साथ म्युनिसिपल भवन पहुंची सात साल की दिव्यांग
-टैक्स माफ करने की मांग, नहीं मिले सिद्धू, विभाग के सचिव ने लिया मांगपत्र
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राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: मोहाली के कुराली में 400 बेसहारा लोगों के लिए बनाए गए प्रभ आसरा संस्थान की बिल्डिंग को कमर्शियल मानते हुए म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (एमसी) ने 82 लाख रुपये का कंस्ट्रक्शन टैक्स लगा दिया है। संस्थान ने इसे माफ करने की गुहार लगाई थी, लेकिन एमसी ने फैसला वापस नहीं लिया, लिहाजा इसी संस्थान में रहने वाली 7 साल की प्रभनूर की अगुवाई में दर्जनों बच्चे व बुजुर्ग पंजाब सरकार के सेक्टर 34 स्थित म्युनिसिपल भवन में स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से मदद मागने पहुंचे। प्रभनूर के दोनों हाथ काम नहीं करते हैं। सैकड़ों बेसहारा व दिव्यांग यहां रहते हैं। प्रभनूर ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनके आसरे को बचाने के लिए सरकार भारी भरकम टैक्स माफ करे। इससे पहले भी सभी मिलकर विरोध जता चुके हैं।
शुक्रवार को करीब 4 एंबुलेंस में यह सारे बेसहारा लोग मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से मिलने के लिए म्युनिसिपल भवन पहुंचे। हालांकि, सिद्धू वहां मौजूद नहीं थे। सिद्धू के प्रतिनिधि के रूप में स्थानीय निकाय के सचिव ए. वेणु प्रसाद ने संस्थान के प्रबंधकों से उनका मागपत्र लिया। वेणु प्रसाद ने बताया कि जो टैक्स लगाया गया है, वह कंस्ट्रक्शन फीस है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह एक नीतिगत मामला है और टैक्स को लेकर पॉलिसी पर विचार किया जाएगा। इसके बाद मामला कैबिनेट के समक्ष भी लाया जाएगा। लोगों के सहयोग से चल रहा संस्थान
प्रभआसरा के भाई शमशेर सिंह ने बताया कि संस्थान कोई कमर्शियल काम नहीं करता। संस्थान बेसहारा व लोगों द्वारा छोड़े गए बुजुर्ग लोगों की देखभाल करता है। यह संस्थान लोगों के सहयोग से चल रहा है। 400 बेसहारा व दिव्यांग बच्चों को संभालने के लिए रोजाना करीब 1 लाख रुपये का खर्च आता है। 82 लाख रुपये का टैक्स देना संस्थान के बस में नहीं है। अत: सरकार को इसे माफ करना चाहिए। भट्ठल के 84 लाख माफ तो हमारे क्यों नहीं
मांगपत्र लेकर पहुंचे लोगों ने कहा कि जब सरकार पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल के सरकारी आवास में रहने के 84 लाख रुपये माफ कर सकती है, तो 400 बेसहारा व मंदबुद्धि लोगों को आश्रय देने वाले संस्थान का टैक्स माफ क्यों नहीं होना चाहिए।