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शहर में पॉलीथिन प्लास्टिक और थर्मोकोल मैन्यूफेक्चरिग यूनिट होंगी बंद

थर्माेकोल की सभी मैन्यूफेक्चरिग यूनिट बंद करनी होंगी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Jul 2019 10:08 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jul 2019 10:08 PM (IST)
शहर में पॉलीथिन प्लास्टिक और थर्मोकोल मैन्यूफेक्चरिग यूनिट होंगी बंद
शहर में पॉलीथिन प्लास्टिक और थर्मोकोल मैन्यूफेक्चरिग यूनिट होंगी बंद

बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : पॉलीथिन प्लास्टिक और थर्माेकोल की सभी मैन्यूफेक्चरिग यूनिट बंद करनी होंगी। तीनों एसडीएम को अपनी ज्यूरीडिक्शन में पड़ने वाले एरिया में यह सुनिश्चित करना होगा कि कहीं भी इसकी मैन्यूफेक्चरिग न हो। पॉलीथिन, थर्मोकॉल और प्लास्टिक की कटलरी आइटम्स की शहर में कहीं भी मैन्यूफेक्चरिग, सेल और परचेज नहीं हो सकती। इंडस्ट्रियल एरिया और पेरीफेरी एरिया में ऐसी कई मैन्यूफेक्चरिग यूनिट चल रही हैं। दर्जनों डिस्ट्रीब्यूटर और डीलर्स हैं जो टनों में माल को सप्लाई करते हैं। इसी सप्ताह एसडीएम, सेनेटरी इंस्पेक्टर, फूड सेफ्टी इंस्पेक्टर और अन्य अधिकारियों की टीम जगह-जगह चेकिग छापेमारी शुरू करेगी। यूटी प्रशासन ने पिछले बुधवार को ही इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी की है। एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एक्ट-1986 के सेक्शन 15 के तहत सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इनके इस्तेमाल पर अब एक लाख रुपये तक का जुर्माना और पांच साल की सजा भी हो सकती है। पहले जुर्माना पांच हजार रुपये लगता था। ऑनलाइन फूड डिलीवरी 15 प्रतिशत तक होगी महंगी

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इन दिनों शहर में ऑनलाइन फूड मंगवाना ट्रेंड बन गया है। फूड डिलीवरी का बिजनेस खूब फल-फूल रहा है। दर्जनों कंपनियां फूड डिलीवरी के बिजनेस में हैं। लेकिन फूड डिलीवरी में डिस्पोजेबल बर्तन और बाउल का इस्तेमाल ही होता है। थर्मोकॉल आइटम भी चलती हैं। बैन के बावजूद अभी भी फूड डिलीवरी इन्हीं से हो रही है। फूड डिलीवरी बिजनेस पर इस फैसले के बाद संकट खड़ा हो गया है। कंपनियों को अभी इसका कोई विकल्प नहीं सूझ रहा है। बताया जा रहा है कि विकल्प काफी महंगा है इस वजह से उन्हें अपनाना बिजनेस को नुकसान पहुंचाने वाला है। इससे कस्टमर की जेब पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। ऑनलाइन फूड 10 से 15 प्रतिशत तक महंगा हो सकता है। व्यापारियों को नहीं सूझ रहा विकल्प

पॉलीथिन और प्लास्टिक पर बैन के बाद व्यापारी भी असमंजस में हैं। भंडारों और सामाजिक फंक्शन में थर्माेकॉल डिस्पोजेबल बर्तन बाउल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। इसके अलावा पॉलीथिन का इस्तेमाल भी बंद नहीं हो पा रहा है। चंडीगढ़ व्यापार मंडल के प्रधान अनिल वोहरा ने बताया कि बैन को लेकर व्यापारियों को जागरूक करने के साथ विकल्प भी सुझाने चाहिए। शुरू से ही व्यापारी इस झंझट में फंसे हैं की कौन सा पॉलीथिन बैन है और कौन सा नहीं। शादी पार्टियों में कटलरी आइटम का इस्तेमाल होता है। यह भी बैन हो चुकी हैं विकल्प महंगे होने से शादियों व पार्टियों का बजट बढ़ जाएगा। यह सब चीजें बैन

-प्लास्टिक कटलरी जिसमें प्लेट, कप, गिलास, बाउल्स, फोरक, चाकू, चम्मच और स्ट्रॉ शामिल हैं।

-थर्मोकोल कटलरी जिसमें प्लेट, कप और बाउल शामिल हैं।

-होटलों में खाना पैक करने के लिए इस्तेमाल होने वाली डिस्पोजेबल बर्तन और बाउल।

-सिल्वर प्लास्टिक फॉयल बैग और प्लास्टिक सिल्वर पाउच।

-500 मिलीलीटर से छोटी पानी की बोतल और पैकिग गिलास।

-एक बार इस्तेमाल होने वाली रेजर्स, पैन, ऑफिस और एजुकेशन में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक स्टेशनरी प्रोडक्ट्स।

-प्लास्टिक और थर्माेकोल से डेकोरेशन।

-नॉन वोवन पोली प्रोपिलीन बैग्स।

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