राजोआणा पर गर्माई राजनीति, कैप्टन ने माना- केंद्र को भेजा नाम; मोदी से कांग्रेस सांसद बिट्टू
बेअंत सिंह हत्याकांड के दोषी बलवंत सिंह राजोआणा की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने पर राजनीति गर्मा गई है। कैप्टन अमरिंदर ने राजोआणा का नाम केंद्र को भेजने की बात कबूली है।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में शामिल बब्बर खालसा के आतंकी बलवंत सिंह राजोआणा की फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलने के फैसले पर राजनीति उलझ गई है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने माना कि केंद्र के मांगने पर उन्होंने 17 टाडा कैदियों की जो सूची भेजी थी, उसमें बलवंत सिंह राजोआणा, जगतार सिंह हवारा व दविंदर पाल सिंह भुल्लर के नाम भी थे। वहीं, दिवंगत सीएम बेअंत सिंह के पोते व लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि वह केंद्र के फैसले के विरोध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे।
कांग्रेस व अकाली-भाजपा सरकार की ओर से भेजी गई सूची में शामिल थे राजोआणा, हवारा व भुल्लर के नाम
कैप्टन ने कहा, 'हमारी सरकार ने तो सिर्फ टाडा के अधीन लंबे समय से जेलों में बंद कैदियों की सूची केंद्र को भेजी थी। फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलने के फैसले में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है। यह फैसला केंद्र ने अपने तौर पर ही लिया है। राज्य सरकार को तो अभी तक कैदियों के नामों की सूची भी हासिल नहीं हुई है। मैं निजी तौर पर फांसी की सजा के खिलाफ हूं और 2012 के अपने स्टैंड पर कायम हूं।'
कैप्टन ने कहा- मैं निजी तौर पर फांसी की सजा के खिलाफ, बिट्टू की अपील, भाजपा नेता साथ दें
दूसरी ओर, बेअंत सिंह के पोते और कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा, 'आतंकी बलवंत सिंह राजोआणा की सजा-ए-मौत को उम्रकैद में बदलना ठीक नहीं है। राजोआणा ने स्वीकार किया है कि उसने बेअंत सिंह की हत्या की। वह संविधान को नहीं मानता। ऐसे में उसकी सजा कम करना ठीक नहीं। मैं यह मुद्दा संसद में उठाऊंगा। प्रदेश भाजपा के पदाधिकारियों से अपील है कि वह भी मेरे साथ पीएम मोदी से मुलाकात करने चलें।'
बादल ने की थी सजा बदलने की अपील, बोले- सिखों के जख्मों पर लगेगा मरहम
2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने टाडा के अधीन सजा पूरी कर चुके विभिन्न राज्यों की जेलों में बंद कैदियों को छोडऩे के लिए पत्र लिखा था। उन्होंने जो सूची भेजी थी। उन्होंने बलवंत सिंह राजोआणा की फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलने की अपील भी की थी। बादल ने केंद्र के फैसले को स्टेटसमैन वाला और दूरंदेशी फैसला बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में सिखों पर बहुत जुल्म हुए हैं। यह फैसला उनके जख्मों पर मरहम रखने जैसा फैसला है।
भाजपा ने इसलिए बदला रुख
बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह फैसला अब क्यों लिया गया? राज्य सरकार ने 2012 में अपील की थी। उस समय राजोआणा को फांसी देने की तारीख मुकर्रर कर की जा चुकी थी। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि इस फैसले को राष्ट्रीय संदर्भ में देखने की जरूरत है। निश्चित तौर पर भाजपा सिख समुदाय को अपने साथ लाना चाहती है। करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलने के फैसले को लेकर दुविधा है। इसका काफी क्रेडिट नवजोत सिंह सिद्धू और इमरान खान को दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के मामले में कश्मीरियों की हिमायत पर अगर कोई है, तो वह पंजाब के सिख हैं। इसलिए इनकी लंबे समय से रुकी हुई मांगों को पूरा करके केंद्र सरकार उन्हें साथ लाने की कोशिश कर रही है। इसलिए पहले सिखों की काली सूची को समाप्त करने का फैसला लिया गया। अब श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर आठ कैदियों को रिहा करने व एक की फांसी की सजा खत्म करने का फैसला लिया गया है।