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पंजाब में शराब पर गरमाई राजनीति, शिअद ने कहा- चार कांग्रेस विधायकों पर कार्रवाई करें सीएम

पंजाब में शराब पर राजनीति गरमाई हुई है। अकाली दल ने कैप्टन सरकार से कथित शराब घोटाले के मामले में चार विधायकों पर कार्रवाई की मांग की है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 06:46 PM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 06:46 PM (IST)
पंजाब में शराब पर गरमाई राजनीति, शिअद ने कहा- चार कांग्रेस विधायकों पर कार्रवाई करें सीएम
पंजाब में शराब पर गरमाई राजनीति, शिअद ने कहा- चार कांग्रेस विधायकों पर कार्रवाई करें सीएम

जेएनएन, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से कहा है कि वह कथित 5600 करोड़ रुपये के अवैध शराब घोटाले के मामले में चार कांग्रेस विधायकों समेत दोषी बड़ी हस्तियों के खिलाफ कार्रवाई करे। पार्टी ने कहा कि वह इस घोटाले के लिए जिम्मेदार शराब कारखानों के मालिकों व नकली शराब बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय एसएचओ को निशाना बनाकर लोगों को मूर्ख न बनाएं।

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वरिष्ठ अकाली नेता प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि इस मामले में घनौर, राजपुरा, खन्ना व बलाचौर के कांग्रेस विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय निचले स्तर के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करके 2000 करोड़ रुपये के नकली शराब के घोटाले व सरकारी खजाने को आबकारी आय में हुए 3600 करोड़ रुपये के घाटे पर पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है।

चंदूमाजरा ने कहा कि यह समस्या एसएचओ व डीजीपी से नहीं, बल्कि उनकी नियुक्ति के लिए जिम्मेदार कांग्रेस विधायकों से जुड़ी है। यदि विधायकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है तो सब कुछ खुलकर सामने आ जाएगा। उन्होंने कहा कि हम उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में इस मामले की जांच करवाने की मांग करते हैं। जांच के लिए एक विधानसभा कमेटी गठित की जाए। सभी दोषियों की पहचान करने, केस दर्ज करने व गिरफ्तारी की जाए।

शराब ही नहीं माइनिंग में भी हो रहा घोटाला: आप

वहीं, आम आदमी पार्टी के बागी विधायक कंवर संधू व अन्य विधायकों ने आरोप लगाया है कि शराब की तरह माइनिंग में भी करोड़ों रुपये का घोटाला हो रहा है। विधायकों ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इस मामले में दखल देने की मांग की है। बागी विधायकों में जगदेव सिंह कमालू, पिरमल सिंह खालसा और जगतार सिंह हिस्सोवाल भी शामिल हैं। संधू ने कहा कि 12 मई को अगले एक माह के लिए घोषित की गई अंतरिम नीति के संकेतों के मुताबिक राज्य को अगले साल 150 करोड़ रुपये से ज्यादा का बड़ा राजकोषीय घाटा होने के साथ-साथ वातावरण की तबाही भी हो सकती है।

उन्होंने कहा कि शुरुआती नीति के अनुसार राज्य ने पिछले साल जून में सात ब्लॉकों में 196 खदानों की नीलामी 306 करोड़ रुपये वार्षिक जो कि लगभग 25 करोड़ रुपये प्रति माह बनती है, के मुताबिक थी। उन्होंने पूछा कि पिछले साल जून से जब से नीलामी हुई है, उस समय से आज तक माइनिंग से राज्य को कितनी रकम प्राप्त हुई है? 12 मई को जारी की सूचना के अनुसार एक माह के लिए सिर्फ 16 साइटों को चलाया जा रहा है, जिसका सरकार को 4.85 करोड़ रुपये की रकम दी जाएगी।

संधू ने कहा कि अन्य खदानें इसलिए शुरू नहीं की गईं, क्योंकि वातावरण मंजूरी (ईसी) इन उक्त खदानों को नहीं प्राप्त हुई थी। क्लीयरेंस न मिलने के कारण सरकार को किसी रॉयल्टी और राजस्व देने से इन्कार कर दिया गया। ज्यादातर खदानें पहले ही गैर कानूनी ढंग चल रही हैं। जिन्हेंं राजनीतिक संरक्षण देने वाले रोजाना 10 से 50 लाख रुपये गुंडा टैक्स इकट्ठा कर रहे हैं। 

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