चुनावी मौसम में सियासी दलों के अपने दांव, कांग्रेस और शिअद ने खेले अलग-अलग कार्ड
पंजाब में चुनावी मौसम करीब आते ही राजनीतिक दलों ने अपने-आने दांव चलने शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस ने किसान कार्ड तो शिअद ने पंथ कार्ड खेला है।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। चुनावी मौसम नजदीक आते ही पंजाब में राजनीतिक दलों ने अपने-अपने दांव लगाने शुरू कर दिए हैं। राज्य में पंचायत चुनाव का बिगुल भी बज गया है और अगले साल लोकसभा चुनाव हाेना है। इसको देखते हुए कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने अपने-अपने कार्ड खेलने शुरू कर दिए हैं।
राज्य के 13276 पंचायतों में चुनाव होने हैं। 2019 के लोक सभा चुनाव से पहले होने वाले चुनाव से ठीक पहले जहां कांग्र्रेस ने किसान कर्ज माफी का कार्ड खेला है तो वहीं, अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने पंथ के विश्वास को जीतने के लिए श्री अकाल तख्त में जाकर माफी मांगने का फैसला किया है। पंचायत चुनाव से ठीक पहले राज्य के दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों में अप्रत्याशित रूप से ग्र्रामीण वोटबैंक को मजबूत करने की होड़ शुरू हो गई है।
कांग्रेस ने किसान तो सुखबीर ने खेला पंथ कार्ड, 2019 की राह को आसान करने को दोनों पार्टियों ने फेंका पासा
कैप्टन सरकार ने पंचायत चुनाव से पहले किसान कर्ज माफी पर दांव खेला है। पटियाला में शुक्रवार को जैसे ही किसान कर्ज माफी का समारोह खत्म हुआ, वैसे ही राज्य चुनाव कमिश्नर जगपाल सिंह संधू ने पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी। किसान कर्ज माफी समारोह और पंचायत चुनाव की घोषणा की टाइमिंग अपने आप में यह दर्शाता है कि सरकार पंचायत चुनाव को लेकर कितनी गंभीरता से देख रही है। क्योंकि अब चुनाव की घोषणा के साथ ही राज्य में आचार संहिता लग गई है।
यही कारण है कि पहले 5 दिसंबर को अबोहर में किसान कर्ज माफी की तारीख निर्धारित की गई थी। लेकिन बाद में इसे बदल कर 7 दिसंबर तो किया ही गया बल्कि समारोह का स्थल भी अबोहर से पटियाला कर दिया गया। इसका मुख्य कारण पटियाला मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र है।
दूसरी तरफ 2019 के लोक सभा चुनाव से पूर्व राज्य के 13276 पंचायतों के लिए 83,831 पंचों का चयन होना है। कांग्र्रेस और अकाली दल अच्छी तरह जानती है कि 2019 की रास्ता पंचायतों से ही होकर गुजरता है। यही कारण है कि कांग्र्रेस ने 1.09 लाख सीमांत किसानों 1771 करोड़ रुपये की कर्ज राहत दी है।
दूसरी तरफ सरकार के लिए परेशानी का कारण बने बरगाड़ी में चल रहा धरना भी खत्म होने जा रहा है। यह सरकार के लिए यह भी राहत वाली बात है। क्योंकि बरगाड़ी में चल रहे लंबे समय से धरने के कारण सरकार की खासी किरकिरी हो रही थी।
अहम पहलू यह है कि एक तरफ जहां सरकार ने किसान कर्ज माफी का कार्ड खेला है तो वहीं, अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने ने खिसक रहे पंथक वोट को वापस सहेजने के लिए अकाल तख्त में जाकर माफी मांगने का फैसला किया है। सुखबीर ने यह फैसला भी तब लिया जब राज्य में पंचायत चुनाव का बिगुल बज गया। क्योंकि बेअदबी कांड के कारण पंजाब में अपनी सत्ता गंवा चुके सुखबीर बादल से पंथक वोट बैंक भी नाराज दिखाई दे रहा था। उनकी अपनी पार्टी में ही विरोध शुरू हो गया है।
सुखबीर को भी लग रहा था कि विरोध की आग को जल्द ही नहीं रोका गया तो यह और भड़क सकती है। यही कारण है कि सुखबीर ने अकाल तख्त में जाकर अपनी गलतियों की माफी मांगने का फैसला किया है, ताकि पंथ के दिल में पुन: अपनी जगह बना सके। अब देखना होगा कि पंचायत चुनाव पर इसका कितना असर पड़ता है।