संगरूर लोकसभा उपचुनाव के लिए सियासी समीकरण बनने शुरू, पढ़ें कौन पार्टी किस पर खेल सकती है दांव
संगरूर लोकसभा उपचुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है। यह सीट भगवंत मान के सीएम बनने के कारण खाली हुई है। संगरूर सीट के लिए उम्मीदवारों के चयन को लेकर कयासबाजी शुरू हो गई है।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। भगवंत मान के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके संगरूर संसदीय सीट से इस्तीफा देने के बाद खाली हुई सीट पर उपचुनाव को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने जिस तरह से संगरूर में डेरा लगा लिया है और वे सुबह शाम लोगों से मिल रहे हैं उससे लगता है कि कांग्रेस इस सीट पर होने वाले चुनाव को गंभीरता से ले रही है।
राजा वड़िंग की मुख्यमंत्री भगवंत मान को इसी सीट पर उनकी ओर से पूर्व मंत्री विजय इंद्र सिंगला को लेकर दी गई चुनौती भी इशारा इसी ओर कर रही है कि कांग्रेस ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। नवजोत सिंह सिद्धू के जेल जाने और सुनील जाखड़ सरीखे नेताओं के पार्टी छोड़ने को दरकिनार कर पार्टी इस उपचुनाव में अपनी ताकत झोंकना चाहती है।
अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने लोगों से मिलते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान से कहा कि वह विजय इंद्र सिंगला जितना संगरूर का विकास करके दिखाएं। साफ है कि पूर्व मंत्री सिंगला को इस संसदीय चुनाव में खड़ा करने की तैयारी की जा रही है। विजय इंद्र सिंगला पहले भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। तब सांसद रहते हुए उन्होंने पीजीआइ का सेटेलाइट सेंटर, संगरूर और धूरी में ओवरब्रिज जैसे काम करवाए। इन्हीं कामों को राजा वड़िंग लोगों को याद दिला रहे हैं।
2014 में भगवंत मान ने विजय इंद्र सिंगला को हराकर पहली बार संसद में कदम रखा। 2019 में भी उन्हें दूसरी बार जीत नसीब हुई, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में जीतने और मुख्यमंत्री बनने के चलते यह सीट भगवंत मान को छोड़नी पड़ी अब जबकि आम आदमी पार्टी की सरकार बने दो महीने हो गए हैं और उपचुनाव की घोषणा भी किसी भी समय हो सकती है। ऐसे में नई सरकार के लिए यह पहली परीक्षा होगी।
2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत से पार्टी को पंजाब से सात राज्य सभा की सीटें मिलना तो सुनिश्चित है। इनमें से पांच मिल चुकी हैं और दो का चुनाव जुलाई में होना है, लेकिन लोकसभा में पार्टी के एकमात्र सांसद भगवंत मान ही थे जिन्होंने अब इस्तीफा दे दिया है। पार्टी अभी यहां से अपना उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। हालांकि इस बात की चर्चा है कि पार्टी भगवंत मान की बहन मनप्रीत को खड़ा कर सकती है, लेकिन यह पार्टी के एक परिवार से एक टिकट के सिद्धांत के खिलाफ भी है।
दूसरी ओर शिरोमणि अकाली दल ने जिस प्रकार से बंदी सिखों को मुद्दा उठाया हुआ है। उसको लेकर चर्चा है कि वह पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआणा की बहन कमलजीत कौर को खड़ा कर सकते हैं। अकाली हलकों में इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है। संगरूर संसदीय सीट सिख बाहुल सीट है। अगर शिअद अपना पंथक वोट बैंक फिर से इकट्ठा करने में कामयाब हो जाता है तो यह पार्टी के लिए भी संजीवनी से कम नहीं होगा।
उधर, भारतीय जनता पार्टी भी पहली बार इस सीट को लड़ना चाहती है। उन्होंने राणा गुरमीत सिंह सोढी को संसदीय चुनाव का प्रभारी बना दिया है। माना जा रहा है कि पूर्व विधायक अरविंद खन्ना को इस सीट से उतारा जा सकता है। पार्टी ने अभी अपना उम्मीदवार फाइनल नहीं किया है। भाजपा का कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल संयुक्त के साथ समझौता है। चूंकि यह सीट पहले सुखदेव सिंह ढींडसा लड़ते रहे हैं इसलिए अगर उनके परिवार से किसी उम्मीदवार को टिकट दिया जाता है तो परमिंदर सिंह ढींडसा भी मैदान में उतर सकते हैं।