शिअद में फिर गर्माया सियासी माहौल, सांसद ब्रहमपुरा व पूर्व मंत्री अजनाला निष्कासित
कई टकसाली नेताओं को निष्कासित किए जाने से शिअद में माहौल गर्मा गया है। शिअद ने सांसद रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा, डॉ. रतन सिंह अजनाला व उनके बेटों को पार्टी से निकाल दिया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में एक के बाद एक बागी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई से सियासी माहौल गर्मा गया है। शिअद ने बागी तेवर दिखा रहे खडूर साहिब के सांसद रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा, उनके बेटे पूर्व विधायक रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा, पूर्व मंत्री डॉ. रतन सिंह अजनाला व उनके बेटे अमरपाल सिंह बोनी को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है। उनको पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में छह साल के लिए शिअद की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किया गया है। दूसरी ओर, इन टकसाली नेताओं ने कहा कि इस कदम की पार्टी को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
कोर कमेटी की बैठक में छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निकालने का फैसला
इन नेताओं को निष्कासित करने का फैसला अकाली दल की कोर कमेटी की बैठक में किया गया। इससे पहले पार्टी ने पूर्व मंत्री सेवा सिंह सेखवां को भी इन्हीं आरोपों के चलते पार्टी से निष्कासित कर दिया था। वरिष्ठ नेताओं के निष्कासन पर अकाली दल ने अफसोस भी जताया है। पार्टी की कोर कमेटी ने कहा कि ब्रह्मपुरा व डॉ. अजनाला व उनके दोनों बेटों ने पार्टी के नेताओं व पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल के खिलाफ बयानबाजी की। पार्टी की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए इसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता। महत्वपूर्ण यह है कि दोनों नेता अकाली सरकार में दो बार मंत्री रहे, चार बार विधायक रहे व पार्टी के कई बड़े पदों पर भी रहे।
कोर कमेटी ने कहा कि ब्रह्मपुरा बेअदबी के मुद्दे पर पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। वह यह भूल गए हैं कि जब कांग्रेसी नेता रमनजीत सिंह सिक्की ने बेअदबी के मुद्दे पर रोष केचलते इस्तीफा दिया था, तो खाली सीट पर अपने पुत्र रविंदर सिंह बह्मïपुरा को चुनाव लड़ाने के लिए रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने पार्टी लीडरशीप पर जोर डाला था।
ब्रह्मपुरा ने भतीजे को लगवाया था सूचना आयुक्त
कोर कमेटी में यह भी मुद्दा उठा कि ब्रह्मपुरा ने अकाली दल की सरकार में अपने भतीजे अलविंदर पाल सिंह पखोके को पंजाब सूचना आयोग में कमिश्नर लगवाया था। कोर कमेटी ने कहा कि पार्टी के विरुद्ध अनुशासनहीनता को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
लोकसभा की सदस्यता पर फैसला नहीं
शिअद कोर कमेटी ने सांसद रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा को पार्टी से तो निष्कासित कर दिया है, लेकिन उनकी लोकसभा सदस्यता को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी लोकसभा के स्पीकर को इसकी अधिकारिक सूचना नहीं भी दे सकती है। यानी जब तक लोकसभा के चुनाव नहीं हो जाते, वह अकाली दल के ही सांसद बने रह सकते हैं। अगले दो माह में लोकसभा चुनाव की घोषणा होने की संभावना है। इसे देखते हुए भी पार्टी स्पीकर को सूचना नहीं दे सकती है।
यह है नियम
पार्टी से निकाले जाने के बाद पार्टी को स्पीकर को अधिकारिक पत्र भेजना पड़ता है। इसके बाद बाद स्पीकर सदस्य को पार्टी से मुक्त मानता है और वह आजाद सांसद की श्रेणी में शामिल हो जाता है। अगर अकाली दल स्पीकर को पत्र नहीं लिखती है, ब्रह्मपुरा लोकसभा में अकाली दल के ही सांसद बने रहेंगे।
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निष्कासन के बाद बोले चारों नेता- बादल पुत्र मोह में बेबस, सुखबीर मजीठिया के दबाव में
तरनतारन। शिअद से निष्कासन के बाद सांसद रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा, पूर्व मंत्री डॉ. रतन सिंह अजनाला, रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा और बोनी अमरपाल सिंह अजनाला ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पुत्र मोह में बेबस हैं। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल अपने साले बिक्रम सिंह मजीठिया के दबाव में आकर गलत फैसले ले रहे हैं, जो पार्टी लिए घातक साबित होंगे। उन्होंने कहा कि मजीठिया नहीं चाहते कि शिअद में कोई ऐसा दिग्गज नेता रहे, जिससे मजीठिया को माझा के जरनैल का रुतबा न मिले।
इन नेताओं ने कहा कि बेअदबी के मामले पर पहले भी आवाज उठाई थी, लेकिन उस समय न तो सुखबीर सिंह बादल ने सुनी और न ही प्रकाश सिंह बादल ने। पार्टी की ओर से बाहर का रास्ता दिखाए जाने के फैसले का उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
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टकसाली नेताओं को निकालने की कीमत चुकानी पड़ेगी: रङ्क्षवदर ब्रह्मपुरा
अमृतसर। पार्टी ने निकाले जाने के बाद पूर्व विधायक रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा ने यहां कहा कि सुखबीर बादल व बिक्रम मजीठिया ने अकाली दल को अपनी जगीर बना लिया है। दोनों जीजा-साला तानाशाह बने हुए हैं। कुर्बानियां देकर अकाली दल को खड़ा करने वाले टकसालियों को साजिश के तहत बाहर किया जा रहा है। इसकी कीमत सुखबीर व मजीठिया को आने वाले दिनों में चुकानी पड़ेगी। सुखबीर को वहीं नेता और वर्कर पसंद हैं, जो उनकी खुशामद में दिन-रात लगे रहें।
उन्होंने कहा कि उनके पिता रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने जब राजनीति शुरू की थी उस समय सुखबीर, बिक्रम और हरसिमरत पैदा भी नहीं हुए थे। आज बिना किसी कुर्बानी के ही यह अकाली दल के मालिक बने हुए हैं। टकसाली और कुर्बानी वाले अकाली नेता लंबे समय से पार्टी में घुटन महसूस कर रहे हैं। आने वाले समय में सभी मिल बैठ कर कोई बड़ा सार्थक फैसला लेंगे, ताकि अकाली दल को निजी जागीर समझने वालों से रक्षा की जाए सके।