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जानलेवा मोमो गेम से बच्चों को बचाएगी पुलिस

ब्लू व्हेल गेम की तरह ही देश के कई शहरों में मोमो गेम के चैलेंज के चक्कर में हुई आत्महत्या की घटनाओं के बाद अब यूटी पुलिस भी सजग हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 05:59 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 11:13 AM (IST)
जानलेवा मोमो गेम से बच्चों को बचाएगी पुलिस
जानलेवा मोमो गेम से बच्चों को बचाएगी पुलिस

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : ब्लू व्हेल गेम की तरह ही देश के कई शहरों में मोमो गेम के चैलेंज के चक्कर में हुई आत्महत्या की घटनाओं के बाद अब यूटी पुलिस भी सजग हो गई है। पुलिस का दावा है भले ही शहर में अभी तक ऐसी कोई शिकायत या घटना सामने न आई हो, लेकिन इस मामले में पहले से जागरूकता के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए अभिभावकों और स्कूल प्रबंधकों को आगाह किया जा रहा है। यूटी पुलिस का दावा है जल्द ही अभिभावकों और स्कूलों को एक एडवाइजरी जारी की जाएगी। चंडीगढ़ पुलिस की डीएसपी (साइबर सेल) रश्मि यादव ने स्कूल प्रबंधकों को सतर्क करते हुए कहा है कि मोमो गेम को लेकर बच्चों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाओं को देखते हुए हमें सजग रहने की जरूरत है। यदि किसी भी बच्चे का लगाव स्मार्ट फोन या लैपटॉप के प्रति जरूरत से ज्यादा हो तो उस पर नजर रखने की आवश्यकता है। कोई भी बच्चा मोमो गेम के जानलेवा चैलेंज के चक्कर में फंस सकता है। यदि उसके दिनचर्या या व्यवहार में कोई संदिग्ध फर्क नजर आए तो उसे नजरअंदाज करना घातक हो सकता है। डर का कारण ताजा घटनाएं

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जानलेवा ब्लू व्हेल गेम के बाद अब खतरनाक मोमो चैलेंज के प्रति डर का कारण हाल में हुई ताजा घटनाएं हैं। पिछले दिनों राजस्थान के अजमेर में छात्रा की खुदकशी की घटना के बाद से ही यूटी पुलिस इस मामले में सतर्क होने का दावा कर रही है। चंडीगढ़ साइबर सेल के अधिकारियों की मानें तो पुलिस की ओर से जल्द ही ऐसे जानलेवा गेम्स के लक्षण, बचाव, सुझाव को लेकर विशेष एडवाइजरी पेरेंट्स व स्कूलों को जारी की जाएगी। यूटी पुलिस की साइबर सेल भी जानलेवा गेम के बारे में अपने स्तर से जाच कर रही है। इस मामले में साइबर एक्सपर्ट की सलाह की जा रही है। पुलिस का कहना है कि यह गेम डाटा चोरी करने, एक्सटोर्शन मनी लेने और बच्चों को मानसिक तौर पर कमजोर करने का एक तरीका है। मोमो चैलेंज कैसे बनाता है मासूमों को अपना शिकार

साइबर एक्सपर्ट प्रोफेसर नवनीत गर्ग के मुताबिक इस खतरनाक गेम की शुरुआत होती है एक अज्ञात नंबर से। इस नंबर के जरिये वाट्सएप पर एक मैसेज भेजा जाता है। फिर उसमें दोस्ती करने के लिए एक चैलेंज दिया जाता है। इसके बाद अगले स्टेप में बात करने का चैलेंज दिया जाता है। फिर यूजर को डरावनी फोटो और वीडियोज भेजी जाती हैं। अगर यूजर उनके जरिए दिये गए टास्क को पूरा नहीं कर पाता या मना कर देता है तो उसे अलग- अलग तरीकों से डराया जाता है। जान से मारने की धमकी भी दी जाती है। इसमें फोन पर एक डरावनी जापानी गुड़िया का चेहरा उभर आता है, जो अपनी बड़ी- बड़ी आखों से यूजर को डराती है। इस डर की वजह यूजर सुसाइड तक करने के लिए प्रेरित होता है। यदि सुसाइड नहीं कर पाते तो डिप्रेशन में चले जाते हैं। अन्य शहरों की पुलिस पहले ही सतर्क

देश के कई शहरों की पुलिस पहले ही एडवाइजरी जारी कर चुकी है। इसमें खास तौर से राजस्थान पुलिस, लखनऊ पुलिस और नागपुर पुलिस शामिल है। मोमो चैलेंज गेम से कैसे बच सकते हैं

-अपने वाट्सएप वाला नंबर सिर्फ जानकारों को ही दें।

-अपने फोन पर किसी अज्ञात का फोन नंबर सेव न करें।

-मोमो चैलेंज गेम खेलने वाले दोस्तों से दूर रहें और उनकी शिकायत करें।

-अगर कोई आपको मोमो गेम की फोटो भेजे या उससे संबंधित कोई काम करने को कहे तो उस नंबर को तुरंत ब्लॉक कर दें। कोई जवाब न दें और तुरंत पुलिस को इसकी जानकारी दें।

-अपने बच्चों को इस तरह के खेल खेलने के लिए पहले से ही अलर्ट कर दें। इस तरह कर सकते हैं मासूमों की मदद

साइबर एक्सपर्ट प्रोफेसर नवनीत गर्ग के अनुसार आजकल आउटडोर गेम की अपेक्षा इनडोर गेम में बच्चों की दिलचस्पी ज्यादा है। बच्चों को टेक्निकल चीजें ज्यादा पसंद आती हैं। फिजिकल गेम की तरफ दिलचस्पी न रखते हुए वह मोबाइल और इंटरनेट गेम्स खेलना पसंद करते हैं। इसके लिए उनका अकेलापन भी काफी हद तक जिम्मेदार है। छोटे और व्यस्त परिवारों में बच्चों को पेरेंट्स उतना समय नहीं दे पाते, जितना उन्हें मिलना चाहिए। इसके चलते बच्चे अकेलेपन का शिकार होने लगते हैं।

पेरेंट्स की जिम्मेदारी

-बच्चों के साथ दिन में कम से कम 2-3 घटे जरूर बिताएं।

-उनसे प्रत्येक मुद्दे पर खुलकर बात करें।

-सही और गलत की समझ करना सिखाएं।

-बच्चों के साथ अपने भावनात्मक संबंध बनाएं।

-उन्हें बताएं कि आप उनकी परवाह करते हैं।

-मोबाइल और इंटरनेट के इस्तेमाल का समय निश्चित करें।

-किताबों से उनकी दोस्ती कराने में मदद करें। पहले ब्लू व्हेल गेम से फैली थी सनसनी

कुछ महीनों पहले ब्लू व्हेल गेम को लेकर काफी चर्चा थी। इस गेम की वजह से भी बच्चों की आत्महत्या की घटनाएं हुई। सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव रहने वाले बच्चे ही इसके शिकार हुए। इंस्टाग्राम पर भी इससे जुड़े पोस्ट तेजी से वायरल होने लगे थे। इस गेम के माध्यम से अपने मेंबर्स को रोजाना नया टास्क मिलता था, जिसे 50 दिन में पूरा करना होता था।

सोशल मीडिया पर मोमो जैसे करीब 33 खतरनाक गेम सक्रिय हैं। कुछ गेम का नाम ज्यादा सामने आ जाता है, पर इसको लेकर घबराने की नहीं जागरूक होने की जरूरत है। व्लू व्हेल के बाद से ही यूटी पुलिस अपने कार्यक्रम व अवेयरनेस कैंप में बच्चों को ऐसे गेम्स से दूर रहने के प्रति लगातार जागरूकता कार्यक्रम चला रही है। अभी तक यूटी पुलिस के पास मोमो गेम से जुड़ी एक भी शिकायत नहीं आई है।

- रश्मि यादव (डीएसपी साइबर सेल)


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