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पीजीटी संस्कृत के चयनित अभ्यर्थियों ने किया प्रदर्शन

संस्कृत के पीजीटी अध्यापकों की ज्वाइनिग की मांग को लेकर पंचकूला में जारी धरने के चौथे दिन चयनित अभ्यर्थियों ने धरना स्थल सेक्टर-5 से शांतिपूर्ण तरीके से पैदल मार्च शुरू किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 09:03 PM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 09:03 PM (IST)
पीजीटी संस्कृत के चयनित अभ्यर्थियों ने किया प्रदर्शन
पीजीटी संस्कृत के चयनित अभ्यर्थियों ने किया प्रदर्शन

जासं, पंचकूला : संस्कृत के पीजीटी अध्यापकों की ज्वाइनिग की मांग को लेकर पंचकूला में जारी धरने के चौथे दिन चयनित अभ्यर्थियों ने धरना स्थल सेक्टर-5 से शांतिपूर्ण तरीके से पैदल मार्च शुरू किया। इसमें शामिल अभ्यर्थी हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग व हरियाणा शिक्षा विभाग के कार्यालय तक गए। इस बीच उन्होंने राष्ट्र गान गाया और बड़े ही उत्साह से संस्कृत के प्रति आस्था व्यक्त करते हुए सरकार से गुहार लगाई कि जल्द से जल्द इन चयनित उम्मीदवारों को सरकार स्कूलों में भेजने का काम करे। इसी बीच तेज बारिश शुरू से से पैदल मार्च में शामिल अभ्यर्थी वापस धरनास्थल पर पहुंच गए। उन्होंने बताया कि संस्कृत के पीजीटी शिक्षकों की भर्ती के लिए साल 2015 में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की ओर से एक विज्ञापन जारी किया गया था। इसके लिए परीक्षा साल 2016 में आयोजित की गई। 2017 में डॉक्यूमेंट्स वेरीफिकेशन करवाई गई। 2018 में साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी हुई।

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इसके बाद आयोग द्वारा एक जनवरी 2019 को अंतिम परिणाम घोषित कर दिया गया, जिसमें 523 उम्मीदवारों का चयन किया गया। यह चयन पूर्ण रूप से विज्ञापन के अनुसार हुआ तथा माननीय हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने भी विज्ञापन के अनुसार भर्ती करने का आदेश दिया। इसके अनुसार अंतिम परिणाम जारी किया गया, परंतु इसके बाद 11 जनवरी 2019 को भर्ती से विज्ञापन की शर्ते पूरी नहीं करने के कारण बाहर हुए अभ्यर्थियों के द्वारा माननीय हाईकोर्ट की सिगल बेंच से स्टे ले लिया गया। इसके बाद 27 मार्च के डिविजन बेंच की पुनर्विचार याचिका के फैसले में भी चयन प्रक्रिया को सही बताया गया। इसी बीच बाहर हुए अभ्यार्थी सुप्रीम कोर्ट तक भी चले गए, वहां से उनका केस डिसमिस हो गया। उसके बाद भी आज तक सिगल बेंच का स्टे सरकार नहीं हटवा पाई है जिस कारण से नियुक्ति प्रक्रिया लंबित है, जो अध्यापक प्राइवेट स्कूलों में या फिर कहीं और अपना गुजारा कर रहे थे। उनको यह कहकर बाहर निकाल दिया गया कि आपकी तो अब स्कूलों में नियुक्ति हो जाएगी, इसलिए हम आपको अब नहीं रख सकते। अब यह सभी बेरोजगार होकर पिछले 8 महीने से दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हो रहे हैं।


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