PGI पढ़ा रहा अंगदान का पाठ, ट्रेनिंग लेने पहुंच रहा दूसरे राज्यों के संस्थानों का स्टाफ Chandigarh News
चंडीगढ़ पीजीआइ अंगदान जागरूकता फैलाने में दूसरों के लिए गुरु की भूमिका में नजर आ रहा है। अंगदान के बेहतर परिणाम को देखते हुए अन्य का स्टाफ को यहां प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
चंडीगढ़, [वीणा तिवारी]। चंडीगढ़ पीजीआइ अंगदान जागरूकता फैलाने में दूसरों के लिए गुरु की भूमिका में नजर आ रहा है। संस्थान के अंगदान के बेहतर परिणाम को देखते हुए अन्य प्रदेशों के चिकित्सा संस्थान अपने स्टाफ को यहां ट्रेनिंग लेने के लिए भेज रहा है। मौजूदा समय में पीजीआइ रोटो के ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर दिल्ली के राम मनोहर लोहिया के कोऑर्डिनेटरों को इसका पाठ पढ़ा रहे हैं। ट्रेनिंग प्रोग्राम के अंतर्गत अब तक वहां के तीन कोऑर्डिनेटर को इसकी जानकारी दी जा चुकी है।
काउंसलिंग की बारीकियां जानना बेहद जरूरी
ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर ने बताया कि किसी मरीज के परिजन को अंगदान के लिए राजी करना बेहद मुश्किल टास्क है। लेकिन इसे समझदारी और बेहतर काउंस¨लग के बल पर किया जा सकता है। इसके लिए उस मरीज के परिजनों से पारिवारिक होना सबसे जरूरी है। इलाज करने वाले डॉक्टर से उस मरीज के ब्रेन डेड होने की जानकारी मिलने के बाद एक-एक स्टेप पर फोकस रखकर काम करना पड़ता है। मरीज के वार्ड की वार्ड आया, स्वीपर से उनकी एक-एक जानकारी लेनी होती है। उस जानकारी के आधार पर संबंधित परिवार के बैकग्राउंड का आकलन किया जाता है। जिसके आधार पर यह निर्णय लिया जाता है कि उन्हें अंगदान के लिए कैसे राजी करना है।
अंगदान कर किसी को दें जीवनदान
अपने परिजन या रिश्तेदार का अंगदान करवाकर आप किसी बीमार और जिंदगी-मौत की जंग लड़ रहे व्यक्ति को नया जीवन दे सकते हैं। लेकिन देश में अंगदान करने वालों की संख्या बेहद सीमित है। भारत में अंगदान करने वालों की संख्या प्रति 10 लाख पर एक से भी कम है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि हर साल देशभर में जहां लगभग 1,75,000 लोगों को किडनी की जरूरत होती है, वहीं उपलब्धता मात्र 5000 की है।
इन अंगों को कर सकते हैं दान
डॉक्टरों के मुताबिक मौत के बाद अंगदान करके एक व्यक्ति कम-से-कम आठ लोगों की जान बचा सकता है। ब्रेन डेड घोषित होने के बाद सभी अंग डोनेट किए जा सकते हैं। इसके लिए परिजनों की अनुमति लेना अनिवार्य है। ब्रेन डेड मरीज की किडनी, लीवर, फेफड़ा, पैनक्रियाज, छोटी आंत, वॉयस बॉक्स, हाथ, यूट्रस, ओवरी, फेस, आंखें, मिडल इयर बोन, स्किन, बोन, तंतु, धमनी व शिराएं, कोनिया, हार्ट वाल्व, नर्व्स, अंगुलियां और अंगूठे दान किए जा सकते हैं।
पीजीआइ में तीन साल में हुए अंगदान
2017- 107
2016- 64
2015- 70
पीजीआइ में तीन साल में हुए नेत्रदान
2017- 456
2016- 436
2015- 396
ज्यादा से ज्यादा लोगों को अंगदान के लिए जागरूक करने का प्रयास
हमारा हर स्टाफ यह प्रयास करता है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक किया जाए। बाहर के लोगों को भी इसकी जानकारी दी जा रही है। क्योंकि इसकी व्यापक जागरूकता के बल पर ही जिंदगी-मौत के बीच जंग करने वाले मरीजों को जीवनदान दिया जा सकता है।
-डॉ. विपिन कौशल, नोडल ऑफिसर रिजनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन, पीजीआइ।