पीजीआइ को बायोमेडिकल डिवाइस इंस्ट्रूमेंटेशन की सौगात
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : पेशेंट केयर के मामले में देशभर में ख्याति प्राप्त संस्थान पीजीआइ क
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : पेशेंट केयर के मामले में देशभर में ख्याति प्राप्त संस्थान पीजीआइ को बायोमेडिकल डिवाइस इंस्ट्रूमेंटेशन व इनोवेशन कलस्टर की सौगात केंद्र सरकार से मिली है। केंद्रीय साइंस व तकनीकी मंत्रालय की ओर से मंजूरी दी गई है। 10 करोड़ की राशि भी सेंक्शन करने की जानकारी सामने आ रही है। फिलहाल देशभर में अन्ना यूनिवर्सिटी में ही इस तरह का सेंटर है। पंजाब यूनिवर्सिटी ने भी मानव संसाधन विकास मंत्रालय को इसी तरह के सेंटर के लिए अप्लाई किया था, लेकिन फिलहाल तक कुछ नहीं हुआ है। पीजीआइ में इसके बनने से हर तरह के मेडिकल उपकरणों का निर्माण क्लीनिकल ट्रायल पर यहां किया जा सकेगा। सेंटर से पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज और सीएसआइओ को भी जोड़ा जाएगा। इन संस्थानों के साथ सयुंक्त रूप से रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे। कलस्टर बनने से केलिब्रेशन टेस्ट, ट्रेनिंग प्रोग्राम, मेडिकल डिवाइस ट्रायल, इंप्लांट निर्माण और रिसर्च को मार्केट में उतारने में मदद मिलेगी । केलिब्रेशन टेस्ट से रिसर्च को मिलेगा बढ़ावा
कलस्टर बनने से रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा। केलिब्रेशन टेस्ट के लिए मेडिकल उपकरण बनाए जाएंगे। यह ऐसा टेस्ट होता है, जिसमें एक यंत्र के माध्यम से पता लगाया जाता है कि मेडिकल उपकरण सही तरीके से काम कर रहे हैं कि नहीं। इसमें यंत्र की एक्यूरेसी, रिप्रोडक्टिविटी, विश्वसनीयता और जीवन काल का सही तरीके से पता लगेगा। हर तरह के मेडिकल उपकरणों का ट्रायल होगा शुरू
कलस्टर बनने से हर तरह के मेडिकल उपकरण यहां बनाए जा सकेंगे और इनका यहां क्लीनिकल ट्रायल हो सकेगा। इलाज के लिए आने वाले मरीजों पर यह ट्रायल नियमानुसार होगा। इसके अलावा सीनियर एक्सपर्ट्स द्वारा यहां ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाए जाएंगे। उनको उपकरणों के इस्तेमाल को लेकर ट्रेनिंग दी जाएगी। यह मिलेगा लाभ
-ऑर्थो और डेंटल इंप्लांट बनाना
-सर्जरी उपकरण निर्माण
-रोबोटिक सर्जरी उपकरण बनाना
-मरीजों और डॉक्टर फ्रेंडली बेडिंग तैयार करना
-रिसर्च और डेवलपमेंट (आरएंडडी) को बढ़ावा देना
-मैनपावर को ट्रेनिंग देना
-एनेस्थिटिक इक्विपमेंट भी बनेंगे
-हार्ट, पेनक्रयाटिक लीकेज मैपिंग, लो कोस्ट मलेरिया टेस्टिंग डिवाइस भी बनेंगे सस्ते इंप्लांट मिलेंगे समय पर
हर रोज मरीज ऑर्थो और डेंटल इंप्लांट के लिए केमिस्ट के चक्कर काटते हैं, लेकिन देर से और महंगे मिलते हैं। मरीजों को सस्ते दामों पर मेडिकल उपकरण समय पर उपलब्ध होंगे। फिलहाल अमृत फार्मेसी पर इंप्लांट मिल तो रहे हैं, लेकिन ज्यादा कीमत और लेटलतीफी को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। साइंस व तकनीकी मंत्रालय की सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अनिता अग्रवाल ने कहा कि रिसर्च को व्यवसायिक स्तर पर लाया जाएगा। उन्होंने 10 करोड़ की राशि सेंक्शन किए जाने की पुष्टि की भी। हमारी तरफ से इसको मंजूरी दे दी गई है, बाकायदा राशि भी सेंक्शन कर दी गई है। इसके पीजीआइ में बनने से मेडिकल उपकरण सस्ते होंगे। हर तरह के उपकरणों का यहां ट्रायल हो सकेगा।
-डॉ. नीरज शर्मा, एडवाइजर, केंद्रीय साइंस व तकनीकी मंत्रालय