खतरनाक है IBD बीमारी, अगर आपको भी हैं ये लक्षण तो तुरंत कराएं जांच, PGI चंडीगढ़ के डॉक्टर ने बताए बचाव के तरीके
दस्त को हल्के में नहीं लेना चाहिए। ज्यादा दिनों तक दस्त रहने से छोटी और बड़ी आंत में होने वाले जख्म से कैंसर तक बन सकता है। यह कहना है पीजीआइ के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग की एचओडी प्रोफेसर उषा दत्ता का।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज (आइबीडी) एक ऐसी बीमारी है जिसे हल्के में लेना जान के लिए खतरा हो सकता है। पीजीआइ चंडीगढ़ के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग की हेड प्रोफेसर ऊषा दत्ता ने बताया कि इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज (आइबीडी) इंसान पाचन तंत्र को ग्रस्त करने वाली दो मुख्य बीमारियां अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग है। अल्सरेटिव कोलाइटिस एक ऐसी बीमारी है जो कि बड़ी आंत को लंबे समय तक ग्रसित करती है, जिसके कारण बड़ी आंत में घाव बन जाते हैं। क्रोहन रोग मुंह से लेकर बड़ी आंत के निचले हिस्से तक इंसान के खाने की नली के किसी भी हिस्से को ग्रसित कर सकती है। इस बीमारी में न सिर्फ आंत की ऊपरी सतह बल्कि पूरी की पूरी आंत खराब हो सकती है। डॉक्टरों ने इस बीमारी से बचने के कुछ उपाय सुझाए हैं।
डॉ. ऊषा ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अगर सप्ताह से अधिक दस्त या खूनी दस्त हों, पेट में दर्द हो तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं। सप्ताह तक दस्त किसी इंफेक्शन के कारण हो सकते हैं। दवाई के बाद भी यदि उसमें फर्क न पड़ रहा हो और 2 सप्ताह से अधिक दस्त आ रहें हो तो किसी बड़े अस्पताल में जरूर चेकअप करवाएं।
आइबीडी के लक्षण
आइबीडी किसी भी उम्र में हो सकती है, यह पुरुषों और महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को भी प्रभावित कर सकती है। आमतौर पर यह 20 से 40 साल की उम्र में लोगों को होती हैI इस से प्रभावित लोगों को निम्न लक्षण हो सकते हैं। जैसे की पेट में दर्द होना, दस्त लगना, दस्त के साथ में रक्तस्राव होना, वजन का कम होना, भूख कम लगना, बुखार, जोड़ों में दर्द और थकावट आदि इसके लक्षण हैं।
क्या आइबीडी ग्रसित महिला बन सकती है मां
जिन महिलाओं की आइडीबी बीमारी कम है तो उसे दवाइयों से कंट्रोल कर सकते हैं। ऐसे में उन महिलाओं को मां बनने में आम तौर पर कोई दिक्कत नहीं होती। ऐसी स्थिति में आप डॉक्टर से संपर्क करें और इस परिस्थिति के लिए उचित दवाइयों के बारे में सलाह ले। अगर गर्भावस्था के दौरान बीमारी बढ़ जाए तो दवाइयों द्वारा इलाज किया जा सकता है, लेकिन अपरिपक्व प्रसूति और गर्भपात का अंदेशा बढ़ जाता है।
खानपान का रखना होगा खास ध्यान
ऐसा माना जाता है कि भारतीय खाने में पाश्चात्यकरण के कारण आइबीडी बढ़ रही है I यह भी समझा जाता है कि सब्जियां और फल अधिक मात्रा में लेने से आइबीडी का जोखिम कम हो जाता हैI जबकि प्रोसेस्ड खाना, फास्ट फूड और जंक फूड, मांसाहारी खाने से आइबीडी बढ़ सकती है I
क्या देसी दवाइयों द्वारा आइबीडी का इलाज हो सकता है
- अभी तक देसी दवाइयों द्वारा आइबीडी के इलाज का कोई भी वैज्ञानिक आधार उपलब्ध नहीं है
क्या आइबीडी से ग्रसित लोग दूध पी सकते हैं
- दूध पीने से दस्त ना हो और यह हजम कर लिया जाए तो दूध पीना चाहिए और इस पर कोई रोक नहीं है I
आइबीडी के मरीजों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
- आइबीडी के मरीजों को प्रतिदिन व्यायाम, योग या फिर सैर अवश्य करनी चाहिए
- आपको अपने खाने का ध्यान रखना चाहिए और जहां तक संभव हो ठीक से पका हुआ घर का खाना ही खाएंI
- साफ पानी पीएं।
- जब भी भोजन करें तो उसकी मात्रा सीमित रखें।
- शराब और सिगरेट का सेवन न करें और किसी भी प्रकार के नशे से बचें।
- अगर लक्षण बढ़ जाए तो तुरंत डॉक्टर से मिले और उनकी सलाह के अनुसार दवाई लें।