डिफाल्टर कंपनियों की शिकायत आरबीआइ से करेगा पीएफसी
पीएफसी डिफाल्टर कंपनियों से 4000 करोड की वसूली के लिए उन पर शिकंजा कसेगा। एेसी लगभग 1500 कंपनियां हैं।
चंडीगढ़ [मनोज त्रिपाठी]। पंजाब फाइनेंशियल कॉरपोरेशन (पीएफसी) ने अब डिफाल्टर कंपनियों से 4000 करोड़ रुपये की वसूली के मामले को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की शरण में जाने की तैयारी कर ली है। पीएफसी की कोशिश है कि इन कंपनियों पर राष्ट्रीय स्तर पर किसी प्रकार की वित्तीय सहायता व लेन-देन के मामले को लेकर आरबीआइ की तरफ से नकेल डलवाई जाए। अगले हफ्ते पीएफसी यह कारवाई मुकम्मल कर देगा।
पीएफसी से लोन लेकर अपना धंधा चमकाने वाली 1500 कंपनियां सालों से डिफाल्टर लिस्ट में हैं। इन कंपनियों को कई साल से वन टाइम सेटेलमेंट (ओटीएस) स्कीम के तहत पीएफसी समझौते की मोहलत देता आ रहा है, लेकिन कंपनियां तैयार नहीं हैं। पीएफसी ने 250 कंपनियों की लिस्ट तैयार की थी, जिनसे मोटी धनराशि वसूली जानी है। 46 कंपनियों की प्रॉपर्टी जब्त की जा चुकी है। बाकी कंपनियों की प्रॉपर्टी जब्त करने को लेकर पीएफसी की तरफ से कागजी कारवाई की जा रही है।
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31 दिसंबर तक का समय
सरकार के कहने पर पीएफसी ने फिलहाल इन कंपनियों को 31 मई तक दी गई ओटीएस स्कीम को बढ़ाकर 31 दिसंबर तक का समय दिया है। इसके बाद भी कंपनियां समझौते को लेकर रुचि नहीं दिखा रही हैं। जो कंपनियां 10 साल से ज्यादा समय से डिफाल्टर चल रही हैं और ओटीएस के तहत उन्हें कई मौके दिए जा चुके हैं। उनकी लिस्ट भी पीएफसी ने तैयार कर ली है। अब कागजी कारवाई के लिए उन्हें नोटिस जारी किया जा रहा है।
400 कंपनियों की लिस्ट तैयार
अगले हफ्ते तक पीएफसी की तरफ से इन कंपनियों की आरबीआइ से शिकायत भी की जाएगी। इससे इन पर दबाव बन सकेगा। दूसरे चरण में पीएफसी की तरफ से पांच साल से ज्यादा समय से डिफाल्टर चल रही कंपनियों की लिस्ट आरबीआइ को सौंपी जाएगी। 400 कंपनियों की लिस्ट तैयार की गई है। इसके बाद फाइनल नोटिस भी भेजा जा रहा है। पीएफसी की आर्थिक हालत खुद ही खस्ता चल रही है। इसलिए कोशिश है कि किसी भी प्रकार से डूबी हुई धनराशि कंपनियों से निकले, तो पीएफसी आगे की योजनाओं को अमलीजामा पहना सके।
वसूली पर नजर
फिलहाल पीएफसी का भविष्य इसी 400 करोड़ रुपये की वसूली पर टिका है। जितनी जल्दी पीएफसी वसूली में कामयाब होगा, उतनी जल्दी पीएफसी को आने वाले कुछ समय के लिए सरकार की तरफ से फंड उपलब्धता के मामले में राहत मिल सकेगी। फिलहाल इस बारे में पीएफसी की एमडी इंदू मल्होत्रा इतना ही कहती हैं कि पीएफसी अपना काम कानून के दायरे में रहकर कर रहा है। अगर पीएफसी लोन दे सकता है, तो वसूलना भी उसका काम है।
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