Punjab Assembly Session: आप के बागी नेता खैहरा बोले- अकालियों के तलवे चाटने वाला मेरा नेता नहीं
Punjab Assembly Budget Session 2021 पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के दौरान आम आदमी पार्टी के बागी विधायक सुखपाल सिंह खैहरा ने सीट आवंटन का मुद्दा उठाया। उन्होंने आप विधायकाें से अलग सीट मांगा और कहा कि अकालियों के तलवे चाटने वाला मेरा नेता नहीं हो सकता है।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। Punjab Assembly Budget Session 2021: तीन साल पहले आम आदमी पार्टी से बागी हुए विधायक सुखपाल खैहरा ने पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में आप के शीर्ष नेतृत्व पर भड़ास निकाली। राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस के दौरान उन्होंने कहा कि कारपोरेट अकालियों के तलवे चाटकर माफी मांगने वाला मेरा नेता नहीं हो सकता। उनका इशारा आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा मानहानि मामले में शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांगने की ओर था।
खैहरा के खिलाफ मंगलवार को अकाली दल और आम आदमी पार्टी के विधायकों ने दलबदल विरोधी कानून (एंटी डिफेक्शन लॉ) के तहत कार्रवाई न होने का मुद्दा उठाया था और कारवाई में देरी के लिए स्पीकर को इसके लिए जिम्मेदार बताया था। तब खैहरा सदन में हाजिर नहीं थे। बुधवार को खैहरा ने आप नेताओं पर पलटवार किया।
आप के बागी नेता ने निकाली शीर्ष नेतृत्व पर भड़ास, प्रतिपक्ष के उपनेता माणुके ने भाषा पर जताई आपत्ति
सुखपाल खैहरा ने कहा कि हमें अलग से सीट और टाइम अलाट किया जाए। खैहरा ने कहा कि वह ऐसे किसी भी नेता के अधीन काम करना नहीं चाहते जिसने कारपोरेट अकालियों के तलवे चाट कर माफी मांगी हो। उनका इशारा सीधे तौर पर अरविंद केजरीवाल की तरफ था जिन्होंने बिक्रम मजीठिया से मानहानि के केस में माफी मांगी थी।
उस समय सदन में मौजूद आप की विधायक व प्रतिपक्ष की उपनेता सरबजीत कौर माणुके ने कहा कि हर व्यक्ति की सोच अलग हो सकती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह दूसरों का आदर सत्कार न करें। हमें अपने नेता पर पूरा भरोसा है। अगर यह लोग हमारे साथ नहीं रहना चाहते तो इनकी सीटें अलग कर देने में हमें कोई एतराज नहीं है। सदन में तू तड़ाक करके बोलना अच्छा नहीं है।
आप के सात विधायक हुए थे बागी
काबिलेगौर है कि तीन साल पहले विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी छिनने के बाद सुखपाल खैहरा आम आदमी पार्टी से बागी हो गए थे और उन्होंने आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। पार्टी के सात विधायकों ने अपना अलग से गुट और बाद में पंजाब एकता पार्टी बना ली। खैहरा इस बात से नाराज थे कि केजरीवाल ने एक मानहानि के केस में बिक्रम मजीठिया से माफी मांगने से पहले पार्टी को विश्वास में नहीं लिया।
कांग्रेस से भी ऐसे ही बाहर हुए थे बागी तेवरों वाले खैहरा
सुखपाल खैहरा का सियासी करियर काफी अस्थिर रहा है। आप की ही तरह कभी उन्हें कांग्रेस में भी नेतृत्व के खिलाफ मुखर होने पर बाहर का रास्ता देखना पड़ा था। 2007 में कपूरथला के भुलत्थ विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने एसजीपीसी की मौजूदा प्रधान बीबी जागीर कौर को हराकर सभी को हैरान कर दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने पार्टी के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया था।
कांग्रेस, खासकर कैप्टन अमरिंदर सिंह से मनमुटाव बढ़ने पर उन्होंने 2015 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। 2018 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण आम आदमी पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने पंजाब डेमोक्रेटिक अलायंस का गठन किया।
2019 में उन्होंने आम आदमी पार्टी छोड़ कर पंजाब एकता पार्टी का गठन किया। इसी साल उन्होंने पंजाब डेमोक्रेटिक अलायंस से बठिंडा लोकसभा सीट का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 25 अप्रैल, 2019 को उन्होंने पंजाब विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। 22 अक्टूबर, 2019 को खैहरा ने विधानसभा की सदस्यता से दिया इस्तीफा वापस लेने का एलान किया और कहा था कि आप ने उन्हें असंवैधानिक तरीके से पार्टी से निकाला था।
रेफरेंडम-2020 का समर्थन कर विवादों में आए
अलगाववादी संगठनों की ओर से चलाए गए रेफरेंडम-2020 का समर्थन करने पर सुखपाल खैहरा काफी विवादों में आ गए थे। हालांकि, बाद में एक बयान में उन्होंने कहा था कि वे रेफरेंडम के हिमायती नहीं हैं। उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि लगातार हो रहे भेदभाव के कारण सिख अलग राज्य की मांग कर रहे हैं।
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