लोगों की बदल रही सोच, स्कूलों में बढ़ी लड़कियों की संख्या
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत लोगों की सोच बदली है। इसका एक उदाहरण शिक्षा के क्षेत्र में भी देखने को मिला।
वैभव शर्मा, चंडीगढ़
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत लोगों की सोच बदली है। इसका एक उदाहरण शिक्षा के क्षेत्र में भी देखने को मिला। शिक्षा से वंचित रहने वाले बच्चे अब स्कूल जा रहे हैं। इनमें लड़कियों की संख्या अधिक है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा समग्र शिक्षा के तहत जेंडर पेरिटी इंडेक्स (जीपीआइ) ने देश के स्कूलों में सर्वे किया। सर्वे में पाया गया कि 2018-19 सत्र में स्कूली शिक्षा में लड़कियों की भागेदारी कई गुणा बढ़ी है। सर्वे में प्राइमरी लेवल पर लड़कियों की संख्या में 1.03 फीसद, अपर प्राइमरी में 1.12, सेकेंडरी में 1.04 और हॉयर एजुकेशन में 1.04 की वृद्धि हुई हैं। यह सर्वे लड़कियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए किया गया था। इसके अलावा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जैसे वंचित समूहों की बेटियों को छठी से बारहवीं कक्षा तक आवासीय विद्यालयों की सुविधा भी दी है। स्कूल शिक्षा के सभी स्तरों पर लड़कियों की संख्या अधिक
वर्ष 2018-19 में जीपीआइ के सर्वे में पाया गया कि स्कूल के सभी स्तरों पर लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले अधिक है। स्कूली शिक्षा में लैंगिक समानता लाने के लिए, समग्र शिक्षा के तहत लड़कियों के लिए विभिन्न सुविधाओं को लक्षित किया गया है, जिसमें नजदीकी क्षेत्रों में स्कूल खोलना, आठवीं कक्षा तक छात्राओं को नि:शुल्क पाठ्य-पुस्तकों का प्रावधान, नि:शुल्क वर्दी प्रदान करने के साथ शिक्षकों की जवाबदेही को तय किया गया है। 30 सितंबर 2019 तक 5930 केजीबीपी स्कूलों को मिली मंजूरी
स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक अंतर को कम करने और वंचित समूहों की लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) को शैक्षणिक रूप से पिछड़े ब्लॉक (ईबीबी) में समग्र शिक्षा के तहत मंजूरी दी गई है। 30 सितंबर 2019 को समग्र शिक्षा के तहत कुल 5930 केजीबीवी स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें 4881 केंद्रों पर करीब 6.18 लाख लड़कियां पढ़ रही हैं।