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विधानसभा चुनाव 2022: पार्टियों को ई-प्रचार से दिखाना होगा दम, पंजाब में किस पार्टी की है कितनी तैयारी

चुनाव आयोग ने इस बार कोविड के बढ़ते मामलों के कारण 15 जनवरी तक रैलियों पर रोक लगा दी है। अगर यह रोक आगे भी जारी रहती है तो पार्टियों को ई प्रचार तक ही सीमित रहना पड़ेगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 06:23 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 08:16 AM (IST)
विधानसभा चुनाव 2022: पार्टियों को ई-प्रचार से दिखाना होगा दम, पंजाब में किस पार्टी की है कितनी तैयारी
Punjab Chunav 2022: पार्टियों को सोशल मीडिया पर दिखाना होगा दम। सांकेतिक फोटो

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक आम राजनीतिक जनसभाओं व जलसों पर रोक लगाई है। आयोग के इस फैसले ने राजनीतिक पार्टियों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। रैलियां, नुक्कड़ सभा जैसे पारंपरिक प्रचार के तरीके न सिर्फ राजनीतिक पार्टियों को लोगों के साथ जोड़ते थे, बल्कि वहीं से वह लोगों को मनोदशा का भी आंकलन करते थे।

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राजनीतिक पार्टियों की चिंता यह है कि अगर आयोग की यह रोक 15 के बाद भी जारी रहती है तो उनके पास ई-प्रचार के अलावा कोई और जरिया नहीं रह जाएगा। जिसका लाभ बड़ी पार्टियों को मिल सकता है। दरअसल, बड़ी पार्टियों के पास साधन भी हैं और उनका आइटी सेल मजबूत भी है, जबकि छोटी राजनीतिक पार्टियां के पास न तो उतने संसाधन है और न ही उतने संपर्क।

अकाली दल चिंतित

चुनाव आयोग द्वारा जलसों व जनसभाओं पर लगाई गई रोक से अकाली दल चिंतित है। अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल कहते हैं, प्रचार में राजनीतिक पार्टी को हरेक व्यक्ति तक पहुंच करनी पड़ती है। गांव में बैठा एक गरीब व्यक्ति जिसके पास न तो स्मार्ट फोन है और न ही इंटरनेट कनेक्शन, वहां तक वर्चुअल ढंग से पहुंच करना संभव नहीं हो पाएगा। हालांकि अभी चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक रोक लगाई है। यहां तक तो चिंता की कोई बात नहीं है। अगर यह रोक आगे भी रहती है तो चिंता बढ़ेगी। सुखबीर कहते हैं, चुनाव आयोग को जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं वहां की राजनीतिक पार्टियों को बुलाकर बात करनी चाहिए और रैलियों को लेकर कोई नियम बनाने चाहिए।

कांग्रेस जुटी तैयारियों में

कांग्रेस के प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू का कहना है कि हम जिला, विधानसभा व बूथ स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ समन्वय करते हुए एक आनलाइन अभियान के लिए तैयार हैं। हमारे इंटरनेट मीडिया वार रूम में पहले से ही 10 हजार से अधिक वाट्सएप ग्रुप हैं। हम फेसबुक, वाट्सएप और डिजिटल माध्यम से बूथ स्तर पर लोगों तक पहुंच रहे हैं। वहीं, प्रचार कमेटी के चेयरमैन सुनील जाखड़ का कहना है, यह नई चुनौती होगी। चुनाव प्रचार के लिए फिर आनलाइन, इंटरनेट मीडिया या डोर-टू-डोर पर जोर देना होगा। आइटी सेक्टर की भूमिका बढ़ जाएगी। निश्चित रूप से कई नई चुनौतियां सामने आएंगी। वह क्या होंगी यह कहना अभी संभव नहीं है। क्योंकि नया जरिया होगा लोगों से संवाद करने का। पार्टी हरेक पंजाबी तक अपनी पहुंच करने के लिए हरेक यत्न करेगी।

आप है तैयार

आम आदमी पार्टी के प्रधान व सांसद भगवंत मान का कहना है, हम पहले से ही इस मुद्दे को उठा रहे हैं कि यूरोपियन देशों की तरह हमारे यहां पर पार्टी नेताओं की बहस होनी चाहिए। अगर 15 के बाद भी रोक रहती है तो पार्टी इसके लिए तैयार है। ई प्लेटफार्म पर आकर सारी राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी बात करें।

भाजपा को अनुभव है

वर्चुअल प्रचार को लेकर सबसे अनुभवी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ही है। भाजपा ने पश्चिम बंगाल के चुनाव में भी वर्चुअल रैलियां की हैं। वहीं, पार्टी के प्रदेश महासचिव जीवन गुप्ता का कहना है, कोविड के दौरान भाजपा ने अपनी सारी गतिविधियां वर्चुअल ही चलाई थी। अगर आयोग की रोक 15 जनवरी के बाद भी रहती है तो पार्टी उसके लिए तैयार है।


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