मोहाली अाैर पंचकूला बना रिटायर्ड फौजी अफसराें की पंसद का ठिकाना, जानें क्या है वजह
चंडीगढ़ पंचकूला और मोहाली (ट्राईसिटी) में कुछ तो खास बात है। तभी इनको रिटायर्ड फौजियों का शहर कहा जाता है।
चंडीगढ़, [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली (ट्राईसिटी) में कुछ तो खास बात है। तभी इनको रिटायर्ड फौजियों का शहर कहा जाता है। जिंदगी का लंबा समय देश को समर्पित करने वाले फौजी अफसर रिटायरमेंट के बाद यहीं पर बसना चाहते हैं। अब इस लिस्ट में एक और नया नाम शामिल हो गया है। दो दिन पहले एडमिरल के पद से रिटायर हुए सुनील लांबा ने भी पंचूकला में बसने का फैसला लिया है।
हरियाणा अर्बन डेवलेपमेंट अथॉरिटी (हुडा) की ओर से काफी समय पहले नेवी चीफ सुनील लांबा को मनसा देवी मॉडर्न कांप्लेक्स (एमडीसी) में प्लाट अलॉट किया गया था। जहां पर लांबा अपनी पत्नी रीना लांबा और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रहेंगे। कुछ समय पहले ही यूटी प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने सुनील लांबा को चंडीगढ़ गोल्फ क्लब की ऑनरेरी मेंबरशिप भी दी थी।
अफसरों को भा रहा ट्राईसिटी का माहौल
सेना में टॉप पोजिशन से जुड़े अफसरों को ट्राईसिटी का माहौल पहले से ही खूब भा रहा है। तीनों शहरों में आर्मी वेलफेयर की कई सोसायटीज हैं, जहां ऑफिसर के अलावा छोटे रैंक से रिटायर लोग भी रहते हैं। ट्राईसिटी का हिस्सा पंचकूला और मोहाली काफी व्यवस्थित शहर हैं। पंचकूला से शिवालिक की पहाड़ियों का शानदार नजारा हर किसी को आकर्षित करता है।
तीनों सेनाओं के प्रमुख को पसंद यहां रहना
बता दें आर्मी, एयरफोर्स और नेवी से जुड़े टॉप रैंक से रिटायर होने वाले कई प्रमुख अफसरों का पंचकूला और मोहाली में घर है। जिसमें कारगिल लड़ाई के हीरो रहे आर्मी चीफ वीपी मलिक पंचकूला, आर्मी चीफ बिक्रम सिंह मोहाली, वेस्टर्न कमांड चीफ रहे लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह डीएलएफ अमरावती (पिंजौर) में रह रहे हैं। आर्मी अधिकारियों के अनुसार 150 से अधिक लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों ने रिटायरमेंट के बाद ट्राईसिटी को ही रहने के लिए चुना है। सभी अफसरों ने कारगिल लड़ाई में अहम योगदान दिया है।
एयर चीफ बीएस धनोआ भी बसेंगे मोहाली
पुलवामा में आतंकी हमले के बाद बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले दबंग एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र ¨सह धनोआ भी रिटायरमेंट के बाद मोहाली में बसने की तैयारी कर रहे हैं। जानकारी अनुसार धनोआ का मोहाली के फेज-3बी1 में मकान पिछले कई महीनों से तैयार हो रहा है। धनोआ मूल रूप से भी गांव घडुआं (मोहाली) जिले के रहने वाले हैं। इनके पिता 1980 बैच के सीनियर आइएएस ऑफिसर रहे हैं। जो पंजाब सरकार में मुख्य सचिव पद से रिटायर हुए थे।
यहां मिलता है सेना जैसा माहौल
ट्राईसिटी देश के सबसे सुव्यवस्थित शहरों में शामिल हैं। सेना अफसरों को यहां का माहौल और रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें व्यस्त रखने की सुविधाएं मिल रही हैं। ये अधिकारी किसी ने किसी तरह से किसी संस्थानों से जुड़े हुए हैं। लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह पंजाब यूनिवर्सिटी के डिफेंस डिपार्टमेंट में ऑनरेरी प्रोफेसर और रिसर्च चेयर के प्रमुख हैं।
चंडीगढ़ में शुरू हुआ सालाना नेशनल मिलिट्री लिटरेचर फेस्ट
2017 से देश के पहले मिलिट्री फेस्टिवल की शुरुआत चंडीगढ़ से हुई। बीते दो सालों में इस फेस्टिवल ने खूब वाहवाही लूटी है। सभी सेनाओं से जुड़े अफसरों से लेकर सामान्य सैनिकों को फेस्ट में हिस्सा लेने का मौका मिलता है। यहां होने वाले विभिन्न इवेंट में खूब सम्मान मिलता है। हर साल दिसंबर में होने वाले मिलिट्री फेस्ट में परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बना सिंह, सूबेदार जोगिंद्र यादव और नायब सूबेदार संजय कुमार जैसी हस्तियां शिरकत करती हैं। देशभर से हजारों लोग फेस्ट लिटरेचर फेस्ट के अलावा यहां सैनिकों द्वारा दिखाए जाने वाली घुड़सवारी और अन्य करतबों को देखने के लिए आते हैं।
मैं राजस्थान से हूं ,लेकिन अब यहां पर सेटल हो गया हूं। मुझे भी यहां सेटल होकर अच्छा लगा है। -केजे सिंह, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल, पूर्व वेस्टर्न कमांड चीफ
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