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चंडीगढ़ के डेवलपमेंट के लिए नगर निगम के पास सिर्फ 25 लाख रुपये बचे

वित्तीय सत्र 2020-21 की शुरुआत में ही नगर निगम में वित्तीय संकट गर्मा गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 09:20 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 09:20 PM (IST)
चंडीगढ़ के डेवलपमेंट के लिए नगर निगम के पास सिर्फ 25 लाख रुपये बचे
चंडीगढ़ के डेवलपमेंट के लिए नगर निगम के पास सिर्फ 25 लाख रुपये बचे

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़ : वित्तीय सत्र 2020-21 की शुरुआत में ही नगर निगम में वित्तीय संकट गर्मा गया है। इस साल नगर निगम के पास पूरे शहर के विकास के लिए मात्र 25 लाख रुपये की राशि बची है। जबकि पिछले सत्र में नगर निगम में 82.62 करोड़ रुपये की राशि विकास के कामों के लिए थी। जबकि शहरवासियों पर इस साल काऊ और बिजली सेस, प्रॉपर्टी-हाउस के रेट में इजाफा करके 50 करोड़ रुपये का बोझ डाला गया है। इसके बावजूद इतनी लागत के भी नगर निगम के पास शहर में काम करवाने के लिए फंड नहीं हैं। नगर निगम का दावा है कि ऐसा कोरोना के कारण हुआ है। 166 करोड़ रुपये का हुआ घाटा

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29 जुलाई को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होने वाली सदन की बैठक में वित्तीय स्थिति का प्रस्ताव चर्चा के लिए लाया जाएगा, जिसमें 166 करोड़ रुपये का घाटा बताया गया है। जिसमें 85 करोड़ रुपये का घाटा केंद्र सरकार की ओर से ग्रांट इन एड में 20 फीसद कटौती का बताया गया है। जोकि कोरोना के कारण लगा है। जबकि 81 करोड़ रुपये का घाटा नगर निगम की इस साल होने वाली कमाई से बताया गया है। अधिकारियों की ओर से प्रस्ताव में बताया गया है कि नगर निगम के पास इस सत्र के लिए 661 करोड़ रुपये हैं। इसलिए अभी से नगर निगम कमिश्नर ने सभी पास हुए कामों को फंड की कमी होने के कारण रोक लगा दी है। शहर में एलईडी लाइट्स बदलने के लिए एमसी को छह करोड़ चाहिए। फंड न होने के कारण अब यह काम नहीं हो पाएगा। 636 करोड़ रुपये खर्चा जरूरी

नगर निगम के अनुसार 636 करोड़ रुपये के ऐसे जरूरी खर्चे हैं, जोकि हर हाल में अनिवार्य हैं। जिसमें 525 करोड़ रुपये अकेले नगर निगम के कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर खर्च होंगे। इसके अलावा बिजली के बिल और सफाई पर खर्चा होगा। जो पार्षदों को हर साल 80 लाख रुपये का वार्ड डेवलपमेंट फंड मिलता है, उस पर भी संकट के बादल छा गए हैं। इंजीनियरिग विग ने पार्षदों के डेवलपमेंट फंड से होने वाले काम भी रोक दिए हैं। बजट में बताई थी 402 करोड़ रुपये की कमाई

नगर निगम ने जो फरवरी माह में नए सत्र में दिखावे के लिए 1471 करोड़ बजट पास किया था, उस समय एमसी ने अपनी कमाई 402 करोड़ रुपये की बताई थी। लेकिन कोरोना के कारण नगर निगम ने अब अपनी प्रस्तावित कमाई 321 करोड़ रुपये की बताई है। रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा कमाई का घाटा पानी से 50 करोड़ रुपये का होगा। कोरोना काल के कारण प्रशासन ने अभी तक पानी के रेट बढ़ाने की मंजूरी नहीं दी है। नगर निगम की वित्तीय स्थिति पर सदन की बैठक में चर्चा की जाएगी। प्रशासन ने इस साल फरवरी में 103 करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड दिया है। जिसमें सड़कों की रीकारपेटिग का काम इस समय चल रहा है। नगर निगम ने 22 गांवों के विकास के लिए 103 करोड़ रुपये के फंड की मांग लिखित में पिछले सप्ताह ही की है। उम्मीद है कि प्रशासक वीपी सिंह बदनौर जिस तरह पहले नगर निगम को अतिरिक्त ग्रांट देते रहे हैं, उस तरह से वे भविष्य में भी देते रहेंगे।

-राजबाला मलिक, मेयर भाजपा के कार्यकाल में पिछले तीन साल वित्तीय संकट का हवाला देते हुए शहरवासियों पर नए-नए टैक्स लगाए गए। लेकिन फिर भी हर बार कह दिया जाता है कि एमसी के पास शहर के विकास के लिए फंड नहीं हैं। ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि भाजपा शासित नगर निगम को भंग करे। शहर का सारा काम ठप है। इस मुद्दे पर 29 जून को होने वाली सदन की बैठक में सांसद किरण खेर को भी वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से शामिल होकर अपनी राय रखनी चाहिए।

-सतीश कैंथ, कांग्रेस पार्षद


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