60 हजार परिवारों को 20 साल से वन टाइम सेटलमेंट का इंतजार
वॉयलेशन के नोटिस के बाद मकानों पर लटक रही कैंसेलेशन की तलवार।
चंडीगढ़ : हर किसी का ख्वाब होता है, खुद का अपना एक मकान बनवाना। पूरी उम्र इंसान मेहनत कर पैसे जोड़ता है ताकि वह अपना खुद का मकान बनवा सके। पर चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के 60 हजार परिवारों का यह ख्वाब कभी भी टूट सकता है। उन पर मकान रद होने की तलवार का लटक रही है। मिसयूज और वॉयलेशन के नोटिस कई-कई बार मिल चुके हैं। 37 को तो कैंसलेशन के नोटिस मिलने के बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। कोर्ट के आदेश पर वह अपने मकान में रह पा रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड के शहर में 60 हजार मकान है। इनमें से 55000 मकानों में लोगों ने अपनी जरूरत के अनुसार अतिरिक्त निर्माण किया हुआ है। हाउसिंग बोर्ड के अफसरों की नजर में यह वॉयलेशन है जबकि बोर्ड के अलॉटियों के अनुसार यह उनकी जरूरत है।
20 साल से वादा नहीं किया पूरा
बोर्ड के अलॉटियों की ओर से लंबे समय से उनके मकानों में किए गए अतिरिक्त निर्माण को रेगुलराइज करने की माग की जा रही है। अलॉटी वन टाइम सेटलमेंट की मांग कर रहे हैं। शहर की सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी मकानों में किए गए बदलाव को रेगुलराइज करने का वादा किया था। पर 20 सालों में भी यह वादे पूरे नहीं हो पाए। 2019 के लोकसभा चुनाव में अभी से यह मुद्दा बनने लगा है। हालत यह है कि साल-दर-साल बोर्ड के मकानों में लोगों द्वारा अतिरिक्त निर्माण किए जा रहे हैं। बोर्ड के पास कोई पॉलिसी ना होने के कारण ना केवल लोगों को दिक्कत आ रही है बल्कि प्रशासन के समक्ष भी एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। प्रशासन और चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड लोगों द्वारा अपने मकानों में जरूरत के अनुसार किए गए अतिरिक्त निर्माण को रेगुलराइज करने की बात तो कर रहे हैं लेकिन यह योजना अभी तक सिरे नहीं चढ़ी। हाउसिंग बोर्ड ने भी अपने स्तर पर सभी केटेगरी के मकानों का सर्वे करवाया है। इस सर्वे में भी 90 प्रतिशत मकानों में बदलाव मिले हैं। प्रशासन के सामने चुनौती
प्रशासन और हाउसिंग बोर्ड के सामने चुनौती है कि वह इस अतिरिक्त निर्माण को रेगुलराइज किस प्रकार करे। इसके लिए हर एरिया के अनुसार अलग-अलग पॉलिसी बनानी होगी। हाउसिंग बोर्ड के शहर में चार कैटेगरी के फ्लैट है। इनमें निम्न आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) मध्यम आय वर्ग (एमआईजी) और उच्च आय वर्ग (एचआईजी) के फ्लैट शामिल हैं।