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हाई कोर्ट के आदेश पर सास संग रहेगी कपूरथला की 'बालिका वधू', बालिग होने पर ही पिया का साथ

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने नाबालिग पुत्रबधू को फिलहाल सास के साथ रखने के आदेश दिए हैं। साथ ही कहा है कि जब तक वह बालिग नहीं हो जाती वह पति के पास नहीं जाएगी। सास को यह हलफनामा देना होगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 12:47 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 05:24 PM (IST)
हाई कोर्ट के आदेश पर सास संग रहेगी कपूरथला की 'बालिका वधू', बालिग होने पर ही पिया का साथ
सास के साथ रहेगी नाबालिग बहू। सांकेतिक फोटो

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक नाबालिग लड़की की कस्टडी उसकी सास को सौंपते हुए आदेश दिया है कि वह एसडीएम भुलल्थ के सामने एक हलफनामा देकर स्वीकार करे कि जब तक लड़की की उम्र 18 साल की नहीं होती वह उसे बेटे के पास नहीं रखेगी। निर्धारित अवधि के बाद यह शादी मान्य होगी।

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लड़की की सास एसडीएम के सामने एक लाख रुपये का बांड भरेगी। अगर याचिकाकर्ता सास इन शर्त को पूरी नहीं पाती तो यह बांड की राशि जब्त कर ली जाएगी। याचिकाकर्ता सास लड़की को हर महीने उसके निजी खर्च के लिए पांच हजार रूपये उसके बालिग होने तक देगी। अगर कोर्ट द्वारा तय शर्त की पालना नहीं की गई तो याची सास हाई कोर्ट की अवमानना की दोषी होगी।

इसके साथ ही हाई कोर्ट ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, कपूरथला को आदेश दिया कि वह एक चाइल्ड वेलफेयर अफसर नियुक्त करे जो समय-समय पर सास के घर जाकर देखे कि लड़की की सही देखभाल की जा रही है या नहीं, इसकी एक रिपोर्ट बना कर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को दी जाएगी। अगर जरूरी हो तो कोर्ट में भी रिपोर्ट पेश की जा सकती है। इसी के साथ हाई कोर्ट ने इस मामले में एडीएम द्वारा जारी आदेश को भी रद करने का आदेश दिया ।

क्या है मामला

इस मामले में कुलविंद्र कौर नामक महिला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर एसडीएम भुल्लथ द्वारा 19 अक्टूबर को जारी आदेश को रद करने की मांग की थी। एसडीएम ने बाल विवाह निरोधक कानून के तहत पुलिस स्टेशन बेगोवाल में मामला दर्ज कर उसके लड़के से विवाह करने वाली लड़की को चिल्ड्रन प्रोटेक्शन होम जालंधर में भेज दिया था।

लड़की की जन्म तिथि 4 मार्च 2003 (17 साल 7 महीने 15 दिन) है। उसने उसके पुत्र गगनदीप के साथ 1 दिसंबर 2020 को विवाह किया था। लड़की की मां ने एसएसपी कपूरथला को शिकायत दी। इसके बाद बाल विवाह निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज कर लड़के व लड़की को एसडीएम के सामने पेश किया गया। एसडीएम ने लड़के को हिरासत और लड़की को चिल्ड्रन प्रोटेक्शन होम जालंधर में भेजने का आदेश जारी कर दिया। 21 अक्टूबर को लड़के को जमानत पर रिहा कर दिया गया।

लड़के की मां कुलविंद्र कौर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर लड़की को उसे सौंपने की मांग की। कुलविंद्र कौर की तरफ से दलील दी गई कि हाई कोर्ट की एक बेंच ने प्रीति बनाम हरियाणा मामले में इसी साल नाबालिग लड़की की कस्टडी सास को दी थी। इसी आधार पर उसे भी लड़की को सौंपा जाए।

हाई कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लड़की के बयान लिए। लड़की ने कोर्ट में कहा कि वह याचिकाकर्ता सास के साथ जाना चाहती है। सरकार व लड़की के परिजनों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि लड़की नाबालिग है, ऐसे में उसे नारी निकेतन भेजा जाए। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट के जस्टिस एके त्यागी ने सास की मांग स्वीकर करते हुए शर्त के साथ लड़की की कस्टडी सास को देने का आदेश दिया।


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