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RTI के तहत सूचना मांगने पर पहले बताना होगा उद्देश्‍य

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि आरटीआइ के त‍हत सूचना मांगने पर इसका उद्देश्‍य बताना होगा। बिना इसके जानकारी मांगना किसी की निजता भंग करने जैसा होगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 01 Jul 2017 01:26 PM (IST)Updated: Sat, 01 Jul 2017 01:26 PM (IST)
RTI के तहत सूचना मांगने पर पहले बताना होगा उद्देश्‍य
RTI के तहत सूचना मांगने पर पहले बताना होगा उद्देश्‍य

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सूचना के अधिकार के तहत कोई जानकारी मांगी जाती है तो आवेदक को यह स्पष्ट करना होगा कि उसका उद्देश्य क्या है। हाईकोर्ट ने कहा, यदि सूचना जनहित की नहीं है तो क्यों दी जाए? यह तो जिस व्यक्ति के संबंध में जानकारी मांगी गई है, उसकी निजता भंग करने जैसा है। इसलिए ऐसी जानकारी नहीं दी जा सकती।

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हाईकाेर्ट ने यह फैसला फरीदकोट निवासी संतोष कुमार द्वारा याचिका पर सुनवाई करते हुए दी। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की, कि सूचना के अधिकार का दुरुपयोग करने व सरकारी विभागों पर बेमतलब की जानकारी देने का दबाव नहीं डाला जा सकता। याची ने आरटीआइ लगाकर पंजाब सरकार से कुछ जानकारियां मांगी थीं। याची का कहना था कि उसे जानकारी 30 दिन के भीतर नहीं दी गई, इसलिए वह यह जानकारी मुफ्त हासिल करने का अधिकारी है।

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याची ने हाईकोर्ट को बताया कि जानकारी न देने के मामले में उसने राज्य सूचना आयोग में भी अपील की, लेकिन राहत नहीं मिली, इसलिए उसे हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। इस पर हाईकोर्ट ने उससे पूछा कि जानकारी प्राप्त करने का उद्देश्य क्या है? याची की ओर से कहा गया कि एक्ट के अनुसार जानकारी हासिल करने का उद्देश्य बताना जरूरी नहीं है।

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इस पर हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि निश्चित रूप से याची को एक्ट के माध्यम से सूचना का अधिकार है, लेकिन उसे इसका उद्देश्य भी बताना होगा। सुप्रीम कोर्ट हाल ही में जारी एक आदेश को आधार बनाकर स्पष्ट कर चुका है कि यदि संबंधित जानकारी का जनहित से कोई लेना-देना नहीं है तो ऐसी स्थिति में इसे उपलब्ध कराना थर्ड पार्टी की निजता भंग करना है। इसकी आरटीआइ एक्ट में भी अनुमति नहीं है। हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि याची को जानकारी प्राप्त करने के लिए उसका ठोस आधार बताना जरूरी है।

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