अब ब्रेन सिस्ट के सभी मामलों में नहीं करनी पड़ेगी ओपन सर्जरी Chandigarh News
इससे पहले तक सर्जरी के दौरान यह तय कर पाना मुश्किल होता था जिससे ऐसे मामलों में ओपन सर्जरी ही करनी पड़ती थी। जो बेहद जटिल होती है।
चंडीगढ़, जेएनएन। पीजीआइ न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के विशेषज्ञों ने ब्रेन सिस्ट का नया एंडोस्कोपिक क्लासिफिकेशन करने में सफलता हासिल की है। न्यूरोसर्जन डॉ. ढंडापानी एसएस और डॉ. सुशांत द्वारा किए गए लेटेस्ट रिसर्च की मदद से अब सर्जन के लिए यह तय करना आसान होगा कि ब्रेन के अंदर बने सिस्ट को हटाने के लिए ओपन सर्जरी की जाए या इंडोस्कोपिक। इससे पहले तक सर्जरी के दौरान यह तय कर पाना मुश्किल होता था, जिससे ऐसे मामलों में ओपन सर्जरी ही करनी पड़ती थी। जो बेहद जटिल होती है। यह रिसर्च वर्ल्ड न्यूरोसर्जरी पत्रिका में प्रकाशित हुई है।
डॉ. ढंडापानी ने बताया कि ब्रेन सिस्ट हाइड्रोसिफलस के कारणों में से एक है, जो मस्तिष्क के अंदर तरल पदार्थ के बढऩे की स्थिति में उत्पन्न होता है। आम बोलचाल में इसे ब्रेन में पानी भरना कहते हैं। बच्चों में सिर का बढ़ता आकार, उल्टी या हमेशा नींद जैसी स्थिति के लिए इस बीमारी को जिम्मेदार माना जाता है। इनमें से कई सिस्ट जन्म से पहले माताओं के गर्भाशय में होते हैं जो गर्भधारण करने के बाद भी बने रहते हैं। अभी तक ऐसी स्थिति में ओपन सर्जरी से इलाज होता है, जो काफी जटिल है। इसकी रिकवरी में भी समय लगता है। इंडोस्कोपित सर्जरी में सिर्फ एक छोटे से छेद का उपयोग किया जाता है। अब ऐसे मामलों में सिर के पीछे से भी इंडोस्कोपिक सर्जरी की जा सकती है।
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