अब सरकार तय करेगी प्रति एकड़ किसानों को कितना कर्ज दिया जाए
अब पंजाब सरकार तय करेगी कि किसानों काे उनकी जमीन के अनुरूप कितना कर्ज दिया जाए। इसके लिए कैपटर अमरिंदर सिंह सरकार कर्ज निपटारा एक्ट 2016 संशोधन करेगी।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा का मॉनसून सत्र शुरू होने से एक दिन पहले सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला किया। किसानों को कर्ज से छुटकारा दिलाने के लिए कैबिनेट ने कर्ज निपटारा एक्ट 2016 में दो महत्वपूर्ण संशोधन का फैसला किया है। किसानों को प्रति एकड़ कितना कर्ज दिया जाए यह अब सरकार तय करेगी। किसानों को अंधाधुंध कर्ज देने वाले आढ़ती और गैर संस्थागत वित्तीय संस्थानों पर सरकार अब नकेल डालेगी।
अमरिंदर कैबिनेट ने कर्ज निपटारा एक्ट 2016 में किए दो महत्वपूर्ण संशोधन
पंजाब सरकार अब प्रति एकड़ कर्ज की सीमा तय करेगी। यदि इस सीमा से ज्यादा किसी ने भी कर्ज दिया तो उसकी रिकवरी के लिए किसानों पर दबाव नहीं बनाया जा सकेगा। यह एक्ट केवल गैर वित्तीय संस्थानों और आढ़तियों पर ही लागू होगा। बैैंक भी अतिरिक्त कर्ज देते हैैं लेकिन उन लागू नहीं होगा।
वित्तीय संस्थान, आढ़ती अब मनमर्जी से नहीं दे सकेंगे किसानों को कर्ज
उल्लेखनीय है कि आढ़तियों और गैर वित्तीय संस्थानों द्वारा किसानों की कर्ज अदायगी की क्षमता को देखे बिना उन्हें जमीन पर कर्ज दिया जा रहा है। को आपरेटिव विभाग ने पहले ही एक पत्र स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी में दिया हुआ है, जिसमें प्रति फसल प्रति एकड़ कितना कर्ज दिया जा सकता है, यह दर निश्चित की हुई है। इसके बावजूद बैंक ज्यादा कर्ज दे देते हैं।
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सिर्फ लाइसेंसशुदा ही दे सकेंगे कर्ज
इस बिल के कानून बनने के बाद लाइसेंसशुदा आढ़ती, साहूकार ही किसानों को कर्ज दे सकेंगे। यही कर्ज कर्ज निपटारा फोरम में आ सकेगा। जिन आढ़तियों के पास कर्ज देने संबंधी लाइसेंस नहीं होगा उनके द्वारा पैसे का लेनदेन अवैध माना जाएगा।
बैंकों ने दे रखा है ज्यादा कर्ज
पंजाब में एक करोड़ एकड़ जमीन है और औसतन प्रति फसल व प्रति एकड़ 21 हजार रुपये कर्ज मिल सकता है। इस तरह से किसानों पर 21 से 25 हजार करोड़ रुपये कर्ज होना चाहिए लेकिन 31 मार्च 2017 का आंकड़ा लें तो कम समय का यह कर्ज किसानों पर 59 हजार करोड़ है। इसके अलावा ट्रैक्टर या अन्य सामान खरीदने के लिए दिया जाने वाला लंबे समय का कर्ज 14 हजार करोड़ रुपए है।
जज नहीं, कमिश्नर सुनेंगे कर्ज निपटारा की शिकायतें
कैप्टन सरकार ने 2016 में पास किए गए एक्ट में संशोधन करते हुए कर्ज निपटारा फोरम की संख्या कम कर दी है। जिला स्तर के बजाय अब इसे डिवीजन स्तर पर बना दिया है। कर्ज निपटारे के लिए आई शिकायतों की सुनवाई अब डिवीजनल कमिश्नर करेगा। पहले एक्ट में जजों को लगाने का प्रावधान था। इसके अलावा रेवेन्यू और कृषि विभाग का एक-एक प्रतिनिधि भी इसमें शामिल होगा।
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किसानों को मिलेगी राहत
गेहूं और धान को छोड़कर अन्य फसलें उगाने वाले किसानों को राहत देते हुए सरकार ने फसल मूल्य स्थिरता फंड (क्रॉप प्राइस स्टेबलेशन फंड) बनाने का फैसला किया है। मंडी फीस, आढ़तियों के कमीशन आदि में से एक-एक हिस्सा काटकर इस फंड में जमा करवाया जाएगा। लगभग इतना ही फंड केंद्र सरकार अपनी ओर से देगी। इस फंड से फसलों के समर्थन मूल्य और बाजारी मूल्य के अंतर को किसानों को देकर पूरा किया जाएगा।
आढ़ती नाराज
कैप्टन सरकार के इस फैसले से आढ़तियों में नाराजगी है। पंजाब आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान रविंदर सिंह चीमा ने कहा कि आढ़तियों के कमीशन में कटौती को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने इस संबंधी एक ज्ञापन मंडी बोर्ड के चेयरमैन लाल सिंह को सौंपा है।