संघर्ष ने दिखाया रंग, पीयू की छात्राएं अब 24 घंटे हॉस्टल से बाहर जा सकेंगी
पंजाब यूनिवर्सिटी में गर्ल्स हॉस्टल 24 घंटे खुले रहेंगे। कोई भी छात्रा किसी भी समय हॉस्टल से निकल सकती है, उसके देर से आने या फिर हॉस्टल में नहीं आने पर कोई जुर्माना नहीं देना होगा।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी में गर्ल्स हॉस्टल 24 घंटे खुले रहेंगे। कोई भी छात्रा किसी भी समय हॉस्टल से निकल सकती है, उसके देर से आने या फिर हॉस्टल में नहीं आने पर कोई जुर्माना नहीं देना होगा। रात 11 बजे के बाद हॉस्टल में आने या फिर निकलने से पहले एक सिंगल रजिस्टर पर एंट्री करनी अनिवार्य है। यह फैसला शनिवार को पंजाब यूनिवर्सिटी में हुई सीनेट बैठक में लिया गया। तीन घंटे की लंबी बहस के बाद वाइस चांसलर प्रो. राजकुमार ने फैसले को मंजूरी दी।
उल्लेखनीय है कि छात्राएं बीते 48 दिन से हॉस्टल 24 घंटे खुला रखने और जुर्माना माफ करने की मांग कर रही थी। शनिवार को बैठक शुरू होने के साथ ही सीनेटर वीरेंद्र सिंह ने मामले को जोरदार तरीके से उठाया, जिस पर सभी 91 सीनेटरों ने अपना विचार रखे। ज्यादातर सीनेटर स्टूडेंट्स की मांग के साथ सहमत दिखे, वहीं, कई सीनेटरों ने पीयू प्रशासन को नसीहत दे डाली। मामले में चंडीगढ़ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष संजय टंडन और सुभाष शर्मा ने असहमति जताई, लेकिन वह सिस्टम को सुधारने के पक्ष में दिखे। प्रोफेसर नवदीप गोयल की अध्यक्षता में बनी कमेटी बैठक में जुर्माना खत्म करने के अलावा 24 घंटे किस तरह से लड़कियां आ-जा सकती हैं। इसके लिए कमेटी का गठन हुआ। जिसका अध्यक्ष प्रोफेसर नवदीप गोयल को बनाया गया।
वही, मेंबर में डीएसडब्ल्यू इमेन्यूअल नाहर, सीनेटर एसपी जैन, प्रोफेसर एसडी गोस्वामी, प्रोफेसर पैम राजपूत, अमीर सुल्ताना और प्रोफेसर अश्वनी कौल को शामिल किया गया। इसके साथ पीयू के सभी विभागों के डीआर को इसका सदस्य बनाया गया है।
पीयू प्रशासन कैंपस में क्यों नहीं दे सकता सुरक्षाः बंसल
पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि छात्राएं कैंपस से बाहर जाने की मांग नहीं कर रही हैं। उन्हें कैंपस में जाने से क्यों रोका जा रहा है। यदि पीयू प्रशासन कैंपस में छात्राओं को सुरक्षा नहीं दे सकता है, तो इसमें कमी पीयू प्रशासन की है न कि हमारे समाज और बच्चों की सोच की है। पीयू को खुद की आंतरिक सुरक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है।
अगर डर है तो हॉस्टल में क्यों भेजी जा रही हैं बेटियां
सीनेटर प्रो. राजेश गिल ने कहा कि जब घर में बेटे-बेटी को समान रखा जाता है, तो आखिर कैंपस में उनके साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। बेटों की तरह बेटियों के भी अरमान हैं। उन्होंने कहा कि सोच को सुधारने की जरूरत है। उसके लिए हमें बच्चों को बेहतर माहौल देने की जरूरत है।
कनुप्रिया ने बताई स्टूडेंट्स की जीत
मामले में प्रदर्शनकारियों की अगुआई कर रहीं स्टूडेंट काउंसिल की प्रेसिडेंट कनुप्रिया ने कहा कि यह फैसला स्टूडेंट्स की जीत है। इसके लिए वह पीयू प्रशासन की आभारी हैं।