अब पीजीआइ में हर मरीज का रिकॉर्ड होगा ऑनलाइन, एक क्लिक पर मिलेगा पूरा ब्योरा
पीजीआइ में अब हर एक मरीज का रिकॉर्ड ऑनलाइन रखा जाएगा।यहां तक कि जो मरीज अन्य राज्यों के अस्पतालों से चंडीगढ़ रेफर किए जाते हैं, उनका भी रिकॉर्ड उपलब्ध होगा।
चंडीगढ़, [विशाल पाठक] : पीजीआइ में अब हर एक मरीज का रिकॉर्ड ऑनलाइन रखा जाएगा। यहां तक कि जो मरीज अन्य राज्यों के अस्पतालों से चंडीगढ़ रेफर किए जाते हैं, उनका भी रिकॉर्ड उपलब्ध होगा। कौन सा मरीज किस वार्ड में एडमिट है और उसका किस चीज का इलाज हो रहा है। यह सब जानकारी अब पेशेंट और डॉक्टरों को ऑनलाइन उपलब्ध होगी। एक क्लिक पर मरीज का पूरा ब्योरा सामने होगा। आइआइटी रुड़की के इंजीनियर इस सॉफ्टवेयर को डेवलप कर रहे हैं। पीजीआइ के अलावा शहर के अन्य सरकारी अस्पतालों के मरीजों का भी रिकॉर्ड इसमें उपलब्ध होगा। पीजीआइ प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक इस सॉफ्टवेयर को इसलिए तैयार किया जा रहा है, ताकि पीजीआइ व शहर के अन्य सरकारी अस्पतालों में शहर के अलावा दूसरे राज्यों से इलाज के लिए आने वाले मरीजों का पूरी जानकारी रखी जा सके। यहां तक कि जो मरीज अन्य अस्पतालों से पीजीआइ व सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आते हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर इलाज उपलब्ध कराया जा सके। सॉफ्टवेयर को जियो रेफरल दिया जाएगा नाम आइआइटी रुड़की के सॉफ्टवेयर इंजीनियर जो एंड्रोयड व वेब बेस्ट एप्लीकेशन तैयार कर रहे हैं, उसे जियो रेफरल नाम दिया गया है। दूसरे राज्यों से पीजीआइ में इलाज के लिए क्रिटिकल कंडीशन में एडमिट किए जाने वाले मरीजों के लिए यह सॉफ्टवेयर बहुत ही फायदेमंद होगा। इस सॉफ्टवेयर के जरिये जिस अस्पताल से पीजीआइ व शहर के अन्य सरकारी अस्पताल में मरीज को क्रिटिकल कंडीशन में इलाज के लिए रेफर किए जाएगा। उसके टेस्ट रिपोर्ट, हेल्थ प्रॉब्लम आदि की सभी जानकारी रेफर किए गए अस्पताल के डॉक्टरों को ऑनलाइन उपलब्ध होगी।
हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पीजीआइ से जवाब मांगा था कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, यूपी व अन्य राज्यों से इलाज के लिए आने वाले मरीजों के चलते बढ़ रहे मरीजों को हैंडल करने के लिए क्या एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। इमरजेंसी यूनिट के पेडियोट्रिक वार्ड में 25 हजार मरीज साल में आते हैं इस सॉफ्टवेयर की शुरुआत वैसे पीजीआइ के इमरजेंसी यूनिट में पेडियोट्रिक वार्ड में हो चुकी है। अब इसे अन्य वार्ड और शहर के अन्य सरकारी अस्पतालों में लागू किया जा रहा है। पेडियोट्रिक वार्ड में साल में 20 से 25 हजार रजिस्ट्रेशन इलाज के लिए होते हैं। इनमे से 76 प्रतिशत केस अन्य अस्पतालों से रेफर किए जाते हैं।