जेटली की पोटली से पंजाब के लिए कुछ खास नहीं निकला, कर्जमाफी की उम्मीद भी टूटी
केंद्रीय बजट में पंजाब को कुछ खास नहीं मिला है। पंजाब में सबसे बड़ा मु्द्दा किसानों की कर्जमाफी को लेकर बजट में घोषणा की उम्मीद थी, लेकिन निराशा ही हाथ लगी है।
चंडीगढ़, [इंद्रप्रीत सिंह]। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की पोटली से पंजाब के लिए कुछ खास नहीं निकला। केंद्रीय बजट से पंजाब की उम्मीदें नहीं पूरी हुर्इं। राज्य कि लोगों को उम्मीद थी कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले में अपने आखिरी बजट में मोदी सरकार कर्ज के दलदल में फंसे किसानों को कोई बड़ी राहत देगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसी तरह कर्ज में डूबे पंजाब सरकार को भी कोई राहत इसमें नहीं दिखी।
कर्ज माफी, फूडग्रेन कर्ज और मिसिंग रेल लिंक पर कुछ नहीं मिला
राज्य के आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने किसानों के कर्ज के बारे में कोई बात नहीं की है। पंजाब को इस बात की उम्मीद थी कि जिस तरह से यूपीए सरकार के समय किसानों का 72 हजार करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए गए थे उसी तरह का कदम जेटली उठाएंगे और किसानों को कुछ राहत देगी।
राहत : एमएसपी पर खरीदी जाएगी फसल, मिलेगा 50 फीसदी लाभ देकर
इसके अलावा, पंजाब को फूडग्रेन के 31 हजार करोड़ में राहत की उम्मीद थी लेकिन उसकी भी कोई बात इस बजट में सुनाई नहीं दी। बैंकों का एनपीए घटाने के लिए 2016 में केंद्र सरकार ने दबाव बनाकर फूडग्रेन एजेंसियों का 31 हजार करोड़ रुपये का लोन सरकार पर डाल दिया था और वादा किया था कि इसमें 12 हजार करोड़ की राहत दी जाएगी लेकिन अब केंद्र सरकार इस पर कोई बात नहीं कर रही है।
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गुरु नानक साहिब की 550 साला प्रकाशोत्सव से भी रहे खाली हाथ
2017 में श्री गुरु नानक देव जी का 550 साला मनाया जाना है। इसके अलावा जलियांवाला कांड की शताब्दी भी 2019 की जनवरी महीने में आ रही है लेकिन इन दोनों समारोहों के लिए केंद्र सरकार ने एक फूटी कौड़ी की घोषणा भी नहीं की। पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने इस बाबत केंद्र सरकार से अनुरोध किया था।
50 फीसदी लागत के साथ एमएसपी ही एकमात्र राहत
बजट में केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सभी फसलें लागत मूल्य के 50 फीसदी लाभ पर खरीदने को यकीनी बनाने का वादा किया है। दिलचस्प बात यह है कि केंद्र सरकार 23 फसलों की एमएसपी की घोषणा जरूर करती है लेकिन बफ्फर स्टॉक बनाए रखने के लिए केवल गेहूं और धान की फसल को ही खरीदा जाता है।
तमाम कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार सभी फसलों को खरीदने को सुनिश्चित कर देती है तो पंजाब के किसानों के लिए यही बहुत बड़ी राहत होगी। हाल ही में आलू , सूरजमुखी और मूंग की फसलें जिस तरह से मंडियों में बर्बाद हुई हैं उससे किसानों ने इन फसलों की खेती से मुंह मोड़ लिया है। यह कृषि विविधता की योजनाओं के लिए बड़ा धक्का है।
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इसी प्रकार दूध की गिरी कीमतों के चलते दूध उत्पादकों ने सड़कों पर दूध फेंककर इसके खिलाफ प्रदर्शन किया। इसने भी किसानों की आमदनी वषर् 2022 तक दोगुनी करने के इरादे से बनाए गए रोडमैप को धक्का लगा है। केंद्र सरकार खेती के साथ डेयरी को बढ़ाकर किसानों की आमदनी दोगुणा करना चाहती है।
बजट ने राह भी दिखाई, सवाल -क्या पंजाब उस ओर बढ़ेगा
सांसदों की अपना वेतन खुद ही बढ़ाने पर रोक लगाते हुए अरुण जेटली ने इसके लिए मकेनिज्म बनाने पर बल दिया। साथ ही कहा है कि सांसदों व मंत्रियों का वेतन महंगाई सूचकांक के समानुपात ही बढ़ाया जाएगा। यह पंजाब समेत उन राज्यों के लिए भी एक राह है जहां हर तीन साल विधायक मिलकर एक कमेटी बनाते हैं और अपनी मनचाही तनख्वाहें व भत्ते कर लेते हैं। यहां तक कि यह भी फैसला करते हैं कि उनके वेतन पर लगने वाला आयकर भी सरकार ही भरेगी। लेकिन, बड़ा सवाल है कि क्या पंजाब इसे अपनाएगा।
मिसिंग रेल लिंक भी नहीं
पंजाब में लुधियाना वाया रायकोट-बरनाला-मानसा सरदूलगढ़ रेल लिंक, फिरोजपुर-पट्टी-अमृतसर रेल लिंक, चंडीगढ़ -राजपुरा रेल लिंक समेत कई ऐसे रेल लिंक हैं जो नहीं बने हुए हैं। चंडीगढ़-राजपुरा के लिए तो सरकार जमीन देने को भी तैयार थी लेकिन इस बजट में इसकी कोई घोषणा नहीं की गई।
पराली के कारण होने वाले प्रदूषण के लिए 550 करोड़
पराली से होने वाली प्रदूषण से निपटने के लिए अरुण जेटली ने 550 करोड़ रुपये रखे हैं जो पराली से निपटने के लिए खरीदी जाने वाली मशीनरी पर सब्सिडी के रूप में दिए जाएंगे। पंजाब के किसानों की मांग उन्हें फसल पर सौ से दो सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से पराली के लिए दिए जाएं। लेकिन, सरकार ने 550 करोड़ रुपये रखकर किसानों के बहाने यह फायदा भी उद्योगों को दिया है।
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तीन साल में तबाह की आर्थिकता से उम्मीद कैसी : अजयवीर जाखड़
पंजाब किसान आयोग के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ का कहना है, पिछले तीन सालों में मोदी सरकार ने जिस तरह से आर्थिक व्यवस्था को तबाह किया है उसके बाद इस तरह की राहत की उम्मीद करना बेमानी है। उन्होंने कहा, अगर अरुण जेटली के वादे के मुताबिक केंद्र सरकार हर फसल को एमएसपी पर खरीदने और लागत का 50 फीसदी देने पर ही अमल कर लेती है तो इसे अच्छा माना जाएगा। लेकिन, मेरा निजी अनुभव है कि बजट में जो बातें कहीं जाती हैं वह कभी पूरी नहीं की जातीं।