डीजल की कीमत में वृद्धि ही नहीं, बढ़ी मजदूरी ने भी किसानों का निकाला कचूमर
पंजाब के किसानों की हालत डीजल की कीमत में वृद्धि के साथ ही मजदूरों में वृद्धि नें हालत खराब की है। किसानों के लिए खेती घाटे का काम हो गया है।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। डीजल के दाम 18 दिनों में प्रति लीटर दस रुपये से ज्यादा बढऩे से किसानों पर बोझ बहुत बढ़ गया है। कोरोना काल में केवल यही बड़ा बोझ नहीं है बल्कि श्रमिकों के संकट से बढ़ी मजदूरी भी बड़ा बोझ है। एक अनुमान के मुताबिक महंगे डीजल से ही किसानों पर 1100 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ गया है।
पिछले साल 2500 रुपये प्रति एकड़ थी धान की रोपाई, इस साल श्रमिक पांच हजार रुपये तक ले रहे प्रति एकड़
कोरोना के कारण बड़े स्तर पर श्रमिक पलायन कर गए। जो श्रमिक यहीं रह गए और जो अपने प्रदेशों से वापस आए उन्होंने धान की रोपाई के रेट बढ़ा दिए। इसके अलावा जो यहां के स्थानीय श्रमिक हैैं उन्होंने भी अपने रेट बढ़ा दिए हैं। दस जून से शुरू हुई धान की रोपाई में लेबर पर ही सबसे ज्यादा खर्च होता है।
पिछले साल रेट 2500 रुपये प्रति एकड़ था जो इस साल 5000 रुपये प्रति एकड़ हो गया है। इतने ज्यादा रेट बढऩे के कारण पंचायतों ने इस साल कई जगह पर प्रस्ताव पारित करके रेट भी तय किए, लेकिन लेबर की कमी होने के कारण किसानों ने अतिरिक्त पैसे दिए। ऐसे में अगर इस साल किसानों के कुल खर्च में वृद्धि का आकलन किया जाए तो केंद्र सरकार द्वारा धान पर बढ़ाई गई 53 रुपये एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) इस बार इनपुट कॉस्ट की वृद्धि में चली गई है।
खेती विशेषज्ञ दविंदर शर्मा का कहना है कि जब इनपुट कॉस्ट इतनी ज्यादा बढ़ गई हो तो केंद्र सरकार को एक बार फिर से रेट पर विचार करना चाहिए और इसे फिर से बढ़ाना चाहिए। दूसरी ओर पंजाब किसान आयोग के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ का कहना है कि खाद पर दी जा रही सब्सिडी को कम करने पर भी केंद्र सरकार विचार कर रही है। अगर ऐसा हुआ तो खाद के रेट भी बढऩे तय हैं। इस तरह के हालात में एमएसपी को नए सिरे से तय करने की जरूरत है।
लेबर की कमी के कारण हुई सीधी बिजाई
लेबर की कमी के कारण इस साल बीस फीसद जमीन पर सीधी बिजाई भी हुई है। हालांकि इसमें धान को जमने में समय लगता है, इसलिए कई जगहों पर किसानों द्वारा सीधी बिजाई को फिर से जोतकर नए सिरे से धान की रोपाई कर दी गई है। इससे दोहरा खर्च पड़ गया है।
कृषि विभाग के सचिव काहन सिंह पन्नू ने सीधी बिजाई करने वाले किसानों को न घबराने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि किसान धान की सीधी बिजाई के बाद 21 दिनों तक इंतजार करें। इस दौरान पौधा अपनी सारी ताकत जड़ों को जमाने में लगाता है, इसके बाद में उसमें तेजी से विकास होता है।
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