हॉस्टल अलॉटमेंट व हेल्दी फूड पर कोई चर्चा नहीं
पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव की तिथि घोषित हो चुकी है। छात्र संगठनों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है, लेकिन स्टूडेंट्स की मानें ऐसे प्रचार से कोई फायदा नहीं है, जिसमें उनसे जुड़े ज्वलंत मुद्दों की कोई चर्चा न हो।
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव की तिथि घोषित हो चुकी है। छात्र संगठनों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है, लेकिन स्टूडेंट्स की मानें ऐसे प्रचार से कोई फायदा नहीं है, जिसमें उनसे जुड़े ज्वलंत मुद्दों की कोई चर्चा न हो। मुद्दों का जिक्र करते हुए स्टूडेंट्स ने बताया कि पीयू में पूरे साल हॉस्टल की कमी का मामला छाया रहा है। अब भी स्टूडेंट्स में इसे लेकर मारामारी स्थिति बनी हुई है। करीब साढ़े 16 हजार स्टूडेंट्स पीयू में पढ़ते हैं, लेकिन रूम करीब सात हजार को ही मिल पाता है। पीयू के हॉस्टलों में कमरे करीब चार हजार हैं। औसतन एक कमरे में दो स्टूडेंट्स को रखा जाता है। इसे लेकर स्टूडेंट्स में रोष है। इसके अलावा हॉस्टल में खाने की गुणवत्ता भी दूसरा ज्वलंत मुद्दा है। इसे लेकर स्टूडेंट्स लगातार आवाज उठाते रहे हैं, लेकिन सुनवाई कम ही हुई है। स्टूडेंट सेंटर पर जिस थाली में कुत्ते और बंदर मुंह मारते हैं, उसी में स्टूडेंट्स खाना खाने को मजबूर हैं। इसी प्रकार ई-रिक्शा, सफाई समेत अन्य कई मुद्दे ऐसे भी हैं, जिन पर काम करने की जरूरत है। स्टूडेंट्स का कहना है कि छात्र संघ का नेतृत्व ऐसे छात्र नेता करें, जो सिस्टम में ट्रांसपैरेंसी लाने के लिए काम कर सकें। ..ताकि हॉस्टल के लिए परेशान न होना पड़े
एमएससी मैथ कर रहे हरजीत ने बताया कि रूम अलॉटमेंट प्रणाली बेहद अस्पष्ट है। इतनी लंबी वेटिंग होती है। स्पष्ट रूप से नहीं बताया जाता है कि कितने रूम खाली हैं और कितने भर गए हैं। कहने को ऑनलाइन सिस्टम बनाया गया है, लेकिन सब गोलमाल है। वार्डन अपने चहेतों को रूम देते हैं, योग्य कैंडिडेट्स को नहीं। खाने में कीड़े मिलना आम बात
पीएचडी स्कॉलर खुशप्रीत ने कहा कि छात्र संगठनों को चाहिए कि हॉस्टल अलॉटमेंट को पारदर्शी बनाने और खाने की गुणवत्ता को ठीक करने की दिशा में काम हो। दो दिन पहले भी सेंटर पर खाने में कीड़ा मिला। छात्र पूरे साल परेशान होते हैं लेकिन कोई ध्यान नहीं देता। गेस्ट के लिए रूम बंद हो
पीएचडी स्कॉलर हरजीत ने बताया कि हमें नहीं पता होता कि हॉस्टल के कितने रूम खाली हैं और कितने भरे। इतना जरूर पता है कि वार्डन पारदर्शी तरीके से काम करें तो समस्या काफी हद तक ठीक हो सकती है। गेस्ट के लिए हॉस्टल के रूम बंद होने चाहिए। वार्डन को सब पता है कि कितने रूम हैं
ह्यूमन जीनोम में एमएससी कर रही प्रभजोत का कहना है कि हॉस्टल की समस्या सबसे बड़ी है। छात्र संगठनों को चाहिए कि इस दिशा में काम करें। साल भर धक्के खाते हैं, लेकिन रूम नहीं मिलता है। वार्डन को सब पता होता है कि कितने रूम हैं, लेकिन बताया कुछ नहीं जाता है। खाने की क्वालिटी ठीक करो
एमएससी की स्टूडेंट विनिता सिंह ने कहा कि दोनों कैंपस में ई-रिक्शा प्रणाली को ठीक किए जाने की जरूरत है। दूसरा सबसे मुद्दा है खाने का। स्टूडेंट सेंटर से लेकर हॉस्टल तक के खाने की क्वालिटी सवालों के घेरे में है। कार्यशैली में सुधार जरूरी
एमए पंजाबी के शमिंदर सिंह ने बताया कि छात्र संगठनों को खाने की गुणवत्ता और हॉस्टल अलॉटमेंट को पारदर्शी किए जाने की जरूरत है। हॉस्टल के खाने में बेहद मसाला होता है और कैंटीन में भी हालात खराब हैं। डीएसडबल्यू को इन मुद्दों पर प्रशासनिक स्तर पर कार्यशैली में सुधार करना चाहिए। --स्टूडेंट्स ने इन मुद्दों पर खींचा छात्र नेताओं का ध्यान--
- पीयू के चुनावी माहौल में उठी हॉस्टल अलॉटमेंट में पारदर्शिता की मांग
-कहा- वार्डन और पीयू प्रशासन रूम अलॉट करने में अपनाते हैं मनमाने तरीके
-रूम खाली होने के बावजूद बाहर ताला लगाकर दिया जाता है नो रूम का संदेश
- लगाए आरोप- वार्डन के पास 10 से15 रूम उपलब्ध होते हैं अपने खास लोगों के लिए
-स्टूडेंट्स ने हॉस्टल में खाने की गुणवत्ता पर भी उठाए सवाल
- स्टूडेंट्स सेंटर पर खाने की गुणवत्ता बेहद खराब
- प्लेसमेंट और लड़कियों के लिए 24 घंटे हॉस्टल में आने-जाने का नियम जरूरी