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नौ दिन बाद भी आपदा की अधिसूचना नहीं, बाढ़ राहत के लिए 88 करोड़ जारी

पंजाब में बाढ़ की स्थिति के बावजूद अभी तक इस संबंध में अधिसूचना जारी नहीं की गई है। राज्‍य में राहत कार्य के लिए 88 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 09:59 AM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 09:01 PM (IST)
नौ दिन बाद भी आपदा की अधिसूचना नहीं, बाढ़ राहत के लिए 88 करोड़ जारी
नौ दिन बाद भी आपदा की अधिसूचना नहीं, बाढ़ राहत के लिए 88 करोड़ जारी

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भले ही 19 अगस्त को बाढ़ को प्राकृतिक आपदा घोषित कर दिया था, लेकिन नौ दिन बीतने के बावजूद अभी तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं हुई है। केंद्र सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए पंजाब सरकार को पत्र लिखा है, लेकिन सरकार ने अभी तक इसका जवाब नहीं दिया है। इसकी वजह से अभी यह तय नहीं हो पाया है कि केंद्रीय टीम कब पंजाब का दौरा करेगी। वहीं, बाढ़ राहत कार्य के लिए वित्त विभाग ने 88 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी है। वित्त विभाग का कहना है कि आगे जैसे-जैसे डिमांड आती जाएगी, फंड जारी होता रहेगा।

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केंद्र सरकार ने राज्य के दौरे के लिए लिखा पत्र, पंजाब ने नहीं दिया जवाब

प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार बाढ़ की वजह से राज्य में 17,500 एकड़ फसल बर्बाद हो चुकी है, जबकि 400 करोड़ के करीब इनफ्रास्ट्रक्चर का नुकसान हुआ है। हालांकि यह प्राथमिक रिपोर्ट में है। प्राकृतिक आपदा की अधिसूचना के बाद ही किसानों को बीमा या ऋण वगैरह में लाभ मिल सकता है।

प्राकृतिक आपदा फंड में 6200 करोड़, नहीं होगी क्षतिपूर्ति

पंजाब सरकार के पास प्राकृतिक आपदा फंड के रूप में 6200 करोड़ रुपये पड़े हैं, लेकिन इस फंड से प्रभावित लोगों की पूरी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती। क्योंकि इस फंड का प्रयोग करने के लिए राज्य सरकार को केंद्रीय नियमों का पालन करना पडऩा है। केंद्रीय नियम के अनुसार एक एकड़ फसल पूरी तरह से खत्म होने की सूरत में 8000 रुपये का भुगतान किया जाता है, जो पांच एकड़ से ज्यादा नहीं हो सकता। हालांकि, पंजाब सरकार ने सीमा को 12,000 रुपये एकड़ कर दिया है।

इसमें राज्य सरकार 6600 और केंद्र सरकार 5400 रुपये का योगदान देगी। ऐसे ही दुधारू पशु के मरने पर 30 हजार के मुआवजे का प्रावधान है। ऐसे कई नियमों की वजह से पूरी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती। यही कारण है कि पंजाब सरकार बहुत कुछ केंद्र सरकार पर निर्भर करती है। केंद्र सरकार अगर प्रधानमंत्री राहत कोष से फंड जारी करने की घोषणा करती है, तो इसमें कोई लिमिट नहीं होती है। यही कारण है कि राज्य सरकार ने केंद्र पर बाढ़ राहत राज्यों में शामिल करने का दबाव बनाया था।

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जालंधर, लुधियाना व मोगा में अब तक 12 दरारें भरीं, सरकारिया ने दिया एक माह का वेतन

जल संसाधन मंत्री सुखबिंदर सिंह सरकारिया का कहना है कि अब तक सतलुज नदी के 12 दरारें सफलतापूर्वक भरी जा चुकी हैं।  बाकी पर युद्ध स्तर पर जारी है। मंत्री ने अपना एक माह का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया है। मंत्री ने कहा कि सरकार व कई संगठनों के वॉलंटियरों के प्रयासों से दरारें भरी जा सकीं। फिल्लौर सब डिवीजन के गांव मियोवाल और माऊ साहिब में नौ दरारें भरने के अलावा लुधियाना के गांव भोलेवाल में 168 फुट चौड़ी दरार को शनिवार को भर दिया गया था।

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मोगा जिले के गांव किशनपुरा में भी दो दरारें भरी गई हैं। जालंधर जिले के गांव जानियां चाहल में 500 फुट चौड़ी दरार और संगोवाल में 200 फुट दरार को भरने का काम चल रहा है। रोपड़ के गांव भाऊवाल में 50 फुट, गांव खैराबाद में 150 फुट और गांव सुरतापुर में 60 फुट दरार को भरा जा रहा है।

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