मेरा हाथ नहीं, अब रनिग ट्रैक से बदलूंगा किस्मत की लकीरें
पंजाब यूनिवर्सिटी के ग्राउंड में मंगलवार से पीयू इंटर कॉलेज एथलीट मीट का आगाज हुआ। इस प्रतियोगिता में हजारों एथलीट हिस्सा ले रहे हैं।
विकास शर्मा, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी के ग्राउंड में मंगलवार से पीयू इंटर कॉलेज एथलीट मीट का आगाज हुआ। इस प्रतियोगिता में हजारों एथलीट हिस्सा ले रहे हैं। इस प्रतियोगिता में एक ऐसा एथलीट भी है, जो अपनी प्रतियोगिता के बाद भी ट्रैक को परखने के लिए बार-बार दौड़ रहा था। होशियारपुर के सैनीबार कॉलेज बुल्लोवार का स्टूडेंट मिथन दिव्यांग है, उसकी एक बाजू नहीं है, बावजूद इसके वह सामान्य एथलीट के साथ 400 मीटर की दौड़ में हिस्सा ले रहा है, पहले दिन उसने हीट क्लेयर कर प्रतियोगिता के अगले दौर में प्रवेश किया। इससे जब इसकी वजह पूछी गई तो मिथन ने बड़ी ही सरलता से बताया कि एक तो वह दिव्यांग है और दूसरा वह बेहद गरीब परिवार से ताल्लुकात रखता है। ऐसे में यह रनिग ट्रैक में ही उसे अपनी जिदंगी को बदलने का राह दिखती है। इसीलिए प्रतियोगिता के दूसरे दौर में कोई चूक न हो, इसलिए अभ्यास कर रहा हूं। मिथन के एथलीट बनने का किस्सा भी दिलचस्प
चार साल पहले मुकेरियां में आयोजित ब्लॉक स्तर एथलीट मीट में मैंने मिथन को पहली बार दौड़ते हुए देखा। मिथन दौड़ता अच्छा नहीं था, लेकिन उसमें जीतने का अजीबोगरीब जज्बा था। वह इतनी तेजी से दौड़ रहा था कि मानो उसके लिए यह जीत ही सब कुछ हो, प्रतियोगिता में मिथन ने गोल्ड जीता। यह कहना है पंजाब स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट के एथलेटिक कोच दीपक शर्मा का। दीपक बताते हैं कि मैं मिथन से इतना प्रभावित हुआ कि मैंने उसे दसुआ स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में कोचिग के लिए बुला लिया। मिथन ने लगातार मेहनत की और आज वह कई नेशनल व इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में जीत दर्ज कर चुका है। मिथन कई प्रतियोगिताओं में कर चुका है खुद को साबित
मिथन कई नेशनल व इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में मेडल जीत चुका है। मिथन ने दुबई में आयोजित यूथ एशियन पैरा गेम्स-2017 में सिल्वर मेडल जीता। साल 2018 जकार्ता में आयोजित पैरा एशियन गेम्स की 400 मीटर की दौड़ के लिए भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। नेशनल पैरा गेम्स- 2016 में एक सिल्वर और एक ब्रांज मेडल जीता। इसके अलावा राज्य स्तरीय गेम्स में भी मिथन कई प्रतियोगिताएं जीत चुके हैं। सरकार करे मिथन को प्रोत्साहित
पंजाब स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट के एथलेटिक्स कोच दीपक शर्मा ने बताया कि मिथन की परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। खिलाड़ी के लिए अच्छी डाइट भी जरूरी है। साल 2014 में एक सड़क हादसे में मिथन के पिता घायल हो गए थे, तब से वह बिस्तर पर पड़े हैं। मिथन का एक बड़ा भाई है जो ड्राइविग कर अपने तीन भाई-बहनों और परिजनों का पेट पालता है। ऐसे में सरकार मदद करे तो यकीनन मिथन भविष्य में देश के लिए मेडल जीत सकता है।