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नितिन गडकरी क बयान पर बोले सुखबीर बादल- एमएसपी के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं

शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने एमएसपी पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बयान पर कहा है कि एमएसपी पर कोई समझौता नहीं करेंगे। इसे खत्‍म किया गया तो आंदोलन करेंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 12:11 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 12:11 PM (IST)
नितिन गडकरी क बयान पर बोले सुखबीर बादल- एमएसपी के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं
नितिन गडकरी क बयान पर बोले सुखबीर बादल- एमएसपी के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं

चंडीगढ़, जेएनएन। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि उनकी पार्टी सरकारी एजेंसियों द्वारा किसानों के धान तथा गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सुनिश्चित खरीद के मुद्दे पर कभी भी समझौता नहीं करेगी। उन्हें मौजूदा एमएसपी पर कोई खतरा मंडराता नजर नहीं आ रहा है, लेकिन यदि किसी भी स्तर पर एमएसपी और सुनिश्चित खरीद के साथ छेड़छाड़ की जाती है तो अकाली दल मूकदर्शक बनकर नहीं रहेगा। इसके खिलाफ आंदोलन छेड़ेगा। सुखबीर बादल ने केंद्रीय मंत्री गडकरी के एमएसपी के खिलाफ बयान पर प्रतिक्रिया जताई है।

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सुखबीर का यह बयान कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़, मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और कृषि विशेषज्ञों के एमएसपी के मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल के स्टैंड पर सवाल उठाने पर आया है। दरअसल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का एमएसपी के खिलाफ दिया गया बयान पंजाब में बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। गडकरी ने एमएसपी को देश की आर्थिकता में बाधा बताया था।

इससे पहले केंद्र सरकार ने कृषि सुधारों के नाम पर जो तीन ऑर्डिनेंस जारी किए थे उसका शिरोमणि अकाली दल ने समर्थन किया था। जिसको लेकर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और कृषि विशेषज्ञों ने अकाली दल को कठघरे में खड़ा किया था। राजनीतिक मामलों के जानकारों ने भी शिअद के स्टैंड को गलत बताते हुए कहा कि इसका उसे नुकसान हो सकता है क्योंकि ये संशोधन न केवल संघीय ढांचे के खिलाफ हैं बल्कि मंडियों व फसलों की खरीद को निजी कंपनियों के हवाले करने की ओर एक कदम है।

सुखबीर ने कहा है कि देश की खरीद प्रणाली को मजबूत, संशोधित करने की आवश्यकता है। दालें, तिलहन तथा सब्जियों सहित अधिक फसलों को भी एमएसपी पर खरीदा जाना चाहिए। दूसरी तरफ राजनीतिक विश्लेषक जगतार ङ्क्षसह का कहना है कि अकाली दल अपने मूल स्टैंड से पीछे हट रहा है जो उसे महंगा पड़ सकता है। अकाली दल का कोर वोटर किसान है और किसानों के विरोध में आने वाले बिलों का समर्थन करने से उसे नुकसान हो सकता है।

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