फ्लेवर के नाम पर नाइट क्लबों में हुक्के में परोसा जा रहा निकोटिन Chandigarh News
शहर में युवाओं को फ्लेवर के नाम पर हुक्के में निकोटिन परोसा जा रहा है। ड्रग्स कंट्रोलर भी हुक्का बार पर नकेल कसने की जगह चालान कर खानापूर्ति कर रहे हैं।
चंडीगढ़ [विशाल पाठक]। शहर के करीब सभी डिस्कोथेक और नाइट क्लबों में धड़ल्ले से हुक्का चल रहा है। चंडीगढ़ के पड़ोसी राज्य पंजाब में हुक्का बार पर पूरी तरह बैन लगा दिया गया है। चंडीगढ़ प्रशासन शहर में हुक्का बार बंद करने को लेकर कई बार कवायद शुरू कर चुका है। लेकिन हुक्का बार मालिकों के आगे प्रशासन की कार्रवाई धीमी पड़ चुकी है। शहर में युवाओं को फ्लेवर के नाम पर हुक्के में निकोटिन परोसा जा रहा है। ड्रग्स कंट्रोलर भी हुक्का बार पर नकेल कसने की जगह चालान कर खानापूर्ति कर रहे हैं। जिस तेजी से हुक्का बार का चलन शहर में बढ़ रहा है। युवाओं के लिए खतरा बनता जा रहा है।
विशेषज्ञों की मानें तो हुक्के का एक कश 100 सिगरेट पीने के बराबर है। ऐसे में युवाओं की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है। लेकिन प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। पिछले पांच महीने से बंद पड़ी है हुक्का बार पर कार्रवाई बीते अप्रैल से अब तक शहर के किसी भी हुक्का बार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि अधिकतर नाइट क्लबों और डिस्कोथेक में फ्लेवर के नाम पर हुक्के में निकोटिन परोसा जा रहा है। जबकि इससे पहले हर दूसरे-तीसरे महीने हुक्का बारों पर कार्रवाई होती रही है। न तो हुक्का बार पर अब रेड पड़ रही है। न ही भेजे गए सैंपलों की रिपोर्ट आ रही है।
ड्रग कंट्रोल एक्ट के नियमों के मुताबिक जब तक हुक्का फ्लेवर के सैंपल नहीं आते तब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। और इस पूरी प्रक्रिया में दो से तीन महीने लग जाते हैं। टास्क फोर्स का भी नहीं हुआ कोई फायदा हुक्का बार पर शिकंजा कसने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश पर एक टास्क फोर्स टीम बनाई गई थी। टास्क फोर्स का काम था कि हर हफ्ते शहर के अलग-अलग एरिया में चल रहे डिस्कोथेक व नाइट क्लबों में औचक निरीक्षण कर हुक्का बार पर कार्रवाई करनी थी। फ्लेवर के नाम पर जिन हुक्का बारो में निकोटिन परोसा जा रहा है, उन पर सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा गया था। मगर टास्क फोर्स अपना काम नहीं कर रही है।
हर्बल फ्लवेर के नाम पर देते हैं चकमा
दैनिक जागरण के संवाददाता ने जब शहर के एक हुक्का बार मालिक से इस बारे में बात की। उनका कहना था कि वे हर्बल हुक्का पिलाते हैं। जब इस बारे में एक डॉक्टर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि उसमें भी निकोटिन होता है। हर्बल नाम की कोई चीज नहीं होती है। हर्बल के नाम पर युवाओं को जो हुक्का फ्लेवर दिया जाता है। उसमें निकोटिन मिलाया जाता है। ताकि युवाओं में इस नशे की लत डाल सकें। मार्केट में पहले जो फ्लेवर आते थे। उन पर निकोटिन की मात्रा बाकायदा लिखी रहती थी। अब किसी भी फ्लेवर कंटेंट्स के बारे में नहीं लिखा होता है। जोकि युवाओं के लिए बहुत ही खतरनाक है।
पुलिस के पास पावर आते ही धीमी पड़ी हुक्का बारों पर कार्रवाई
ड्रग कंट्रोलर के साथ हुक्का बारो पर कार्रवाई के लिए चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से चंडीगढ़ पुलिस को भी पावर दी गई थी। 22 अगस्त 2016 को चंडीगढ़ प्रशासन ने ऑर्डर जारी किए थे कि सभी डीएसपी और एसएचओ अपने एरिया में हुक्का बारों पर रूटीन चे¨कग करेंगे। जब से पुलिस के पास यह पावर गई है तब से हुक्का बारो पर कार्रवाई धीमी पड़ गई है। पुलिस को पॉयजन एक्ट 1919 के तहत कार्रवाई करने के लिए कहा गया था। आंकड़ों की मानें तो साल 2017 से 2019 तक एक भी हुक्का बार सील नहीं हुआ। साल 2016 में शहर में 9 हुक्का बार सील किए गए थे।
काउंसिल की मीटिंग में इस बार इस मुद्दे को शामिल किया जाएगा। हुक्का के नाम पर युवाओं को निकोटिन परोसना बिलकुल गलत है। इसके खिलाफ हमारा हेल्थ डिपार्टमेंट और पुलिस विभाग लगातार शहर के क्लबों और डिस्कोथेक में चेकिंग कर रहा है। पंजाब ने एक्ट में जिस प्रकार संशोधन कर हुक्का पर पूरी तरह बैन लगा दिया है। इस पर प्रशासन विचार कर रहा है। प्रशासक के निर्णय के बाद ही दिशा में कोई कदम उठाया जा सकता है। -मनोज परिदा, एडवाइजर, चंडीगढ़
आम तौर पर हुक्का बार संचालक कहते है कि व हर्बन प्रोडक्ट का हुक्का में इस्तेमाल करते हैं। लेकिन उसमें तंबाकू की मात्रा होती है जोकि सिगरेट की तरह ही नुकसानदेह है। इसके ज्यादा सेवन से फेफड़े के कैंसर के साथ ही शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। -डॉ. राकेश कपूर, एचओडी, रेडियोथैरेपी डिपार्टमेंट, पीजीआइ, चंडीगढ़।
इस बारे में पूर्व एडवाइजर परिमल राय को लेटर लिखा गया था। जिसमें पंजाब की तर्ज पर चंडीगढ़ में भी हुक्का बैन करने को लेकर एक्ट को अडॉप्ट करने की सिफारिश की गई थी। पूर्व एडवाइजर राय ने डीएचएस को इस बारे में पंजाब एक्ट को अडॉप्ट करने के लिए प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा था। बीच में परिमल राय का ट्रांसफर हो गया था। उसके बाद मैंने खुद इस संदर्भ में एडवाइजर मनोज परिदा और प्रशासक वीपी सिंह बदनौर को लेटर लिखा है। शहर में हुक्का बार बंद कर दिए जाए। लेकिन इस दिशा में अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। -अजय जग्गा, एडवोकेट
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