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चंडीगढ़ के पुलिस कर्मियों के लिए नए सरकारी मकान, प्रशासन ने दी जमीन, स्कूल, शापिंग माल और डिस्पेंसरी भी होगी

चंडीगढ़ पुलिस विभाग के कर्मियों के लिए शहर में नए मकान बनेंगे। प्रसाशन की तरफ से इस हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए जमीन भी अलाट कर दी गई है। 52 एकड़ जमीन पर टाइप-2 मकान तैयार किए जाएंगे ।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Thu, 22 Sep 2022 10:27 AM (IST)Updated: Thu, 22 Sep 2022 10:27 AM (IST)
चंडीगढ़ के पुलिस कर्मियों के लिए नए सरकारी मकान, प्रशासन ने दी जमीन, स्कूल, शापिंग माल और डिस्पेंसरी भी होगी
प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ के पुलिस कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है कि अब उनके रिहाहशी आवास के निर्माण में कोई दिक्कत नहीं आएगी। क्योंकि यूटी प्रशासन ने  पुलिस कर्मियों के सरकारी मकानों के निर्माण के धनास में 52.5 एकड़ जमीन अलाट की है। यहां धनास के पुलिस कैंपस में ही टाइप-2 के 144 मकान बनाए जाएंगे। प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है। 

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धनास स्थित पुलिस परिसर में चरणबद्ध तरीके से अन्य आवश्यक सुविधाओं के साथ कई प्रकार के 1560 मकान बनाए जाने की योजना है। कुल 1560 मकानों में से 1152 मकान टाइप-2 कैटेगरी के हैं। इस संबंध में पहले चरण में 336 टाइप- 2 मकान पहले ही बन चुके हैं। ये मकान पुलिस कर्मियों को अलाट भी भी किए जा चुके हैं। साइट पर दूसरे और तीसरे चरण के 672 टाइप-2 मकानों का निर्माण कार्य चल रहा है, जिसके शीघ्र ही पूरा होने की संभावना है।

इसके बाद अब अन्य 144 मकानों के लिए प्रशासन ने जमीन दे दी है। यह प्रोजेक्ट 48 करोड़ रुपये की लागत से 18 महीने में पूरा होगा। इस प्रोजेक्ट में ग्राउंड फ्लोर के साथ 6 मंजिला इमारत बनाई जाएगी, जिसमें स्टिल्ट पार्किंग की व्यवस्था होगी। इस परिसर में भविष्य में कम्युनिटी सेंटर, स्कूल, शापिंग माल और डिस्पेंसरी की भी सुविधा होगी।

बता दें कि इस समय हाउसिंग इंप्लाइज सोसाइटी पिछले 14 साल से अपने मकानों के लिए संघर्ष कर रही है।प्रशासन 3900 कर्मचारियों के स्कीम के तहत ड्रा निकाले थे, लेकिन बाद में यह स्कीम डंप कर दी थी। सोसाइटी के कर्मचारी लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं। असल में केंद्र सरकार सस्ते रेट पर मकान बनाने के लिए जमीन देने के लिए तैयार नहीं है।

सोसाइटी के उपाध्यक्ष नरेश कोहली का कहना है कि पुनार्वास योजना के तहत झुग्गी झोपड़ी वालों को तो प्रशासन मुफ्त में मकान बनाकर दे रही है, लेकिन उनके सरकारी कर्मचारी पूरा भुगतान देने को तैयार है। बावजूद प्रशासन उनकी स्कीम को सिरे नहीं चढ़ा रहा है। हर लोकसभा चुनाव में नेता वादा करते हैं लेकिन चुनाव के बाद नेता अपने वादे भूल जाते हैं।


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