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शिक्षा की भलाई के लिए नई शिक्षा नीति जल्द होनी चाहिए लागू

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति दोनों सदनों से पास हो गई है। लेकिन इसको लागू करने में पसीने छूट रहे हैं। पंजाब यूनिवíसटी एलुमनाई एसोसिएशन (पीयूएएए) और और स्वयं सेल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 डॉट्स ज्वाइनिंग पर वेबिनार का आयोजन किया।

By Edited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 12:24 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 12:24 PM (IST)
शिक्षा की भलाई के लिए नई शिक्षा नीति जल्द होनी चाहिए लागू
आयोजन के लिए वक्ता विनीता अरोरा, डॉ. राजीव खोसला और संजीव गुप्ता थे। (जागरण)

चंडीगढ़, जेएनएन। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति दोनों सदनों से पास हो गई है। लेकिन इसको लागू करने में पसीने छूट रहे हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी एलुमनाई एसोसिएशन (पीयूएएए) और और स्वयं सेल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 डॉट्स ज्वाइनिंग पर वेबिनार का आयोजन किया। पीयू समन्वयक स्वयं सेवक डॉ. विशाल शर्मा ने वक्ताओं का स्वागत किया और कार्यक्रम का संचालन किया। इस आयोजन के लिए वक्ता विनीता अरोरा, डॉ. राजीव खोसला और संजीव गुप्ता थे।

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भवन विद्यालय की सीनियर प्रिंसिपल विनीता अरोड़ा ने 2016 के बाद से स्कूल शिक्षा और उसके लाभ में एनईपी 2020 की 10+2 से 5+3+3+4 प्रणाली के परिवर्तन को समझाया। उन्होंने व्यावसायिक शिक्षा और छात्रों के 36 डिग्री मूल्याकन के बारे में बात की, जहा छात्र का मूल्याकन उसके साथियों, स्वयं और शिक्षकों द्वारा किया जाएगा। प्रतिभागियों के साथ बातचीत के दौरान अरोड़ा ने सहमति व्यक्त की कि शिक्षकों को एनईपी के कार्यान्वयन से पहले प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। ताकि उनकी मानसिकता में बदलाव आ सके जो समय के लिए आवश्यक है ताकि वे शिक्षाविदों के साथ-साथ खेल या अन्य क्षेत्रों जैसे संगीत और नृत्य को भी समान महत्व दें।

डीएवी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, चंडीगढ़ में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव खोसला ने इंग्लैंड, कनाडा, सिंगापुर आदि देशों पर चर्चा की जहा हमारे छात्र उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा नीतियों के बारे में चर्चा की। एनईपी 2020 एक बहुत ही सामयिक नीति है, सबसे अच्छे दिमाग का इस्तेमाल किया गया है और इसे बनाने से पहले लाखों सुझावों पर विचार किया गया है। यह देश और शिक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण कदम है। संजीव गुप्ता ने पहले उद्योग नीति के पहलू पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि नीति का अच्छा हिस्सा यह है कि छात्र अब बहुत कम उम्र से संख्यात्मक कौशल और महत्वपूर्ण सोच प्राप्त करेंगे। जो उन्हें अपने करियर बनाने में मदद करेगा। गुप्ता ने यह भी सुझाव दिया कि प्रशिक्षण और शिक्षण में उद्योग के विशेषज्ञों और शिक्षाविदों का मिश्रण होना चाहिए।


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