नई किसान नीति तैयार, सब्सिडी बंद करने पर जोर
पंजाब में राज्य किसान व खेत मजदूर आयोग ने की नई किसान पॉलिसी तैयार कर ली है। इस पर किसानों से 30 जून तक एतराज मांगे गए हैं।
चंडीगढ़ [मनोज त्रिपाठी]। राज्य किसान व खेत मजदूर आयोग ने कृषि नीति (एग्रीकल्चर पॉलिसी) का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। किसानों से 30 जून तक एतराज मांगे गए हैं। ड्राफ्ट पॉलिसी में आयोग ने इनकम टैक्स देने वाले किसानों को बिजली की सब्सिडी न देने की सिफारिश की है। साथ ही कहा है कि चार हेक्टेयर व उससे ज्यादा खेत वाले किसानों से सरकार मुफ्त में बिजली देने की बजाय उनसे फ्लैट रेट 100 लिए जाएं।
पॉलिसी में वातावरण, ग्राउंड वाटर का स्तर ऊंचा करने और महिलाओं को ज्यादा भागीदारी देने सहित किसान व खेती का संपूर्ण डाटा बैंक तैयार करने पर जोर दिया गया है। ड्राफ्ट पॉलिसी का खुलासा करते हुए आयोग के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ व सदस्य बलविंदर सिंह सिद्धू ने बताया कि पंजाब की यह पहली किसान पॉलिसी होगी। इससे पहले 2013 में एक बार जरूर पिछली सरकार ने तैयार करवाई थी, लेकिन वह फाइलों से बाहर ही नहीं निकल सकी।
ड्राफ्ट पालिसी पर 30 जून तक एतराज लिए जाएंगे। इसके बाद दो सप्ताह में फाइनल पॉलिसी तैयार करके सरकार को सौंप दी जाएगी। उम्मीद है कि विधानसभा के अगले सत्र में मंजूरी देने के बाद इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। पॉलिसी में गेहूं व धान की खरीद करने वाले आढ़तियों को फसल के समर्थन मूल्य से मिलने वाले 2.5 फीसद के कमीशन में से 20 फीसद कमीशन सरकार दूध व अन्य फसलों के लिए फंड एकत्र करने के रूप में लेने की भी सिफारिश की गई है। साथ ही महिलाओं को खेती में ज्यादा भागीदारी देने के लिए खेती विभाग में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं की तैनाती की करने को भी कहा गया है।
खेती से जु़ड़े सभी विभागों को मर्ज करने की सिफारिश
ड्राफ्ट पॉलिसी में खेती से जुड़े एग्रीकल्चर, कोआपरेशन व एनीमल हसबेंडरी विभाग को मर्ज करने की सिफारिश की गई है। इनके दफ्तर भी एक ही छत के नीचे होंगे। साथ ही इन किसानों की उक्त विभागों से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए एक्सपर्ट भी तैनात किए जाएंगे।
किसानों का डाटा बैंक होगा तैयार
नई पॉलिसी के अनुसार इनकम टैक्स अदा करने वाले और इनकम टैक्स न अदा करने वाले किसानों का डाटा तैयार किया जाएगा। उनके पास कितनी जमीन है, परिवार में कौन-कौन है, जमीन किसके नाम पर है, कितना लोन है, किस इलाके में जमीन, किस चीज की खेती करते हैं, मोबाइल नंबरों सहित शिक्षा कितनी है आदि जानकारियां डाटा बैंक में जुटाई जाएगी।
ग्राम सभाओं को पावरफुल बनाया जाएगा
किसानों की समस्याओं को सुलझाने व उन्हें जागरूक करने के लिए ग्राम सभाओं को पंचायती राज व्यवस्था के तहत और पावरफुल बनाने पर जोर दिया गया है। इनके जरिए छोटे किसानों को खेती के महंगे उपकऱणों को इस्तेमाल करने के लिए दिया जाए। मसलन ट्रैक्टर खरीदने की बजाय ग्राम सभाओं को ट्रैक्टर दिए जाएं, जिससे वह छोटे किसानों की ट्रैक्टर संबंधी जरूरत पूरा कर सकें।
ग्राउंड वाटर का स्तर सही करने पर फोकस
आयोग की ओर से तैयार नई कृषि नीति में किसान व खेत मजदूर आयोग की ओर से यह भी तय किया गया है कि खेती के लिए चोरी-छिपे नहरी पानी का इस्तेमाल होने पर संबंधित इलाके के सिंचाई विभाग के अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होगी। इसके साथ ही लगातार नीचे जा रहे जल स्तर को उठाने के लिए किसानों को कितना पानी का इस्तेमाल करना है। इसके साथ ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग के बारे में भी उन्हें जागरूक किया जाएगा।
पीएयू से पास हो कीटनाशकों व रसायनों का इस्तेमाल
पॉलिसी में कहा गया है कि पंजाब में उन्हीं कीटनाशकों, रसायनों तथा खादों का इस्तेमाल किया जाए जिनको पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) मान्यता दे। अभी केंद्र सरकार इस संबंध में मान्यता देती है। हर साल कीटनाशकों के इस्तेमाल में 10 फीसद की कटौती की जाए। इसके लिए विक्रेता दुकानदार हर किसान का रिकार्ड रखे कि उसने कौन-कौन सी खाद व कीटनाशक खरीदे हैं। उसकी जानकारी सरकार को दे। अगर किसान को विक्रेता गलत दवा देता है तो उसे भी सजा दी जा सके।
किसानों को मिलेगी मुफ्त बिजली की सुविधा: कैप्टन
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि सरकार किसानों को मुफ्त बिजली देने के लिए प्रतिबद्ध है। ड्राफ्ट की गई एग्रीकल्चर पॉलिसी जनता के सुझावों के बाद किसान आयोग फाइनल करके सरकार को सौंपेगा। इसके बाद सरकार देखेगी कि क्या लागू करना है और कैसे लागू करना है। फिलहाल आयोग ने 30 जून तक एतराज मांगे हैं। सरकार को आयोग की ओर से नई पॉलिसी का फाइनल ड्राफ्ट मिलने का इंतजार है।
सरकारी व पंचायती जमीनों पर खेती नहीं होगी
पॉलिसी में कहा गया है कि सरकारी व पंचायती जमीनों पर खेती न करने दी जाए। गावों की संयुक्त इस्तेमाल वाली जमीनों को कब्जा मुक्त करवा कर उनका इस्तेमाल कम्यूनिटी से जुड़े कामों में ही किया जाए। सरकारी जमीनें जिन्हें भी जिस काम के लिए दी गई हैं उनका इस्तेमाल वह लोग ही कर रहे हैं या नहीं, ब्लाक अफसर व पंचायतें इसे तय करेंगी। नहीं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
मॉनीटरिंग व जागरूकता के लिए कमेटियों का गठन
नई कृषि नीति में मनरेगा जैसी स्कीमों की मॉनीटरिंग करने के लिए जिला व ब्लाक स्तर पर कमेटियों के गठन की भी सिफारिश की गई है। साथ ही किसानों को कमेटियों के माध्यम से जागरूक किया जाएगा कि वह शादी व अन्य समारोहों में ज्यादा खर्च न करें। उल्लेखनीय है कि अधिकतर किसान फिजूल खर्ची के कारण ही कर्ज में डूबे हुए हैं और कई आत्महत्या कर चुके हैं।
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