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पंजाब पोस्ट मैट्रिक स्काॅलशिप घोटाले पर पर्दा डालने के लिए बुना गया था फाइलों का जाल

पंजाब के पोस्‍ट मैट्रिक स्‍कॉलरशिप घोटाले को छिपाने के लिए खूब प्रयास किए गए और इसके लिए फाइलों का जाल बुना गया। पूरे मामले में बड़े खुलासे की संभावना है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 04:02 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 04:02 PM (IST)
पंजाब पोस्ट मैट्रिक स्काॅलशिप घोटाले पर पर्दा डालने के लिए बुना गया था फाइलों का जाल
पंजाब पोस्ट मैट्रिक स्काॅलशिप घोटाले पर पर्दा डालने के लिए बुना गया था फाइलों का जाल

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब के पोस्ट मैट्रिक स्काॅलरशिप घोटाले में संगठित रूप से लूट की गई। पूरे घोटाले को छिपाने के लिए फाइलों से जाल बना गया। इसका खुलासा इस बात से भी होता है कि कालेज को स्काॅलरशिप की राशि को जारी करने के लिए तीन प्रकार की फाइल तैयार की जाती थीं। इन फाइलों को अलग-अलग जगह पर पेश किया जाता था, ताकि भ्रम की स्थिति बनी रहे। इन खुलासों से कैबिनेट मंत्री साधू सिंह धमसोत पर घेरा कस सकता है।

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एक कालेज को फंड जारी करने के लिए तीन प्रकार की अलग-अलग फाइले की जा रही थी तैयार

पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले में समाजिक न्याय, अधिकारिता व अल्पसंख्यक विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी कृपा शंकर सरोज ने अपनी जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है। अहम बात यह है कि 1291 शिक्षण संस्‍थानों के लिए 248.11 करोड़ के बिल लगाए गए,  जबकि विभाग के एकाउंट विभाग के अनुसार 1022 कालेजों को 192.14 करोड़ रुपये दिए जाने थे।

ट्रेजरी को भेजे गए बिल और विभाग के एकाउंट आफिस के आकड़ों में ही 55.97 करोड़ का अंतर

एडिशनल चीफ सेक्रेटरी कि रिपोर्ट  में इस बात का खुलासा किया गया है कि एक शिक्षण संस्‍थान को फंड जारी करने के लिए तीन फाइलें तैयार की जाती थीं। पोस्ट मैट्रिक स्कालशिप का काम देख रहे कैबिनेट मंत्री साधू सिंह धर्मसोत के विश्वासपात्र परमिंदर सिंह गिल एक फाइल तैयार करते थे। इसमें प्रपोजल होता था कि किस शिक्षण संस्‍थान को फंड देना है। दूसरी फाइल डिप्टी कंट्रोलर फाइनांस एंड एडमिन चरणजीत सिंह बनाते थे। यह दूसरी फाइल ट्रेजरी में पेश करने के लिए बनाई जाती थी।

तीसरी फाइल फिर परमिंदर सिंह गिल तैयार करते थे, जिसमें ट्रेजरी या बैंक को पेमेंट जारी करने के लिए कहा जाता था। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि 13 सितंबर 2019 को 14 संस्‍थानों को 10.68 करोड़ रुपये की पेमेंट जारी की गई। जबकि, इसकी जानकारी विभाग के डायरेक्टर देविंदर सिंह (आईएएस) को भी नहीं थी। जांच में उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि उन्हें पेमेंट किए जाने के बारे में जानकारी नहीं थी।

पोस्ट मैट्रिक घोटाले में संगठित लूट को लेकर फाइलों का जो जाल बुना गया, उसका असर यह पड़ा कि ट्रेजरी और समाजिक न्याय, अधिकारिता विभाग का एकाउंट आफिस भी उलझ कर रह गया। विभाग की तरफ से स्काॅलरशिप के लिए ट्रेजरी को जो बिल भेजे गए वो 1291 शिक्षण संस्‍थान के लिए 248.11 करोड़ के थे।  एकाउंट आफिस के अनुसार 1022 कालेजों को 192.14 करोड़ रुपये दिए जाने थे। इसमें ही 55.97 करोड़ रुपये का अंतर था।

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप के लिए भेजे गए 303 करोड़ रुपये के फंड में 63.91 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। इसमें विभाग के मंत्री साधू सिंह धर्मसोत की संलिप्तता को लेकर विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी कृपा शंकर सरोज ने अपनी रिपोर्ट दी है।

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