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लॉकडाउन में युवा संदीप का नया सवेरा मिशन बदलेगा 40 गरीब होनहारों की जिदगी

बेहतर समाज के लिए हर बच्चे का शिक्षित होना जरूरी है लेकिन संसाधनों की कमी से लाखों बच्चों के हाथों में किताबें नहीं पहुंच पाती।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 10:33 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 10:33 PM (IST)
लॉकडाउन में युवा संदीप का नया सवेरा मिशन बदलेगा 40 गरीब होनहारों की जिदगी
लॉकडाउन में युवा संदीप का नया सवेरा मिशन बदलेगा 40 गरीब होनहारों की जिदगी

डॉ. सुमित सिंह श्योराण, चंडीगढ़

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बेहतर समाज के लिए हर बच्चे का शिक्षित होना जरूरी है, लेकिन संसाधनों की कमी से लाखों बच्चों के हाथों में किताबें नहीं पहुंच पाती। हालांकि चंडीगढ़ का एक युवा ऐसे जरूरतमंद बच्चों की मदद को आगे बढ़ा है। कोविड-19 महामारी में बहुत से गरीब अभिभावकों के लिए स्कूल की फीस भरना तो दूर किताबें और स्टेशनरी तक के पैसे नहीं है। ऐसे मुश्किल समय में रद्दी से शिक्षा प्रोजेक्ट .. शुरू करने वाले 28वर्षीय युवा संदीप कुमार की खास पहल समाज के लिए मिसाल बन गई है। उन्होंने नया सवेरा मुहिम के तहत कॉलोनी के 40 गरीब बच्चों की पूरी पढ़ाई का खर्च उठाने का फैसला लिया है।

दैनिक जागरण से बातचीत में संदीप ने बताया कि उन्होंने कॉलोनी के ऐसे बच्चों को चुना है, जो अनाथ हैं या सिगल पेरेंट हैं। एक्टिवा पर संदीप आजकल जरूरतमंद बच्चों को स्टेशनरी पहुंचा रहे हैं। मगर वह फिजिकल डिस्टेंसिग का पूरा ख्याल रख रहे हैं। सर्वे के बाद बढ़ाया मदद का हाथ

संदीप ने बताया कि दो महीने तक चंडीगढ़ और आसपास की कॉलोनी में उन्होंने सर्वे किया। 150 जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने का इरादा था, लेकिन कोविड-19 महामारी में आर्थिक तंगी के कारण फिलहाल 40 बच्चों को ही चुना है। एक बच्चे की स्टेशनरी,ड्रेस पर करीब पांच हजार खर्च आएगा। मुहिम के तहत पांचवीं से 12वीं के 20 लड़के और इतनी ही लड़कियों को चुना है। सेक्टर-54 आदर्श कॉलोनी और बापूधाम से बच्चे चुने गए हैं। बच्चों की पढ़ाई के खर्च के साथ ही संदीप ने लॉकडाउन में दो महीने तक 30 परिवारों के 165 लोगों के राशन का इंतजाम किया, जिसपर करीब एक लाख खर्च किया है। शिक्षित समाज संदीप का मिशन

चंडीगढ़ के गवर्नमेंट कॉलेज-11 से ग्रेजुएट संदीप कुमार ने कॉलेज दिनों से ही रद्दी से शिक्षा अभियान शुरू कर दिया था। हरियाणा के भिवानी जिले (तोशाम तहसील) के ढाणी माहू गांव के मूल निवासी संदीप के पिता नहीं है। चार साल पहले शुरू किए रद्दी से शिक्षा प्रोजेक्ट में जरूरतमंद बच्चों तक 40 हजार किताबें बांटी हैं। घरों से पुरानी किताबें, स्टेशनरी एकत्र कर उन्हें प्रयोग लायक बनाकर गरीब बच्चों में बांटा जाता है। हमें एक बेहतर समाज बनाना है। शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है। गरीब बच्चों को शिक्षित करने की यह छोटी सी कोशिश है। सभी लोग थोड़ी मदद करे, तो हर गरीब बच्चे को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।

- संदीप कुमार, संयोजक ओपन आइज फाउंडेशन चंडीगढ़ ।


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