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नवजोत सिद्धू अब कला परिषद चेयरमैन की नियुक्ति प्रक्रिया पर घिरे

नवजाेत सिंह सिद्धू पर अब पंजाब कला परिषद के प्रधान की नियुक्ति को लेकर घेरा कसता दिख रहा है। आरोप है कि बिना उचित प्रक्रिया के ही उन्‍होंने इस पद पर नियुक्ति कर दी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 06 Sep 2017 12:48 PM (IST)Updated: Wed, 06 Sep 2017 12:48 PM (IST)
नवजोत सिद्धू अब कला परिषद चेयरमैन की नियुक्ति प्रक्रिया पर घिरे
नवजोत सिद्धू अब कला परिषद चेयरमैन की नियुक्ति प्रक्रिया पर घिरे

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब के पर्यटन एवं सांस्कृतिक मामलों तथा स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कला परिषद के चेयरमैन की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर घिर गए हैं। बीते माह उन्होंने परिषद का चेयरमैन चुनाव के बिना ही नियुक्त कर दिया है। नियमानुसार चेयरपर्सन या चेयरमैन की नियुक्ति की प्रक्रिया चुनाव के द्वारा होती है।

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सिद्धू ने 22 अगस्त को प्रसिद्ध साहित्यकार सुरजीत पातर को कला परिषद (आर्ट काउंसिल) का चेयरमैन बनाने संबंधी नियुक्ति पत्र उनके आवास पर जाकर सौंपा था। साथ ही थियेटर से जुड़ी नीलम मान सिंह चौधरी को सदस्य बनाने संबंधी घोषणा की थी। परिषद के चेयरमैन, वाइस चेयरमैन व सचिव का चयन जनरल बॉडी द्वारा किया जाता है। 20 सदस्यीय जनरल बॉडी इसके लिए चुनाव की प्रक्रिया अपनाती है।

जनरल बॉडी करती है पदाधिकारियों का चुनाव, मंत्री या सरकार को चुनाव का अधिकार ही नहीं

संविधान के अनुसार जनरल बॉडी में पंजाब साहित्य अकादमी, पंजाब ललित कला अकादमी, पंजाब संगीत नाटक अकादमी, वित्‍त सचिव, शिक्षा सचिव, संस्कृति विभाग के सचिव, पंजाब यूनिवर्सिटी, पंजाबी यूनिवर्सिटी, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी व गुरु नानकदेव यूनिवर्सिटी के कुलपतियों के अलावा परिषद द्वारा मनोनीत की गई छह सोसायटियों के छह सदस्यों के अलावा साहित्य व फाइन आर्ट्स तथा कल्चरल परफार्मिंग आर्ट्स एवं संगीत के क्षेत्र के छह सदस्य शामिल होते हैं।

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कुल 29 सदस्यों द्वारा चेयरमैन, वाइस चेयरमैन व सचिव के चुनाव किए जाते हैं। सिद्धू द्वारा सुरजीत पातर को चुनावी प्रक्रिया पूरी करवाए बिना ही नियुक्ति पत्र सौंपने के बाद मामला गरमा गया है। इससे पहले परिषद की चेयरपरसन सतिंदर सत्ती की नियुक्ति अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में की गई थी।

नियमानुसार कार्यकाल पूरा किए बिना सरकार उक्त तीनों ही पदों पर चुने गए प्रतिनिधियों को हटा नहीं सकती है। अगर वे खुद ही इस्तीफा देकर चले जाएं तो दूसरी नियुक्ति हो सकती है।सिद्धू ने इस मामले में सत्ती या वाइस चेयरमैन सुरिंदर सिंह विरदी की जानकारी के बिना ही पातर को नियुक्ति पत्र सौंप दिया था। पातर का कद इतना बड़ा है कि पंजाब में कोई भी कलाकार उनके मान सम्मान को ठेस पहुंचाने के बारे में नहीं सोच सकता है।

नतीजतन किसी ने भी खुलकर इसका विरोध नहीं किया, लेकिन मंत्री की लापरवाही का मामला धीरे-धीरे तूल पकड़ता जा रहा है। हालांकि सिद्धू ने पूरे मामले की जानकारी होने के बाद डैमेज कंट्रोल करना शुरू कर दिया है और यह बयान दे रहे हैं कि परिषद का दायरा बढ़ाना है। पंजाब की ज्यादा से ज्यादा शख्सियतों को परिषद के साथ जोड़ना है। सत्ती के मामले में भी सिद्धू यह कहकर करते हैं कि उन्हें युवाओं को मोटिवेट करने के लिए परिषद के साथ जोड़कर रखा जाएगा।

अदालत की शरण लेने की तैयारी में परिषद के कुछ सदस्य

फिलहाल अंदरखाते परिषद के कुछ सदस्य मामले को लेकर अदालत की शरण लेने की तैयारी में जुटे हैं। अगर ऐसा हुआ तो फिर से सिद्धू के फैसले को अदालत द्वारा नकारा जा सकता है। इससे पहले तीन आइएएस के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश व चार एसई को निलंबित करने की कार्रवाई में सिद्धू फंस चुके हैं।

नियमों का पालन करना चाहिए था : सत्ती

सतिंदर सत्ती कहती हैं कि सरकार चाहे जो करे, लेकिन नियमों का पालन तो करना ही चाहिए था। संविधान के अनुसार पदों पर चुनाव प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। वह पातर साहब की दिल के इज्जत करती हैं। उनके व्यक्तित्व पर कोई सवाल नहीं उठ सकता है, लेकिन मंत्री के फैसले पर कोई भी उंगली उठा सकता है।

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