नवजोत सिद्धू ने दी शांति की दुहाई, कहा- पाक आर्मी चीफ की बातों से भावुक हाे दे दी झप्पी
पाकिस्तान के अार्मी चीफ से गले मिलने पर सवालों में घिरे सिद्धू ने चंडीगढ़ में अपनी सफाई दी। सिद्धू ने कहा कि पाक आर्मी चीफ ने गुरु नानकदेव का नाम लिया तो मैं भावुक हो गया।
जेएनएन, चंडीगढ़। पाकिस्तान में इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में वहां के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा से गले मिलना पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के गले की हड्डी बन गया है। सिद्धू मंगलवार को सामने आए और पूरे मामले पर सफाई दी। उन्होंने बाजवा को झप्पी देने के हालातों को स्पष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि बाजवा ने गुरु नानक देव जी का नाम लिया और मैं भावुक हो गया और उनको झप्पी दे दी।
सिद्धू ने चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने अपनी यात्रा की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर यात्रा से कर डाली। उन्हाेंने कहा, मैं पाकिस्तान अमन के लिए गया था। मेरी यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच शांति और दोस्ती का माहौल बनाना था।
कहा- पाकिस्तान के लोग शांति व दोस्ती चाहते हैं, हमें भी दिल बड़ा करना चाहिए
सिद्धू ने कहा, पाकिस्तान में मुझे साफ महसूस हुआ कि वहां के लोग शांति और दोस्ती चाहते हैं। वे चाहते हैं कि दाेनों देशों के बीच रिश्ते बढ़ें अौर वे करीब आए। दाेनों देशों के बीच सहयोग और व्यापार कायम हो। सिद्धू ने कहा इसकी में हमारा भला है अौर उनका भी। हमें भी अपना दिल बड़ा करना चाहिए, ताकि न शांति और मोहब्बत की रहा निकले।
'गुुरु' बोले- मेरी यात्रा से भारत-पाक के बीच शांति के दरवाजे खुलेंगे
सिद्धू ने इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पाक सेना प्रमुख से गले मिलने की चर्चा करते हुए कहा, बाजवा मुझे पहली कतार में बैठा देख कर बोले करतारपुर का रास्ता खोलने का विचार है। मेरे लिए यह बड़ी बात थी अौर मैंने उनको गले से लगा लिया। चंद लम्हों के बाद बाजवा से कोई मुलाकात नहीं हुई। आलोचना करने वालों से दुखी हूं। मेरे लिए यह यात्रा सम्मान वाली थी।
उन्होंने कहा, दोनों देशों के बीच बातचीत की संभावना बढ़ी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी कहा कि पड़ोसी देश के साथ शांति बनाई जाएगी। यह सद्भावपूर्ण यात्रा थी, राजनीतिक नहीं थी। मेरी यात्रा से भारत और पाकिस्तान के बीच शांति के दरवाजे खुलेंगे।
पत्रकारों से बातचीत के दौरान लिखित बयान पढ़ते नवजाेत सिंह सिद्धू।
उन्होंने इस मौके पर वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि दी। उनकी बस यात्रा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान यात्रा के लिए मेरे ऊपर सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन वाजपेयी जी भी तो बस से लाहौर गए थे। इसके बाद क्या हुआ, कारगिल का युद्ध हुआ तो क्या वाजपेयी देशभक्त नहीं थे? उसी परवेज मुशर्रफ से आगरा वार्ता हुई, जिसने कारगिल की लड़ाई शुरू की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बिना बुलाए पंजाब के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के पारिवारिक समारोह में गए थे। उन पर तो कोई सवाल नहीं उठाता अौर मैं पाकिस्तान गया तो निशाना बनाया जा रहा है।
कहा- पाकिस्तान यात्रा वाजपेयी जी के सिद्धांतों के अनुरूप
पत्रकार सम्मेलन मेंं सबसे पहले सिद्धू ने अपना लिखित बयान पढ़ा। उन्होंने कहा कि इस बयान को दो दिन बहुत सोच-विचार के बाद तैयार किया है। उन्होंने इस दौरान खुद को 'शांतिदूत' के तौर पर पेश किया। सिद्धू ने कहा, मैं वहां शांति और मोहब्बत का पैगाम लेकर गया था। वहां के लोग भी शांति और दोस्ती चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी शांति के हिमायती थे अौर पाकिस्तान जाकर मैंने उनके सिद्धांत का भी पालन किया है।
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उन्होंने शेरो-शायरी के माध्यम से भी अपनी बात रखने की कोशिश की। लिखित बयान पढ़ने के बाद सिद्धू ने पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए। इस दौरान वह कई बार सवालाें से झुंझला भी गए और थो़ड़े तैश में भी दिखे। सिद्धू ने अपने पाकिस्तान दौरे पर सवाल उठाए जाने के लिए भाजपा पर भी निशाना साधा। पत्रकारों के सवाल द्वारा यह पूछे जाने पर कि आपके वाजपेयी जी के निधन और राष्ट्रीय शोक के समय आपके पाकिस्तान जाना क्या उचित है और भाजपा इस पर सवाल उठा रही है तो सिद्धू ने कहा कि मुझे क्या करना है और कब करना है यह कोई अन्य नहीं बता सकता। वे क्या करें यह मैं उन्हें नहीं बताने जा रहा।
पाकिस्तान के आर्मी चीफ से गले मिलते नवजोत सिंह सिद्धू। (फाइल फोटो)
पाकिस्तान जाने के समय को लेकर उन्होंने कहा कि क्या पाकिस्तान नो मेंस लैंड है। मैं वहां भारत सरकार से अनुमति लेकर और पाकिस्तान से वीजा लेकर वहां गया था तो इसमें गलत क्या किया। मेरा वहां जाने का कार्यक्रम तैयार हो गया था तो फिर रुकने का सवाल नहीं था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खुद मुझे फोन करके बताया कि आपको पाकिस्तान जाने की अनुमति दे दी गई है।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा उनके पाक आर्मी चीफ को झप्पी देेने को गलत बताने पर सिद्धू ने कहा कि कैप्टन ने मेरे बारे में जो कहा उस पर कोई बात नहीं करुंगा। जरूरी नहीं कि मैं उनकी बात कह आलोचना करूं।
पाकिस्तान के आर्मी चीफ से मिलते नवजोत सिंह सिद्धू। (फाइल फोटो)
कैप्टन अमरिंदर ने पाक आर्मी चीफ से गले मिलने पर सिद्धू पर साधा था निशाना
बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तान सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा को झप्पी देने केा गलत बताया था। अमरिंदर ने कहा था किसिद्धू को ऐसा कतई नहीं करना चाहिए था। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में सिद्धू उनके मित्र होने के नाते गए थे और इसमें कोई गलत नहीं है। लेकिन, वहां पाकिस्तान के आर्मी चीफ से गले मिलना किसी भी तरीके से सही नहीं है।
बता दें कि कैप्टन ने कहा, ' सिद्धू का वहां के प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण जाने का सवाल है तो वह इनके (सिद्धू) मित्र हैं और इसमें मैं गलत नहीं मानता। वह वहां गए तो गए। जहां तक गुलाम कश्मीर के कथिेत राष्ट्रपति के साथ बैठने का सवाल है तो हो सकता है वह (सिद्धू) नहीं पहचानते होंगे। लेकिन मैं जो बात गलत समझता हूं वह है वहां के आर्मी चीफ जनरल बाजवा को झप्पी देना। हमारे जवान रोज शहीद होते हैं और मैं जिस रेजीमेंट क एक मेजर व दो जवान पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में शहीद हुए थे। इसका आदेश को कौन देता है, वहां का आर्मी चीफ। ऐसे में इस व्यक्ति (सिद्धू) काे समझना चाहिए कि पाक आर्मी चीफ के प्रति इस तरह का लगाव नहीं दिखाया जा सकता। गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति को नहीं पहचान सके होंगे, लेकिन बाजवा के बैच पर तो उनका नाम लिखा होगा।' पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर विपक्ष ने सिद्धू काे कैबिनेट से हटाने की मांग की है तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इसका तो कोई सवाल नहीं उठता है, लेकिन सिद्धू ने जो किया वह गलत था।
पत्रकारों के सवाल के जवाब में सिद्धू ने कहा कि पाकिस्तान सेना की फायरिंग में भारत के जवानों के शहीद हाेेने का इतना दर्द है तो फिर सही व ठोस कदम क्यों नहीं उठाते। उन्हाेंने पाकिस्तान में कही अपनी बातों को दोहरात हुए कहा कि जवानों की शहादत रुकना शांति से यह संभव होगा। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान की सेना की फायरिंग में अपने जवानों के मारे जाने का इतना ही दर्द है अौर शांति की बात करने पर इतना ही दर्द है तो विभिन्न मौकोंं पर दोनों देशों के बीच मिठाइयों और तोहफों का आदान-प्रदान भी क्यों नहीं बंद होता है, इसे भी बंद कर दो।
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सिद्धू ने कहा कि अब खून-खराबा, हिंसा बंद होनी चाहिए। खून-खराबे के लाल सागर में बहुत तैर लिये, शांति के नीले सागर में तैरना चाहिए। पत्रकारों द्वारा सीमा पर शहीद हुए सैनिकों के परिजनों के विरोध के बारे में पूछे जाने पर सिद्धू ने कहा कि मैं भी जवानों के शहीद होने से दुखी हूं, लेकिन यह सब शांति से ही रुकेगा। और, मैं इसी के लिए माहौल तैयार करने गया था।
बता दें कि सिद्धू द्वारा सेना प्रमुख को गले से लगाने डालने पर शहीदों के परिवारों ने कड़ी आपत्ति जताई है। चंडीगढ़ में सोमवार को प्रेस के दौरान शहीदों के परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने कहा, 'हमारे बेटों का सिर काट ले जाने वालों को झफ्फी देकर सिद्धू ने जख्मों पर नमक छिड़का है। वहां के सेना प्रमुख के हुक्म पर ही हमारे जवानों पर गोलियां चलती हैं और सिद्धू उसको जफ्फी डाल कर शहीदों का अपमान कर रहे हैं।'
पंजाब और हरियाणा से आए शहीदों के पारिवारिक सदस्यों ने अपना दर्द और गुस्सा जाहिर करते हुए कहा था कि सिद्धू ने हमारे दिल को गहरी ठेस पहुंचाई है। पाकिस्तानी सेना तरनतारन के शहीद सूबेदार परमजीत सिंह का सिर काट कर ले गई थी। उनके पारिवारिक सदस्यों ने कहा कि सिद्धू ने शहीद परिवारों को बहुत दुख पहुंचाया है।
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भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने सिद्धू पर साधा निशाना, कहा- भारतीयों को छोटे दिल का बता रहे नवजोत
पत्रकारों से बातचीत करते भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा।
दूसरी आेर, नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह दुख की बात है कि पाकिस्तान यात्रा पर जाने वाले नवजोत सिद्धू ने भारत के पक्ष को नकारने की कोशिश की है। इस क्रम में उन्हाेंने यह कहने की कोशिश की है कि भारतीयों के छोटे दिल हैं। हम इसकी निंदा करते हैं। हम इस पर सिद्धू से नहीं बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से जवाब चाहते हैं। संबित पात्रा ने कहा, नवजोत सिंह सिद्धू कह रहे हैं कि वह शांति और दोस्ती के लिए पाकिस्तान गए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी देश में समानांतर सरकार चलाने की कोशिश कर रहे हैं?
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