Navjot Singh Sidhu ट्विटर पर सक्रिय, कभी दर्द छलकता है तो कभी छोड़ते हैं शाब्दिक तीर, पढ़ें पंजाब की और भी खबरें
नवजोत सिंह सिद्धू इन दिन ट्विटर पर खूब सक्रिय हैं। अपनी शायरी के जरिये वह अपनी बात रख रहे हैं। आइए पंजाब के साप्ताहिक कालम बात पते की में राज्य की कुछ ऐसी ही खबरों पर नजर डालते हैं...
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। पूर्व क्रिकेटर एवं पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) इन दिनों ट्विटर पर बहुत कुछ लिख रहे हैं। कभी दर्द भरे शेर लिखते हैं तो कभी शायरी करते हुए नजर आते हैं। सिद्धू के शेर बहुत कुछ कहते तो हैं, लेकिन शाब्दिक तीर सीधा किसी की तरफ नहीं रहते हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट किया, 'अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर सारे समा गए इतिहास में, पर शकुनि के पासे अब भी हैं सियासी लोगों के हाथ में, दांव खेला है पंजाब में।' ये पासे तो हमेशा ही मामा शकुनि के कहने पर चलते थे। बात पते की यह है कि पासे तो इस समय दोनों ही तरफ से फेंके जा रहे है। सिद्धू फेंक रहे हैं प्रदेश प्रधान बनने के लिए तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह फेंक रहे हैं उन्हें रोकने के लिए। अब देखना यह है कि किसके पासे अपने मालिक के कहने पर चलेंगे और किसके पासे चूक जाएंगे। यह तो आने वाला समय ही बेहतर तरीके से बताएगा।
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फोटो के लिए मास्क जेब में
कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) आने वाले समय में कुछ सख्त कदम उठाने की बात कर रहे हैं। पुलिस मास्क व शारीरिक दूरी का ध्यान न रखने पर धड़ाधड़ चालान काट रही है, लेकिन सियासी पार्टियों को कोरोना की कहां परवाह है। फिर चाहे सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ही क्यों न हो। फोटो में शक्ल पूरी आए, इसके लिए राजनेता मास्क नहीं पहन रहे हैं।
कैबिनेट मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने तो फोटो के लिए मास्क को जेब में ही सुरक्षित रख लिया। खेल मंत्री ने डिस्कस थ्रो खिलाड़ी कमलप्रीत कौर को चेक भेंट किया। इसका फोटो बकायदा सरकारी स्तर पर जारी किया गया। इस फोटो में न तो खिलाड़ी ने और न ही मंत्री ने मास्क पहना हुआ है। बात पते की यह है कि सभी नियम तो सिर्फ आम लोगों के लिए होते हैं। कैबिनेट मंत्री पर ये नियम तो कभी लागू ही नहीं होते हैं।
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ये सवाल चुभते हैं सरकार को
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) वर्चुअल रूप से सरकारी बसों में महिलाओं के लिए फ्री यात्रा की लांचिंग कर रहे थे। फेसबुक पर इसे लाइव किया जा रहा था। बात हो रही थी महिलाओं को सरकार के इस फैसले से क्या लाभ होगा, लेकिन जो कमेंट्स आ रहे थे, वह तो कुछ और ही बयां कर रहे थे। चूंकि, मुख्यमंत्री लाइव थे, इसलिए कमेंट्स नौकरी और बिजली के बिल सस्ते करने को लेकर आ रहे थे।
महंगी बिजली आम लोगों के बीच सबसे बड़ा ज्वलंत मुद्दा है। आम आदमी पार्टी ने तो बाकायदा इसको लेकर राजनीतिक एजेंडा छेड़ दिया है। बात पते की यह है कि गॢमयां शुरू होने से पहले ही लोगों के गले यह सोच कर सूखने लगते हैं कि फिर बिजली का बिल बढ़ जाएगा। महिलाओं की फ्री बस सेवा से भले ही लोगों को राहत मिले या न मिले, लेकिन महंगी बिजली लोगों के लिए परेशानी जरूर खड़ी कर देती है।
तो फिर उनकी क्यों सुन ली
किसानों ने जब से तीन कृषि बिलों का विरोध शुरू किया है, तब से ही किसान और भाजपा नेताओं के बीच संवाद बंद है। किसानों की अपनी ताल है, तो पंजाब के भाजपा नेताओं की अपनी। किसान भाजपा नेताओं को अपने सामने झुकाना चाहते हैं, भाजपा नेता भी अपनी बात पर अड़े हैं। जिस प्रकार से किसानों ने भाजपा नेताओं पर हमले किए या उनके घरों का घेराव किया, उससे यह माहौल बन गया कि किसान उनकी बात नहीं सुनेंगे। इस बीच भाजपा नेता का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह किसानों के साथ संवाद कर रहे हैं। किसान संगठन जो विरोध में धरना दे रहे हैं, वह भी भाजपा नेता की बात सुन रहे हैं। पिछले सात माह में पहली बार ऐसा कोई वाकया सामने आया तो चर्चा होनी ही थी। बात पते की यह है कि संवाद की शुरुआत हुई है तो किसी न किसी मुकाम पर जरूर पहुंचेगी।
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