पेरेंट्स अगर प्यार देंगे तो कम होगी बच्चाें में Learning डिसएबिलिटीज Chandigarh News
रजिस्ट्रार प्रो. कर्मजीत सिंह ने बताया कि स्पेशल बच्चों की पहचान करने उनकी परेशानियों का विश्लेषण करने की अहम जिम्मेदारी पेंरेट्स की होती है।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) के डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन के सेंटर फॉर अकादमिक लर्निंग डिसएबिलिटी (केलम) की ओर से आयोजित 21 दिवसीय असेसमेंट एंड लर्निंग ऑफ चिल्ड्रेन विद लर्निंग डिसएबिलिटी पर राष्ट्रीय कार्यक्रम का सोमवार को अागाज हुअा। यह कार्यक्रम 2 से 22 दिसंबर तक चलेगा।
इस अवसर पर रजिस्ट्रार प्रो. कर्मजीत सिंह और एमीटी इंस्टीट्यूट ऑफ रिहेबलिटेशन सांइसेज नोएडा की प्रो. जयंती पुजारी ने बताया कि स्पेशल बच्चों की पहचान करने, उनकी परेशानियों का विश्लेषण करने की अहम जिम्मेदारी पेंरेट्स की होती है। अकसर शुरूआत में ऐसे बच्चों को स्वीकार करने में पेरेंट्स को परेशानी होती है, लेकिन अगर इन बच्चों को इनके पेरेंट्स का प्यार और उनकी देखरेख मिलें तो बच्चों की परेशानी कुछ कम हो सकती है।
पहले सत्र के दौरान प्रो. जयंती पुजारी ने बताया कि दिव्यांग बच्चों की परेशानियां को जानना बहुत मुश्किल होता है। शिक्षा की कमी, बीमार स्वास्थ्य, भाषा प्रवीणता की कमी, की कमी के कारण सीखने में कठिनाई उत्पन्न होती है। सीखना कठिनाइयों से सीखने की अक्षमता का निदान हो जाएगा।
दूसरे सत्र में प्रो. विरेंद्र कुमार ने लर्निंग डिसेबल की सुविधाओं पर चर्चा की। वहीं तीसरे सत्र में डॉ. कुलदीप कौर ने लर्निंग डिसएबिलिटीज पर जानकारी दी।