शहीदों के परिवारों की देखभाल हमारी सांझी जिम्मेदारी : बनवारी लाल
पंजाब राजभवन में सशस्त्र बल ध्वज दिवस के अवसर पर पंजाब के राज्यपाल एवं यूटी प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की पोशाक पर उपायुक्त सह अध्यक्ष जिला सैनिक कल्याण यूटी चंडीगढ़ विनय प्रताप सिंह और सैनिक कल्याण पंजाब के निदेशक ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) सतिदर सिंह ने फ्लैग लगाकर उनका स्वागत किया।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब राजभवन में सशस्त्र बल ध्वज दिवस के अवसर पर पंजाब के राज्यपाल एवं यूटी प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की पोशाक पर उपायुक्त सह अध्यक्ष जिला सैनिक कल्याण यूटी चंडीगढ़ विनय प्रताप सिंह और सैनिक कल्याण पंजाब के निदेशक ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) सतिदर सिंह ने फ्लैग लगाकर उनका स्वागत किया। सशस्त्र बल ध्वज दिवस फंड में दान करते हुए राज्यपाल ने कहा कि शहीदों के परिवारों के कल्याण की हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यह सभी का अनिवार्य कर्तव्य है कि शहीदों के परिवारों और विभिन्न युद्धों या अन्य अभियानों के दौरान दिव्यांग हुए बहादुर सैनिकों के पुनर्वास के लिए हर संभव सहायता करें।
राज्यपाल ने सर्वोच्च बलिदान दे चुके सभी वीर शहीदों को सम्मान भेंट करते हुए कहा कि सशस्त्र बल युद्ध और शांति दोनों के दौरान बड़े सम्मान के साथ राष्ट्र की सेवा करते आ रहे हैं। उन्होंने उन्हें सौंपी गई प्रत्येक जिम्मेदारी में दक्षता और उत्कृष्टता के उच्चतम मानकों का निरंतर प्रदर्शन किया है। सशस्त्र बलों ने क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा सुनिश्चित की है, आतंकवाद के संकट से लड़े हैं और प्राकृतिक आपदाओं के समय देश के नागरिकों को सहायता और राहत प्रदान की है। उन्होंने कोविड-19 महामारी के खिलाफ सिविल प्रशासन को स्वेच्छा से मदद करने के लिए भूतपूर्व सैनिकों की भी सराहना की।
इस अवसर पर राज्यपाल ने सैनिक कल्याण निदेशालय, पंजाब की वार्षिक पत्रिका 'रण-जोधे' का विमोचन किया। उन्होंने जिला सैनिक कल्याण यूटी चंडीगढ़ एवं पंजाब के सशस्त्र बल ध्वज दिवस फंड में दो लाख रुपये का योगदान देते हुए सभी नागरिकों से स्वेच्छा से युद्ध विधवाओं, विकलांग रक्षा कर्मियों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के पुनर्वास के महान और नेक कार्य के लिए खुले दिल से दान देने का आह्वान किया। सशस्त्र सेना ध्वज दिवस फंड, 1949 से शहीदों के साथ-साथ वर्दीधारी पुरुषों और महिलाओं को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है, जो देश के सम्मान की रक्षा के लिए सीमाओं पर बहादुरी से लड़ते हैं।