Move to Jagran APP

शहर की स्लम बस्तियों में लगीं नासा की मशीनें

राष्ट्रीय एयरोनॉटिक्स और अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) की मशीन से पंचकूला के लोगों को डेंगू और मलेरिया से बचाने का अभियान सोमवार से शुरू हो गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 04:22 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 04:22 PM (IST)
शहर की स्लम बस्तियों में लगीं नासा की मशीनें
शहर की स्लम बस्तियों में लगीं नासा की मशीनें

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : राष्ट्रीय एयरोनॉटिक्स और अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) की मशीन से पंचकूला के लोगों को डेंगू और मलेरिया से बचाने का अभियान सोमवार से शुरू हो गया। पंचकूला के विधायक ज्ञानचंद गुप्ता और नगर निगम के प्रशासक राजेश जोगपाल ने सोमवार को इन मशीनों का शुभारंभ किया। इस दौरान नगर निगम के ईओ जरनैल सिंह ने इन मशीनों के काम करने के ढंग की जानकारी दी। इस दौरान पूर्व डिप्टी मेयर सुनील तलवाड़, विशाल तलवाड़, सीएसआइ मदन लाल, नरेश मल्हौत्रा भी उपस्थित रहे। जोगपाल ने बताया कि नगर निगम पंचकूला द्वारा 10 मशीनें खरीद ली गई हैं, जोकि जल्द ही विभिन्न कॉलोनियों एवं गावों में लगा दी गई। पंचकूला के 10 स्थानों पर टेक्नोलॉजी का उपयोग कर मच्छर की मारने के लिए लगाना करना शुरू कर दिया है। जिसमें राजीव कॉलोनी, इंदिरा कॉलोनी, नाडा साहिब, बुढ़नपुर, भैंस टिब्बा, पिंजौर में बंगाला बस्ता, कालका में भैरो की सैर और खड़क मंगोली गाव शामिल हैं। मच्छर को मारने की यह मशीनें गर्मी संवेदन और कार्बन डाइऑक्साइड का पता लगाने के बाद खुद ही मच्छरों को अपनी ओर खींचकर मार देती है। थर्मल इमेजरी और गैस निकलने पर मशीन मच्छरों को अपनी ओर आकर्षित करती है और उसके बाद मार देती है। इस तरह से मच्छरों को आकर्षित करेगी मशीन

loksabha election banner

दरअसल बारिश के बाद जगह-जगह पानी खड़ा होने के बाद मच्छरों की तादाद बढ़ रही है। इससे डेंगू, मलेरिया के कई केस सामने आ चुके हैं। पंचकूला नगर निगम ने मच्छरों से निपटने के लिए यह मशीनें खरीदी गई। नासा के साइंटिस्ट्स ने मच्छरों पर स्टडी के बाद इसे डेवलप किया है। आमतौर पर मच्छर आदमी का खून चूसते हैं। साइंटिस्ट ने एक जगह खून को रखा, लेकिन मच्छरों ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके बाद कार्बन डाइऑक्साइड से मच्छरों को अट्रैक्ट करने की कोशिश की गई तो भी मच्छर इससे अट्रैक्ट नहीं हुए। तीसरी बार ह्यूमन टे प्रेचर मेंटेन कर कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ी गई तो मच्छर इस तरफ अट्रैक्ट हुए। इस स्टडी के आधार पर ही नासा ने मच्छर मारने की टेक्नोलॉजी डेवलप की। एक किलोमीटर तक है मशीन की रेंज

नगर निगम के प्रशासक राजेश जोगपाल ने बताया कि करीब 25 किलोग्राम की यह मशीन एक किलोमीटर एरिया के मच्छरों को आकर्षित करती है। ह्यूमन टे प्रेचर और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने वाली मशीन पर जब मच्छर बैठते हैं, तो यह उन्हें अंदर खींच लेती है। इस मशीन में अंदर लगे ब्लेड मच्छरों को खत्म कर देते हैं। अभी यह मशीन देश के कई एयरपोर्ट, बड़े अस्पतालों में लगी हैं। मच्छर मारने वाली यह मशीनें मुंबई, दिल्ली में भी लगी हैं, लेकिन पंचकूला हरियाणा का पहला ऐसा शहर है। जिसमें अगले दो हफ्तों में यह मशीनें लगाई जाएंगी। इसका देश में सबसे पहले टेस्ट डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट में किया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.