मेरा हसल आज भी जारी है.
बचपन से ही लिखने का शौक था। शायरी लिखता था। उसे गाने की चाह ने रैपर बना दिया।
शंकर सिंह, चंडीगढ़
बचपन से ही लिखने का शौक था। शायरी लिखता था। उसे गाने की चाह ने रैपर बना दिया। देश में जब रैप की हवा चली, तो मैंने भी अपने कदम बढ़ाए। कई जगह नाकामी हासिल हुई। मगर फिर भी हार नहीं मानी। कई स्टूडियो में गाली भी खाई। फिर भी अपनी बीट और शायरी पर काम किया। इसके बाद ही इस मुकाम तक पहुंचा कि अपने आप को साबित कर सकूं। जब पहली बार सुना की देश में रैप के लिए पहला रियलिटी शो आयोजित हो रहा है, तो हैरान था। इसे करना इतना भी आसान नहीं था। मगर इसमें खुद को साबित करके ही वापिस लौटा हूं। मगर आज भी यही कहूंगा कि मेरा हसल आज भी जारी है। लुधियाना के रैपर दीपक सिंह (एमजी बैला) कुछ इन्हीं शब्दों में एमटीवी चैनल में आयोजित रैप शो हसल की बात करते हैं। हाल ही में उन्होंने फिनाले में रफ्तार, राजा कुमारी और डीजे न्यूक्लिया से इसकी ट्रॉफी हासिल की। रैपर बनता या फैक्ट्री में काम करता.
बैला ने कहा कि उनके पिता फैब्रिक प्रिटिग से जुड़ा कार्य करते हैं। घर में जब इस शौक के बारे में पता चला, तो सबने सपोर्ट तो किया। मगर पिता ने कहा था कि दो तीन साल देखले, नहीं तो फैक्ट्री में ही काम कर लेना। बैला ने कहा कि उस दौरान बोहेमिया और कई बड़े रैपर चल रहे थे। मगर मेरे दिल में खुद का कुछ करने का मन था। ऐसे में लुधियाना से ही शुरुआत की। मगर वहां कई स्टूडियो में धक्के खाने के बाद कुछ खास नहीं बना। इसके बाद दिल्ली और फिर देहरादून गया। वहां मेरी अपनी टीम बनी। हमने काफी मेहनत की। मैंने करीबन दो सो से ज्यादा गाने लिखे। इन्हीं कुछ गीतों को मैंने शो में भी गाया। मुझे जब इस शो के लिए कॉल आया, तो यकीन नहीं हुआ कि रैप को भी कोई शो में ला सकता है। मगर इस शो के साथ लोगों ने मुझे पहचानना शुरू किया है। ईपीआर से सीखा काफी कुछ..
बैला ने कहा कि उन्होंने शो में ईपीआर से काफी कुछ सीखा। बैला और ईपीआर ने टॉप 30 में से फाइनल में जगह बनाई थी। दोनों के बची कड़ी टक्कर थी। बैला ने कहा कि मैं जब पहली बार परफॉर्मर ऑफ द वीक बना, तभी ठान लिया था कि आगे बढ़ना है। मगर तीसरे या चौथे एपिसोड तक, मेरी परफॉर्मेंस में ब्रेक लग गई। इसके बाद मैंने इस शो को जीतने की पूरी ठान ली थी। मुझे सबसे ज्यादा चुनौती ईपीआर से मिली। जिससे यकीनन मैंने काफी कुछ सीखा। मुझे खुशी है कि छोटी उम्र में ही मुझे ये मुकाम मिला। अब आगे इस लेगेसी को लेकर जाऊंगा।