ईद-उल-अजहा पर अलग-अलग मस्जिदों में अदा की गई नमाज, गले मिलकर दी मुबारकबाद Chandigarh News
बकरीद इस्लामी साल का अंतिम महीना है। इस महीने को सबसे पवित्र माना गया है। इसमें दस दिन रोजा रखने वाले को खुदा हर रोजे के बदले एक एक साल रोजे रखने का सवाब देता है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। ईद-उल-अजहा यानि बकरीद के मौके पर सोमवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शहर के अलग-अलग मस्जिदों में अकीदत के साथ नमाज अदा कर देश में अमन चैन की दुआ मांगी। सभी ने एक-दूसरे को गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। नमाज के बाद कुर्बानी का सिलसिला शुरू हुआ। ईद-उल-अजहा के मौके पर हर तरफ खुशनुमा माहौल बना हुआ था। लोगों ने घरों में एक दिन पहले ही बकरीद की सभी तैयारियां पूरी कर ली थीं। अलग-अलग मस्जिदों और ईदगाहों में पहले से तय समय पर समुदाय के लोगों ने नमाज अदा की और एक-दूसरे को गले लगाकर बकरीद की मुबारकबाद दी। इस दौरान शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए शहर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
यहां अदा की नमाज
जामा मस्जिद सेक्टर 20, नूरानी मस्जिद सेक्टर 26, मदीना मस्जिद सेक्टर 29, ईदगाह मनीमाजरा, ईदगाह बुड़ैल, सेक्टर 25, मस्जिद अबू बकर नयागांव, मस्जिद मलोया, मस्जिद मलोया मदरसे वाली, मस्जिद उमर नयागांव, फरीदी मस्जिद धनास, मस्जिद रामदरबार, मस्जिद बंगलेवाली 31, मस्जिद विकास नगर कॉलोनी और मस्जिद मोहाली फेज 11 में बड़ी संख्या में लोगों ने नमाज अदा की और अमनचैन की दुआ मांगी.।
अल्लाह से मोहब्बत के लिए प्यारी चीज करते हैं कुर्बान
बकरीद इस्लामी साल का अंतिम महीना है। इस महीने को सबसे पवित्र माना गया है। इसमें दस दिन रोजा रखने वाले को खुदा हर रोजे के बदले एक एक साल रोजे रखने का सवाब देता है। बकरीद पर अल्लाह से मोहब्बत के लिए प्यारी चीज की कुर्बानी दी जाती है। बकरीद संदेश देता है कि एक दूसरे के दिलों से नफरतों व बुराईयों को दूर करके सभी के दुख दर्द में शरीक होना चहिए।
मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि बकरीद के पहले पखवारे में हजरत आदम की तौबा कुबूल हुई थी। अल्लाह ने हजरत इब्राहिम को अपना खलील बनाया था, जिन्होंने आतशी नमरूद के लिए अपने बेटे स्माइल की कुर्बानी पेश की थी। इसी पखवारे में हजरत इब्राहिम ने मक्का में काबा की बुनियाद रखी और हजरत मूसा को कलाम की इज्जत अता फरमाई। उन्होंने बताया कि इस्लाम धर्म में रमजान शरीफ को महीनों का सरदार और बकरीद को इज्जत वाला महीना माना गया है।
पैगम्बर हजरत ने लगातार तीन दिनों तक सपना देखा कि अल्लाह उनसे कह रहे हैं कि अगर तुम मुझे सबसे अधिक प्यार करते हो तो अपने सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी करो। हजरत इब्राहिम को उनका पुत्र सबसे प्रिय था, इसलिए उन्होंने अल्लाह को यकीन दिलाने के लिए अपने पुत्र की कुर्बानी पेश की। बेटे की कुर्बानी से हजरत इब्राहिम अपने इम्तिहान में कामयाब हो गए। उन्होंने बताया कि अल्लाह तो सामने वाले की नियत देखता है। कुर्बानी से सीख मिलती है कि अल्लाह के सब वंदे हैं, वह तमाम जहां का रब है। नफरतों व बुराईयों को दूर करके बिना भेदभाव के सभी के दुखों में शामिल होना चाहिए।
पहले सुन्नत का फर्ज किया अदा फिर निकल पड़े दोस्तों के साथ
इस दिन युवाओं में खास मस्ती का माहौल दिखा। जो त्यौहार मनाने काफी दिनों बाद घर लौटे थे उन्होंने अलग अंदाज में इसे सेलीब्रेट किया। पहले खुदा की सुन्नत का फर्ज पूरा किया और फिर दोस्तों के साथ निकल पड़े मस्ती करने। दोस्तों के घर गये। उन्हें और उनके परिवार के लोगों को बधाई दी। उसके बाद कोई सुखना लेक पहुंच गया तो कोई ग्रुप में मूवी देखने मॉल। इस दौरान मॉल में पूरे दिन काफी भीड़ रही।
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