नगर निगम की जेब ढीली लेकिन पार्षदों की भारी
100 लीटर पेट्रोल और डीजल देने का प्रस्ताव पास कर दिया गया।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : नगर निगम की वित्तीय हालात खस्ता है लेकिन इसकी कितनी परवाह पार्षदों को है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मेयर राजबाला मलिक की सोमवार को पहली सदन की बैठक में सभी पार्षदों की निजी कारों के लिए 100 लीटर पेट्रोल और डीजल देने का प्रस्ताव पास कर दिया गया। जबकि सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर को सरकारी गाड़ियां देने का भी प्रस्ताव पास किया गया है। सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर को 250-250 लीटर तेल देने का प्रस्ताव पास किया गया है। सदन में यह प्रस्ताव टेबल एजेंडे के तौर पर लाया गया। जिस पर सभी पार्षदों ने अपनी सहमति दी। अब यह प्रस्ताव मंजूरी के लिए प्रशासन को भेजा जाएगा। पार्षदों ने सदन में कहा कि उन्हें लोगों के काम करवाने के लिए प्रतिदिन अपने निजी वाहन लेकर वार्ड और शहर में इधर-उधर जाना पड़ता है। ऐसे में उनके वाहनों के लिए ईधन चाहिए। मालूम हो कि इससे नगर निगम पर हर साल 30 लाख रुपये का बोझ बढ़ जाएगा। सीनियर डिप्टी मेयर रविकांत शर्मा ने सदन में कहा कि प्रशासक की ओर से उन्हें और डिप्टी मेयर को गांवों की समस्याएं और विकास करवाने की जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में सरकारी गाड़ियों की जरूरत है। चपरासी और स्टेनो का प्रस्ताव भी पास
मालूम हो कि अभी पिछले माह की सदन की बैठक में हर पार्षद को एक चपरासी और एक स्टेनो देने का भी प्रस्ताव पास किया गया है। इसका भी नगर निगम के सरकारी खजाने पर आर्थिक बोझ पड़ेगा। जबकि पिछले सदन में ही नगर निगम ने पानी के रेट बढ़ाकर शहरवासियों पर बोझ डाला है। नगर निगम में कुल 35 पार्षद हैं। दो माह पहले ही सदन ने यह हर पार्षद को उनके निजी वाहनों के लिए दो पार्किग पास निशुल्क देने का प्रस्ताव पास किया है।
अभी हाल ही में पार्षदों का मानदेय पांच हजार रुपये बढ़ा
अभी हाल ही में नगर निगम के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर, डिप्टी मेयर और सभी पार्षदों का मानदेय बढ़ा है। हर पार्षद का पांच हजार रुपये का मानदेय प्रशासन ने बढ़ाने की मंजूरी दी है। अब हर पार्षद को 15 हजार रुपये का मानदेय मिल रहा है। जबकि मेयर का मानदेय अब प्रति माह 45 हजार, सीनियर डिप्टी मेयर का 30 और डिप्टी मेयर का मानदेय 20 हजार रुपये हो गया है।
मोबाइल और लैपटॉप भी मिलता है सरकारी खजाने से
हर पार्षद को एक मोबाइल फोन और लैपटॉप भी सरकारी खजाने से खर्चा करके मिलता है। ऐसे में हर पार्षद ने एक लाख रुपये का लैपटॉप खरीदा हुआ है। लेकिन ऐसा कभी भी नहीं हुआ कि पार्षद लैपटॉप लेकर नगर निगम में आए हों। यह लैपटॉप इसलिए दिया था ताकि जो एजेंडे इस समय प्रिट करवाए जाएं, उसकी जरूरत न पड़े। लेकिन पार्षदों की मांग पर एजेंडे प्रिट करवाकर ही उन्हें भेजे जाते हैं। पार्षदों को कैंप ऑफिस भी चाहिए
जबकि पार्षद अब कैंप ऑफिस भी मांग कर रहे हैं। पार्षदों का कहना है कि उन्हें भी अधिकारियों की तरह सरकारी मकान उपलब्ध करवाए जाएं जिसका प्रयोग वह लोगों को मिलने के लिए कैंप ऑफिस के तौर पर कर सके। अगले दिनों में यह प्रस्ताव भी पास होने के लिए सदन में आ सकता है।